Wednesday, March 17, 2021

मन की हार - हार है , मन की जीत - जीत


जब तक अर्थ है - कुछ भी व्यर्थ नही होगा  । जिंदगी की भाग दौड़ इसी अर्थ के इर्द गिर्द मंडराती रहती है । येे  सुबह बिस्तर से अलग होने और शाम को विस्तर से चिपकने तक - सभी कार्य इसी के अनुरूप होते है । संक्षेप में कहें तो जीवन अर्थ के बिना अर्थहीन ही है । जीवन को जीवंत बनाने के लिये जीवंत आत्मा आवश्यक है।

आत्मशक्ति ही हमे नियंत्रित करती है अन्यथा बिन लगाम घोड़ा की स्थिति हो जाएगी । कभी कभी आत्मा की आवाज न सुनना भी भारी पड़ जाता है । ऐसा ही तो हुआ था , जब मैंने दोस्त के बेटे की शादी जो 03-01-2021 को तिरुपति देवस्थानम सामूहिक गृह में होना निश्चित था , को मिस किया था । इसलिए कि परिवार के अन्य सदस्य शामिल हो जाएंगे । बाद में बहुत पछतावा भी हुई थी । 

उस दिन मैं 02692 एक्सप्रेस ( राजधानी स्पेसल ) को लेकर सिकंदराबाद से गुंतकल को आ रहा था । ट्रेन नार्मल ढंग से चल रही थी । कोई शिकायत या शिकवा नही था । ट्रेन नवांगी स्टेशन से गुजरने वाली थी , उसके दो ढाई किलोमीटर के पहले ही लोको के अंदर से एक जोरदार धमाके की आवाज सुनाई दी । हम किसी अनजान समस्या कोभाप  डर गए । उप लोको पायलट ने लोको का मुआयना किए , कहीं भी कुछ समस्या जैसी स्थिति नही थी। फिर भी मन न माना । 

किसी अनजान भय से आत्मा के अंदर कंपन होने लगी । ऐसा होने पर मुझे हमेशा ही कुछ समस्याओं से गुजरना पड़ा है । हो न हो कुछ तो कारण होंगे । अन्यथा विस्फोटक आवाज नही आती । मैंने यह सुनिश्चित किया कि अगले स्टेशन में ट्रेन को रोक , लोको की जांच करेंगे , और तत्पश्चात ही आगे बढ़ेंगे । 

नावनगी स्टेशन में ट्रेन को खड़ा किया । जब कि नॉनस्टॉप स्टेशन था । हम दोनों लोको निरीक्षण करने लगे । देखा कि होटल लोड के कनवर्टर से आग की लपटें निकल रही थी । हमारी अंदेशा सही साबित हुई । जैसे तैसे दो घंटे में आग को बुझाई गयी । ट्रेन के सभी रेलवे के कर्मचारियों ने आग बुझाने में अपने भरपूर सहयोग दिए । अगर ट्रेन नही रोका होता तो आग की बड़ी दुर्घटना से इनकार नहीं किया जा सकता ।

इस अनजान घटना ने ट्रेन के समय से चलने में बाधा तो बनी पर समय से ली गयी निर्णय ने अन्य जघन्य नुकशान से रेलवे को बचाए । इसके बाद जो हुआ ,वह मुझे बरबस सोचने के लिए मजबूर किया कि मैंने आत्मा की आवाज को क्यों दबाई ? 

हमे जीवन मे कई बार ऐसे मोड़ आते है जहां हम सही निर्णय से मुकर जाते है । दिल की बात जरूर सुननी चाहिए ।अगर दोस्त के बेटे की शादी में सपरिवार मैं भी शामिल हुआ होता तो ऐसी अनहोनी घटना में प्रत्यक्ष प्रमाण से बच सकता था और मेरी जगह कोई और होता था ।



Sunday, June 14, 2020

स्वामी भक्त


   कहते है मनुष्य दुनिया का सबसे उन्नत और विकसित प्राणी है ।   जिसके पास दुनिया की सबसे बड़ी सुख सुविधाओं की अम्बार लगी होती है । दुनिया मे एक से बढ़ कर एक शक्तिशाली और निरीह जंतु है पर बहुत कम जीव जंतु चालाक किस्म के होते है ।

संक्षेप में जीव जंतुओं को नभचर , जलचर और स्थलचर के समूह में बांटा गया है । मनुष्य प्राणी का लगाव सबसे ज्यादा स्थलचर से रहा है । इन जीव जंतुओं पर मनुष्य का एकाधिकार सदैव कायम है । इन जीव - जन्तुओ को        मनुष्य  तरह - तरह से इस्तेमाल करता आ रहा है । ये निष्क्रिय जीव जंतु मनुष्य के क्रूरता के शिकार बनते रहे है । ज्यादातर जीव तो मनुष्य के आहार बन जाते है । इन मूक जीवों की आह शायद हमें श्राप भी देती होगी जिसे हम मानव समझने में देर भी कर देते है । मानव इस दुनिया का सबसे सचेत और उत्कृष्ट प्राणी होकर भी अपनी क्रूरता को नही छोड़ता । जो चिंतनीय है ।

       मैंने देखा है लोग गाय , भैंस या बैल या बकरी या भेड़ को मुर्गी के अंडे की तरह उपयोग करते है और जब काम निकल जाते है तो उन्हें कसाई के हाथों बेच देते है । इन जीवों को कैसा लगता होगा जब कसाई की छुड़ी उनके गर्दन पर चलती होगी ? उनके अन्तःमन से निकली हुई  मूक बददुआ के भागीदार भी तो हम ही है ।

         काश दुनिया का अनमोल प्राणी मनुष्य इतना निर्दयी न होता । इस धरा पर सभी जीव - जंतुओं को जीने का अधिकार है , जिसे छिनने का अधिकार किसी को नही ? क्योंकि जब हमारे पास जीवन देने की शक्ति नही है तो जीवन लेने का अधिकार किसने दे दिया ? हमे चाहिए कि प्रत्येक जीव को अपने जीवन तक भरपूर जीने दें !💐

         स्वामी भक्ति भी अजीब होती है । जो स्वामिभक्त होता है वह अपने प्यार और कर्म को अपने स्वामी के प्रति न्योछावर कर देता है । उसके रहने पर प्यार और जाने के बाद दर्द की धारा निश्छल रूप से बहने लगती है । ऐसा ही तो था मेरा प्यारा - लकी ।



          कहने को कुत्ता ( Labrador ) था पर एक परिवार या बेटे से कम नही था ।  उसका जन्म 04.04.2015 को अन्तपुर में हुआ था । वह एक माह की उम्र में हमारे घर मे प्रवेश किया था । बहुत ही प्यार और दुलार से हमने उसका पालन - पोषण किया था । लकी आज 18-05-2020 सुबह साढ़े आठ बजे मेरे बांहों में अपने जीवन का अंतिम सांस लिया था । मेरे नेत्र अपने आंसुओ को नही रोक पाए थे , मैं उसे बांहों में पकड़े हुए फफक फफक कर रो दिया था । एक प्यारा दोस्त और जिगर का टुकड़ा मुझे छोड़ चल दिया था । उसकी यादें - आंसू के साथ गीले हो जाती है । परिवार के सभी लोग एक अकेला पन महसूस करने लगे है । ये यादें - लकी की सुनहरी आंखे जो सदैव प्यार ही प्यार बरसाई करती थी - भविष्य में लंबे समय तक भूल पाना बहुत ही मुश्किल है ।

💐💐💐💐

आज के दैनिक पञ्चाङ्ग एवं चौघड़िया मुहूर्त
सोमवार, १८ मई २०२०
सूर्योदय : ०५:२३
सूर्यास्त : १८:४९
चन्द्रोदय : २७:२४
चन्द्रास्त : १५:०६
शक सम्वत : १९४२ शर्वरी
विक्रम सम्वत : २०७७ प्रमाथी
माह : ज्येष्ठ
पक्ष : कृष्ण पक्ष
तिथि : एकादशी - १५:०८ तक
नक्षत्र : उत्तर भाद्रपद - १६:५८ तक
योग : प्रीति - २८:३० तक
प्रथम करण : बालव - १५:०८ तक
द्वितीय करण : कौलव - २८:२० तक
सूर्य राशि : वृषभ
चन्द्र राशि : मीन
राहुकाल : ०७:०४ - ०८:४५
गुलिक काल : १३:४७ - १५:२७
अभिजितमुहूर्त : ११:३९ - १२:३३
दुर्मुहूर्त : १२:३३ - १३:२७
दुर्मुहूर्त : १५:१४ - १६:०८
अमृत काल : ११:३४ - १३:२२
चौघड़िया मुहूर्त
अमृत~०५:२३ - ०७:०४
शुभ~०८:४५ - १०:२५
चर~१३:४७ - १५:२७
लाभ वार वेला~१५:२७ - १७:०८
अमृत~१७:०८ - १८:४९
💐
आज का विचार 
श्रेष्ठ होना कोई कार्य नही बल्कि यह हमारी एक आदत है जिसे हम बार बार करते है।
ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ
💐
      *अच्छे लोगों की इज्जत*
        *कभी कम नहीं होती*

     *सोने के सौ टुकड़े करो,*
            *फिर भी कीमत*
            *कम नहीं होती*।
💐
        *भूल होना "प्रकृत्ति" है,*
       *मान लेना "संस्कृति" है,*
*और उसे सुधार लेना "प्रगति" है.*
     🌹 *शुभ दिन*🌹
   💐 *जय श्री कृष्णा* 💐

लकी की कुछ निश्चल यादें - 

             मूक प्राणियों की कथा भी अजीब होती है । ये मुंह से कुछ नही बोल सकते परंतु इनकी तरह - तरह की भंगिमाएँ ,उनकी समझ को प्रकट कर देती है ।।

                 ये मेरा लकी पूरे परिवार का प्यारा था । बचपन से जैसे जैसे उम्र की ऊंचाइयों पर चढता गया था उसकी कारनामे अजीबोगरीब होती गयी थी। बहुत ही साफ सफाई का आदी । उसने कभी भी - रात हो या दिन , घर के अंदर पेशाब या टट्टी नही किया था । ऐसी आवश्यकता के समय वह मेरे पास आकर उकड़ू बैठ जाता था और एक टक लगाकर देखने लगता था । मुझे उसकी समस्या के अनुभव करते देर नही लगती थी और सिर्फ और सिर्फ मैं ही उसे बाहर ले जाता था । ऐसा नही करने पर उसकी भौक शुरू हो जाती थी ।



             घर का  हर सदस्य उसका दोस्त और वह सबका दोस्त था उसे दो तीन दिनों में स्नान करवाने पड़ते थे । स्नान करवाने की जिम्मेदारी भी मेरी ही थी। टॉवेल , शैम्पू देखते ही नल के पास खड़ा हो जाता था । बहुत ही इत्मीनान से स्नान करने का आदी था । हम सभी उसे अपने सामने पाकर अतीत के क्षणों को आसानी से भूल जाते थे । पलंग पर नजदीक बैठना, किसी के साथ सोना - ऐसे क्षण उंसके लिए अपार खुशी के होते थे । पलंग पर भले ही वह चढ़ जाये पर सोये हुए व्यक्ति को डिस्टर्व नही करता था । 

                       कुछ तस्वीरें मेरे बड़े पुत्र के साथ -




              अजीब सोंच और समझ थी उसकी । शायद इंसान में भी नही होती । मैं जब कभी रात को ड्यूटी से आने के बाद सो जाता था - तब सुबह सुबह लकी ही मुझे मॉर्निंग वॉक के लिए उठने के लिए विवश करता था । हम स्वतः सुबह 5 बजे उठ नही सकते अलार्म की सहारे लेने पड़ेंगे , पर वह बिल्कुल 5 बजे आकर पैर के पास बैठ जाता था और मुझे उठाने हेतु धीरे धीरे अपने पैरों से मेरे पैरों को कुरेदना शुरू कर देता था। मैं उठ गया तो ठीक अन्यथा वह भी बगल में सो जाता था । किन्तु कभी भी भोंक कर किसी को डिस्टर्व नही करता था । शायद वह जानता था कि भोंकने से सभी को असुविधा हो सकती है । 

                      कुछ उंसके बचपन के तस्वीर -

 








             मेरे पोते कुँवर सुशांत जी का जन्म दिवस के अवसर पर लकी जी को देखिए - कैसे परिवार के बीच बैठे है । केक काटने का सब्र उन्हें भी है 🎂


           कुत्ते बहुत ही स्वामी भक्त और सच्चे सेवक होते है । घर की रक्षा या स्वामी की सुरक्षा सच्चे मन से करते है ।आज तक हमारे घर की तरफ किसी ने भी आंख उठा कर देखने की हिम्मत नही की । मजाल है जो बिन अनुमति हमारे घर मे कोई प्रवेश कर जाए । आज लकी का प्रेम और यादें कुछ लिखने के लिए मजबूर कर दिया जिसे मैं रोक नही पाया । लेख लंबा नही करना चाहूंगा अतः अंत मे भगवान से यही कर जोड़ प्राथना करूँगा की लकी की आत्मा जहाँ भी हो उसे शांति ॐ प्रदान करें ।

            आज कभी कभी ऐसा लगता है कि उसके मृत्यु का कारण भी हम ही है । ख़ाने में कोई कमी नही थी । उसकी मोटापा उसे बीमार बना दी थी । वह कई दिनों से आहार लेना बंद कर दिया । इलाज भी कराया गया था किंतु उसे कैंसर हो गया था । इसे समझने में हमने बहुत देर कर दी थी । इसका दुख सदैव रहेगा । उसे हमने घर के सामने बगल में ही समाधि दी । उंसके याद में समाधि के ऊपर एक वृक्ष लगा दिए है ।




💐💐 लकी को एक श्रद्धांजलि 💐💐 



Monday, January 20, 2020

सब कुछ ठीक हैं क्या ?

मतदान के पूर्व किसी सरकार के फ्री आफर , दोनों हाथों से धन का अपार व्यय या लोकलुभावन कार्य के निम्न कारण होते है -
1. पब्लिक को अपने तरफ आकर्षित करना 

2.अपने दूसरे कार्यकाल को सुनिश्चित करना 

3.हार जाने के पूर्व खजाने खाली करके जाना ।

4.अगर जीत गए तो चार वर्ष लूट , तीसरे कार्यकाल को बोनस अंक समझना ।जीते तो भी ठीक , हारे तो भी ठीक ।

5. अगर हार गए तो आने वाली सरकार के लिए समस्या जिंदा रखकर जाना ।

6.हारने के बाद अपने लिए मुद्दा जिंदा रख कर जाना क्योंकि आने वाली सरकार फ्री को ज्यादा दिनों तक नही चला पाएगी ऐसी हालत में इन्हें जिंदा मुर्दा मिल जायेगा - देखो मैने फ्री दिया था इन्होंने बंद कर दिया ।

7.आने वाली सरकार उस खर्च को पूर्ति में व्यस्त रहेगी और कुछ नई करना मुश्किल होगा । और इन्हें उस सरकार को घेरने के लिए आसानी से मुद्दा मिल जाएगा ।

8.पिसेंगे पब्लिक क्योंकि इन्हें मालूम है पब्लिक अंधी है और नेक्स्ट टर्म फिर इनका ही होगा ।

9.उपरोक्त सठीक है या गलत - अपने अपने राजनीति पर निर्भर करता है । पिसती तो पब्लिक ही है , फिर भी कहते है पब्लिक सब जानती है ।

10.खाक जानती है - एक नेता का धैर्य ने कहा ।

समझदारी का परिचय दीजिये । जागरूक नागरिक , ससक्त देश । तभी विश्व सलाम करता है ।।

Friday, August 10, 2018

पत्रकार की अस्मिता ( लघु कथा )


सरकार बदल चुकी थी । नई सरकार का होना और उनके कार्यक्रम से बिदित था कि यह सरकार कड़क चाय की प्याली है । पत्रकारों के चैनलों की टीआरपी घटने लगी थी । लोगो का विश्वास सरकार के प्रति बढ़ चला था ।चोर उचक्के अपने सुरक्षा के प्रति जगह ढूंढने लगे थे । विरोधियों के बेचैनी थी क्युकी जनता ने उनके कर्मो की सजा दे चुकी थी ।टीवी वालो की चिंता टीआरपी पर थी । आज आवश्यक मीटिंग में यह कार्यक्रम पेस हुए की टीआरपी बचाने के लिए कोई स्टिंग की जाय जो सरकार की कमजोरी उजागर करे । मंथन जारी था ।

सवाल यह था कि सरकार के विरोध में कोई भी कर्मचारी स्टिंग के लिए तैयार कैसे होगा ? एक पत्रकार ने धीरे से कहा - चिंता न करें । काम हो जाएगा । आप स्टिंग की तैयारी करें ।

सदानंद टीवी के सामने बैठकर समाचार देख रहा था । आज स्टिंग की समाचार आने वाली थी । पत्नी  नाश्ते की प्लेट के साथ हाल में हाजिर हुई । स्टिंग ऑपरेशन प्रसारित होने लगा । सदानंद और पत्नी की आंखे टीवी स्क्रीन पर टिकी हुई थी । अरे ये क्या ? आप की तस्वीर दिख रही है - पत्नी कुछ सहमी सी आश्चर्य के साथ बोली । हां भगवान मै ही हूं । 

तो क्या आपने अपने विभाग के खुफिया जानकारी को लिक करने लगे  है ? पत्नी का सवाल सुन सदानंद कुछ मंद मंद मुस्कुराया और बोला - क्या हो गया । विभाग मे बहुत ही भ्रष्टाचार व्याप्त है  , किसी को तो सामने आना चाहिए ? 

तभी अगली समाचार दोनों की आंखो के तैर गई । विभाग का एक अफसर संवाद दाता से मुखातिब होकर कह रहा था - सरकार सभी शिकायतों की जांच करवाएंगे । हमने सदानंद को तुरंत निलंबित कर दिया है ।

पत्नी को जैसे लकवा मार दिया । अब क्या होगा । विभागीय कार्यवाही होगी । सदानंद की नौकरी खतरे में । झिल्लते हुए बोली - अब क्या होगा ? हमेशा उल्टा पुल्टा कार्य करते रहते है ।

सदानंद मंद मंद मुस्कुराते हुए उठा और अपना ब्रीफकेस लाकर पत्नी के समक्ष रख दिया । बोला _ खोलो ? पत्नी की आंखे फटी रह गए । ब्रीफकेस नोटों से भरा हुआ था । 

पूरे एक करोड़ है । नौकरी का डर नहीं ।जीवनभर नौकरी करने के बाद भी सरकार का सेटलमेंट इतना नहीं आएगा । सदानंद ने पत्नी से कहा । पत्नी धीरे से बोली - तो यह है स्टिंग की उपहार । तुम बड़े वो हो जी । मुझे आज हार और कंगन खरीद दीजिए ।

( इससे सत्य का कोई तलुकात नहीं अगर होता है तो प्राकृतिक । सोने का देश किन्तु चिंतनीय ।)

Thursday, December 21, 2017

इलेक्ट्रिक ट्रैक्शन ट्रेनिंग सेंटर / विजयवाड़ा

जैसा कि मैं रेलवे में लोको पायलट हूँ । पिछले कई वर्षों से राजधानी एक्सप्रेस में कार्यरत हूँ । उच्च पद पर पहुंचना अपने आप मे एक भाग्योदय का प्रतीक माना जाता है । किन्तु इसके साथ ही तरह तरह की नई जिम्मेदारियां भी बढ़ जाती है अगर आप ईमानदार और अनुशासित है , तो किसी तरह के डर की गुंजाइश नही । भ्रष्ट लोगो को हमेशा डर घेरे रहता है । भ्रष्टाचार एक नासूर है जो जीवन मे तरह तरह की परेशानियों के मूल कारण  है । किसी भी तरह के डर दिल मे अशांति पैदा करती है। अतः जीवन मे अशांति का कोई स्थान नही होनी चाहिए ।

 जीवन मे खुशी का माहौल हमे स्वास्थ्य प्रदान करते है । इसीलिए कहा गया है कि खुश रहें और दूसरो को भी खुश रखें ।


लोको पायलट का जीवन बिन अनुशासन व्यर्थ ही है । हमारे कार्य ही ऐसे होते है कि बिना अनुशासन के सुरक्षा और संरक्षा संभव ही नही है ।  यदि आप के साथ कोई दुर्घटना हो जाती है , तो इंक्वायरी नियम और कानून के दायरे में ही घुमाती रहती है । उस समय कोई भी लोको पायलट की मदद नही कर सकता। लोको पायलट को स्वतः अपनी बचाव करने पड़ते है । इसके लिए एक ही चीज काम आएगी और वह है - अनुशासन पूर्वक किया गया कार्य । दोस्तो , लोको पायलट का जीवन जितना कष्टकर है उतना ही आनंदायक भी । 

आप एक बार ड्यूटी से मुक्त हुए और दूसरी ड्यूटी तक फ्री रहेंगे । आप को कोई भी कुछ कहने वाला नही मिलेगा  । वैसे देखा जाय तो कोई भी कार्य बिना रिस्क का नही होता है । योग्य और अनुभवी  रिस्क को भी अंगुली पर नचाते है ।

मेरे पास बहुत सारे फोन या व्हाट्सएप्प के माध्यम से संदेश आते रहते है , जो प्रायः नौजवानों के होते है । दसवीं पास या कुछ और पढ़ाई करने वालो के ज्यादा  । उन सभी के एक ही प्रश्न होते है कि लोको पायलट बनने के लिए शैक्षणिक योग्यता क्या है ? मुझे भी लोको पायलट बनना है , इसके लिए क्या करूँ ? अतः मैने व्हाट्सएप्प पर एक ग्रुप बना रखी है । इसमे उन सभी युवको को जोड़के रखता हूँ , जिन्हें लोको पायलट बनने के लिए  विस्तृत जानकारी चाहिए । अतः कोई भी युवक मुझसे फोन या व्हाट्सअप के माध्यम से संपर्क कर सकते  है ।

अब आइये एक दर्दभरी दास्तान सुनाता हूँ 

 मैं राजधानी एक्सप्रेस में कार्य करता था । उस समय राजधानी डीजल लोको से चलती थी । पहली जुलाई 2017 से  इलेक्ट्रिक लोको उपयोग में है लाया गया है चुकी मुझे इलेक्ट्रिक लोको की ट्रेनिंग नही थी , इसीलिए विजयवाड़ा ट्रेनिंग सेंटर में , जाने पड़े । मैं 7 जुलाई 2017 को ट्रेनिंग सेंटर में रिपोर्ट किया था । ट्रेनिंग का कार्यकाल 66दिनों का था । मेरे क्लास में लोको पायलट थे जो अलग अलग डिपो से ट्रेनिंग के लिए आये थे । ट्रेनिंग में आने के पूर्व ही एक हौआ फैला हुआ था कि इलेक्ट्रिक ट्रेनिंग बहुत हार्ड होती है । यह सबके बस का नही है । खैर जो भी हो हमारी ट्रेनिंग शुरू हो चुकी थी । दिनोदिन की शिक्षा उस हौवे को सही साबित कर रही थी । 10 दिनों तक तो बहुत असुविधा महसूस  हुआ किन्तु  धीरे धीरे कुछ आरामदायक और नॉर्मल होने लगा  । वैसे  नया विषय हमेशा कठिन ही लगता है । 

हमारे ट्रेनिंग के प्रोग्राम - 

कन्वेंशनल लोको की जानकारी , सिम्युलेटर ट्रेनिंग और थ्री फेज लोको की जानकारी थी । इसके अंतराल में ऑन लाइन प्रैक्टिकल ट्रेनिंग भी थी । सभी सुचारू रूप से चल रहे  थे । रोज चार पीरियड , कम से कम डेढ़ घंटे  कि होती थी को अटेंड करने होते थे  । हमारे इंस्ट्रक्टर श्री के कल्यानराम जी थे । जो पूर्व के लोको पायलट ही थे । मेहनती तो थे ही , क्लास में आते ही , पहली पीरियड वार्तालाप पर आधारित था , जिसमे वे पिछले दिनों पढ़ाई हुई विषय पर प्रश्न करते थे । बारी बारी से सभी को उत्तर देना पड़ता था । उम्र दराज वाले  उत्तर न दे पाने पर शर्म महसूस भी करते थे । बहाने भी बना देते थे कि   हमारी उम्र पढ़ने की नही है । हमारी याददाश्त भी कमजोर है । रोज की यह   प्रक्रिया ,  बहुतो के मन मे टेंशन उत्तपन्न कर दिया । बहुत से लोको पायलट हमेशा टेंशन में रहने लगे थे ।

मुझसे जो भी मिलता , उसे मै  समझाने की प्रयास करता था । धीरे धीरे सब आसान हो जायेगा । एक दिन की बात है रवि रंजन और धनंजय कुमार सिम्युलेटर ट्रेनिंग में गए । उनकी क्लास सुबह 6 बजे लगी । प्रायः दो घंटे की थी । प्रैक्टिकल ट्रेनिंग हेतु बाकी लोग विजयवाड़ा ट्रिप शेड में चले गए । हम लोग ट्रेनिंग के लिए एक लोको के अंदर थे । लोको के औजारों के मुआयने कर रहे थे । कुछ समय बाद लोको से बाहर आ गए । पानी पीने के लिए आफिस के तरफ बढ़े । तभी एक सहपाठी मेरे नजदीक आया और पूछ - " सर कुछ मालूम है ?"   मैने  पूछा - क्या ? तब तक दूसरे सहपाठी ने कहा कि - रवि रंजन को हार्ट अटैक आया है । अभी रेलवे अस्पताल में है । मैने अपने मोबाइल पर नजर दौड़ाई ? देखा हमारे इंस्ट्रक्टर कल्यानराम का मिस कॉल था । बजह साफ जाहिर हो चुका था । मैंने तुरंत उन्हें कॉल किया । कल्यानराम जी कॉल रिसीव किये और तुरंत अस्पताल आने को कहा । 

हम सभी लोग रेलवे अस्पताल की तरफ चल पड़े । आज दिनांक 17-08-2017 था । हमने देखा - प्रिंसिपल से लेकर सारे इंस्ट्रक्टर अस्पताल में मौजूद थे । पता चला कि रवि रंजन अब इस दुनिया मे नही रहे । 35 वर्ष के आस पास की आयु और इस तरह का हार्ट अटैक सभी को सोचने के लिए बाध्य कर रहा था । एक माह पूर्व ही वह एक बेटे का पिता बने थे । इस घटना की जानकारी रविरंजन के गॉव को बता दिया गया । रविरंजन बिहार के रहने वाले थे । रेलवे की नौकरी भी कोई ज्यादा दिन की नही थी । यही कोई 8 वर्ष के आस पास । 

यह समाचार सभी डिपो में आग की तरह फैल गयी । व्हाट्सएप्प का जमाना जो है । विजयवाड़ा /रायचूर में उनका कोई नही था । अतः मेडिकल डिपार्टमेंट के अनुरोध पर उनके तीन रिश्तेदार गांव से एक दिन बाद आये । कागजी कार्यवाही / पोस्टमॉर्टम के बाद उनके पार्थिव शरीर को तीन सह कर्मियों  की देख रेख में , विमान द्वारा पटना भेज दिया गया । उनके परिवार और पत्नी पर क्या गुजरा होगा ? हम आसानी से समझ सकते है । लेकिन जिसे मौत आ जाये , कोई नही बचा सकता ।

इस घटना के बाद ट्रेनिंग स्कूल विवादों में घिर गया । कई ट्रेड यूनियनों ने इन्क्वायरी की मांग की । तो किसी ने हमारे इंस्ट्रक्टर के ऊपर दोषारोपण भी कर दिए , शायद कुछ लोगों की नजर में उनका  स्ट्रीकर व्यवहार ही इस मौत का कारण बना हो । कहने वाले हजार कहेंगे । किन्तु ये भी सत्य है कि ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट में कोई किसी को क्यों मारेगा । कुछ दिनों तक विवाद बढ़ने की आशंका थी पर धीरे धीरे सब शांत हो गया ।


  • इस तरह के कटु सत्य और अनुभव जीवन मे आते ही रहते है । संक्षेप में कहे तो मौत के कारण नही होते , जबकि मौत एक जीवन की सम्पूर्ण यात्रा है जो स्वयं आती है , इस पर किसी का दबाव नही होता । जीवन में धैर्य और शांति से ही सुखमय जीवन का लाभ मिल सकता है । हम ही हमारे जीवन के रखवाले है । आएं बिना दोष के जीवन जीने की आदत डालें ।