शादी की तैयारी जोरो पर थी ! आज बारात आने वाली थी ! श्याम सुन्दर जी दौड़ -दौड़ कर सभी को कह रहे थे - देखो जी कोई कसर न रह जाए , अन्यथा लडके वाले नाराज हो जायेंगे ! गाँव का माहौल ...फिर भी शहर से कम रौनक नहीं थी ! जहां देखो - वही चहल पहल ! लौड़ स्पीकर बज रहे थे ! हलवाई तरह - तरह के व्यंजन बनाने में मशगुल ! कहार पानी भरने में ब्यस्त ! द्वार पर हित - नाथ आने लगे थे ! बच्चे शामियाने में खेल- कूद में मग्न ! पंडित जी आ गए थे ! सत्यनारायण भगवान की पूजा शुरू होने वाली थी ! नाउन चौक पूर रही थी ! शकुन्तला देवी घर के भीतर के सभी इंतजाम में ब्यस्त ! आँगन पूरी तरह से भर गया था ! आखिर इतनी भाग दौड़ क्यों ?, चुकी निर्मला की शादी जो थी , जानी मानी टी.वि.चैनल की एंकर , वह भी ..शहरी लडके और शान - शौकत वाले से , उस पर एकलौती बेटी ! श्याम सुन्दर जी माध्यम वर्गीय ! बहुत कुछ दान - दहेज़ में दिया था !
धीरे - धीरे समय घहराया और गाँव के गोयड़े पर बरात आकर रुक गयी थी ! बाजे की शोर गुल सुन बच्चे उधर भागे ! श्याम सुन्दर जी द्वारपूजा के लिए , हजाम को खोज रहे थे , तभी वह आ धमाका ! उसने श्याम सुन्दर जी के कानो में कुछ कही ! उसकी बातें सुन - श्याम सुन्दर के कान खड़े हो गए ! घर में भागे ! आंगन में शकुन्तला मिल गयी !" शकुन्तला गजब हो गया !" उन्होंने पत्नी को संबोधित कर कहा ?
पत्नी घबडाई सी -" अजी ऐसा क्या हो गया ? इस शुभ घडी में !" रुवासे सी आवाज में श्याम सुन्दर जी ने कहा - " दुल्हे के पिता ने - अभी तुरंत दो लाख रुपये मांगे है ! नहीं देने की हालत में बरात वापस लेकर चले जायेंगे ! " शकुन्तला के मुह से निकला - " हे भगवान ये कैसी अग्निपरीक्षा ! इतना सारा रुपया कहाँ से लावें ! जो था सभी दे दिए !" फिर उनके तरफ मुड कर बोली ! एक बार जाकर तो देखिये ! मन्नत - विनती से काम चल जाए !
श्याम सुन्दर गम की मुद्रा में उठे और चल दिए ! आस - पास के हित - नाथ और औरतो में यह बात , जंगल की आग की तरह फैल गयी ! यह बात चारो तरफ फैलने भी लगी ! श्याम सुन्दर जी ने बहुत चिरौरी विनती की , पर दुल्हे के घर वालो पर कोई फर्क नहीं पडा ! बारात लौटने लगी ! श्याम सुन्दर जी के प्राण ही निकल जायेंगे वैसा लग रहा था ! तभी एक युवक भीड़ से बाहर आया और श्याम सुन्दर जी से कुछ कहा !
श्याम सुन्दर जी उस युवक को लेकर घर आयें और उस कमरे की तरफ गए , जहां उनकी वेटी को सजाया जा रहा था ! सभी सखी - सहेलियों को एक मिनट के लिए बाहर जाने को कहा और उनहोने सभी घटनाओं को बिस्तार से अपनी वेटी को बतला दिए ! पुत्री ने एक टक पिता की ओर देखि और उस युवक के साथ एकांत में ... बात- विमर्श किया , फिर शादी के लिए तैयार हो गयी !
उसी मंडप में निर्मला की शादी , उस युवक से कर दी गयी ! वह युवक उसी गाँव का रहने वाला था , जिस गाँव से बारात आई थी ! सुबह माड़ो में दुल्हन और दुल्हे को बैठाया गया था ! गाँव की औरते इस वीर पुरुष को देखने के लिए झुण्ड के झुण्ड जुटने लगी थी ! चारो तरफ उसके गुण - गान किये जा रहे थे ! तभी निर्मला की एक सहेली ने पूछ दिया - पहले वाले तो सोफ्ट वेयर इंजिनियर थे , ये वाले क्या है ?
" लिख लोढा पढ़ पत्थर " निर्मला ने जबाब दिया ! जो सत्य था !
" यानी एल.एल.पि.पि."- किसी सहेली ने चुटकी ली !
" हाँ .. उस पढ़े -लिखे और सभ्य दुनिया से बहुत अच्छा है ! " निर्मला ने कहा !