दुनिया में समय - समय पर महापुरुषों का आगमन होता रहा है ! महापुरुषों को समझ पाना......
किसी साधारण ब्यक्ति के वश में नहीं ! जब तक ..हमने उन्हें समझा , तब तक काफी देर हो चुकी होती है ! महापुरुषों ने अपने अद्भुत कार्यप्रणाली के द्वारा ..हमें हमेशा आश्चर्य चकित करते रहे है ! उनके पग - पग पर मानवता के सद्गुणों की महक हवा के झोंको के साथ ..इस पृथ्वी पर बिखरती रही है ! जिन्होंने चाहा , उन्होंने उसे लूट लिया ! सफल हो गए ! बहारे आती है , मनुष्य के जीवन में हरियाली फैलती है , जीवन सोना हो जाता है ..जब हम अपने काम ,क्रोध लोभ ,और स्वार्थ को भूल जाते है ! जीवन के हर पल हमें कुछ करने के लिए उकसाते है ! परमार्थ हित में किये गए हर कार्य ....की प्रसंशा होती है ! यही जीवन दायनी और मन को शान्ति प्रदान कराती है !
शासन में मनुष्य को कुछ शक्ति मिलती है , उस शक्ति का इस्तेमाल परोपकार में होनी चाहिए या अपने जीवन में इसे ढाल बनाना चाहिए ! जिसकी सोंच जैसी होगी वैसी ही ....फल उत्पन्न होगे ! आम लगाओ आम खाओ ! इमली लगी ...इमली मिली, फिर इसमे किसका दोष ! इसीलिए कहते है , जैसी करनी वैसी भरनी ! जिनके दिल में आस्था और समर्पण की भावना होती है ...उनके समक्ष प्रभु को आते देर नहीं लगती ! प्रभु तो प्रेम के भूखे है ! प्रेम तो प्रेम है , जो पत्थर को भी मोम बना देता है !
मेरे साई के बारे में कुछ भी न कहे ! वो तो सर्व ब्याप्त है ! दिल से प्यार करने पर , वे तुरंत भाग कर ..अपने भक्त के पास आते है ! स्वप्न में आना , असमय किसी न किसी रूप में मदद करना , चिंता के समय बुद्धि या राह बताना , तो उनके आने के आभास है ! अपने जीवन काल में उन्होंने बहुत से अद्भुत कार्य किये , जो किसी भी इंसान को भगवान बनाने के लिए काफी है ! वे कहा करते थे --" मै रहू या न रहू ..पर याद करते ही भाग दौड़ा आउंगा ! यह कार्य मै हजारो वर्षो तक करता रहूंगा !"
जी हाँ आप मानो या न मानो ....पर यह बिलकुल सच है ! मै पहले यह सभी बातें ,सुना करता था ! अतः एक दिन योजना बना ली और शिर्डी के लिए सपरिवार रवाना हो गया ! दिनांक ११ से १५ जनवरी २००५ ...का समय शिर्डी में बीता ! मुझे दान - दक्षिणा देने की बहुत लालसा रहती है ! शक्ति के मुताबिक़ दे ही देता हूँ ! तारीख १३-०१-२००५ ...सुबह का समय ...साई मंदिर में साई बाबा का दर्शन कर बाहर सड़क पर टहल रहे थे ! सोंचा कुछ साई ट्रस्ट में दान देनी चाहिए ! आज शिर्डी में आये तीसरा दिन था ! काफी पैसे खर्च हो गए थे ! मेरे पास बस ५ हजार रुपये बचे थे ! इस पैसे को दान दे कर .....जोखिम नहीं उठाना चाहता था ! अतः ये.टी.एम् की खोज में निकल गया ! शिर्डी में ये.टी.एम् बहुत कम थे ! दुसरे ये.टी.एम्.से पैसे निकालने पर सर्विस चार्ज देने पड़ते थे ! मेरे पास SBI के ATM कार्ड था ! मैंने बहुत लोगो से SBI का ATM कहा है ? पूछा !गली -गली फिरा ,पर कही पता नहीं चला !
मै पुरे परिवार के साथ , वि .आई.पि गेट के पास खडा था और पत्नी से कहा - " कल हमें औरंगाबाद जाना है , वहा पर ATM होगा ! वही से पैसा ड्रा कर ले आयेंगे और ट्रस्ट में दे देंगे ! " यह बात आई और गयी ! दोपहर का खाना खाने के पास , हम अपने होटल के कमरे में जाकर सो गए ! थके होने की वजह से नींद जल्दी आ गयी ! मैंने करीब साढ़े तीन बजे के करीब ....एक स्वप्न देखी ! एक भिखारी बच्चा मेरी अंगुली पकड़ कर ...खींच रहा था और मै उस वि.आई.पि.गेट पर ही खडा था ! बच्चा कह रहा था -वो देखो ..उधर है ..( भक्ति निवास की तरफ इशारा करते हुए ) यानी वह मुझे SBI का ATM के बारे में बता रहा था ! अचानक मेरी आँखे खुल गयी और मै उठ बैठा ! देखा....... दोनों बेटे और पत्नी साहिबा आपस में बाते कर रहे थे ! शाम के चार बजने वाले थे ! मैंने स्वप्न वाली बात ..पत्नी जी को बता दी ! किसी ने इस तरफ ध्यान नहीं दिया ! न ही कोई महत्व समझा ! सायं काल ..... फिर शिर्डी दर्शन के लिए निकले ! अचानक घुमाते हुए ..उसी रास्ते पर हो लिया , जिधर उस भिखारी बच्चे ने ...ATM के बारे में स्वप्न में ...बतायी थी !
मेरे हर्ष का पारावार न रहा ! देखा ...सड़क के बाए तरफ ..SBI का ATM ..एक lodge के प्रांगण में था ! मैंने तुरंत पैसे निकाले और ट्रस्ट में जमा करा दिए ! ये है मेरे साई के चमत्कार ! है न .....! आज वही ATM /SBI ..मंदिर के प्रांगण में सिफ्ट हो गया है ! इसके बाद बहुत से चमत्कार देखने को मिले ! जी हां आप लोगो ने ..साई बाबा के बहुत से चमत्कारों की कहानियाँ ..रामानंद सागर के सीरियल - साई बाबा ..में भी देंखे होंगे ! मेरे साई ने मुझे प्रत्यक्ष मदद दी !
इसी लिए कहते है -- साई मंगलम..साई नाम मंगलम ...