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Monday, October 10, 2011

दक्षिण भारत - एक दर्शन

दशहरे की धूम आई और चली गयी !सभी ने अपने - अपने ढंग से इस पर्व को मनाया ! रेलवे की बोनस -हंगामा और गुहार करने के बाद भी , कैस के रूप में ही अदा हुयी , कुछ ज़ोन में अपील करने वालो की बोनस - सीधे उनके बैंक खातो में भेंज दी गयी ! जैसे दक्षिण - पश्चिम रेलवे , पश्चिम -  केन्द्रीय रेलवे और कई रेलवे ! घुश खोर और चापलूस रेलवे   प्रशासन ने  चापलूस मान्यताप्राप्त रेलवे के नेताओ की ही सुनी ! यह बहुत बड़ी बिडम्बना है ! झूठ के आगे -सत्य हारते   जा रहा है ! इस देश को-  अगर इश्वर है , तो वही इसकी रक्षा करेंगे ! आज - कल सत्य वादी लाचार और असहाय हो गए है ! 
                                                मदुरै रेलवे स्टेशन का सुन्दर बाहरी दृश्य !
मैंने एक माह पूर्व ही  दक्षिण - भारत की यात्रा की मनसा बना ली थी अतः रेलवे में सुबिधानुसार रिजर्वेसन भी करा लिया था  ! किन्तु टिकट द्वितीय दर्जे के वातानुकूलित - में वेट लिस्ट में ही था ! मंडल हेड क्वार्टर में होने के नाते मुझे भरोसा था की टिकट को इमरजेंसी कोटा में कन्फर्म  करा लूँगा ! यात्रा के प्रारूप इस प्रकार से थे--
गुंतकल से  मदुरै , मदुरै से कन्याकुमारी और कन्याकुमारी से वापस गुंतकल ! 

बारी थी --गुंतकल से मदुरै जाने की ! यात्रा  के दिन सुबह मैंने अपने बड़े पुत्र  रामजी  को इमरजेंसी कोटा में आवेदन  देने के लिए कह दिया था ! उन्होंने ऐसा ही किया ! ट्रेन संख्या थी - १६३५१ बालाजी एक्सप्रेस ( मुम्बई से मदुरै जाती है ) !  गुंतकल सुबह चार बजे आती है ! लेकिन लिपिक ने बताई की- इस ट्रेन में कोई  भी इमरजेंसी कोटा नहीं  है ! मेरे पुत्र  साहब घर वापस  आ गए  और नेट में तात्कालिक स्थिति की जानकारी ली  ! पाया की अब वेट लिस्ट -१,२,३,और ४ है ! किन्तु चार्ट नोट प्रिपेयर  ! मुझे मेरे दफ्तर से छुट्टी पास हो गयी थी ! शाम को बाजार  से वापस आया और बालाजी से पूछा की आप के  भैया जी कहा गए है ?

 बालाजी ने कहा - " भैया बुकिंग आफिस में गए है !  पता करने की -कहीं चार्ट सबेरे तो नहीं आएगा ? "
उसी समय रामजी भी आ गए ! उन्होंने मुझे सूचना दी की- "  खिड़की के लिपिक ने साढ़े आठ बजे फिर पता करने की इतला दी है  ! चार्ट आठ बजे पूरा हो जायेगा ,जब पुरे भारत के रिजर्वेशन खिड़की बंद हो जायेंगे !"
रामजी ने कहा की मै यात्रा पर नहीं जाऊंगा !  मुझे प्रोजेक्ट वर्क करने है ! सभी के विचार  कमोवेश यही थे ! बालाजी के मन में उदासी घेर गयी ! आखिर बच्चे  का मन जो ठहरा ! मैंने  मन ही मन साई बाबा के नाम को याद किया ! मैंने भी सभी को कह दिया की यात्रा शंका के घेरे में है ! छुट्टी रद्द करनी पड़ेगी ! प्रोग्राम रद्द समझे !

समय की सुई आगे बढ़ी , बालाजी ने याद दिलाई - डैडी .. पि एन आर देखें , समय हो गया ! साढ़े आठ बज रहे थे ! रामजी जो नेट पर ही वैठे थे -- पि.एन.आर.को चेक किये और पाए की  तीन बर्थ कन्फर्म हो गए है ! सभी के चेहरे ख़ुशी से झूम उठे ! फिर क्या था --अपने -अपने सामान सूट केश में रखने की तैयारी होने लगी ! सिर्फ रामजी के चेहरे पर मंद - मंद ख़ुशी दिखी ! हम दोनों  ने फिर रामजी से पूछा की आप के क्या विचार है ?  उन्होंने कहाकि आप लोग यात्रा पर जरुर जाएँ , मेरे बारे में चिंता न करें ! फिर कभी मै अपने दोस्तों के साथ पिकनिक पर निकालूँगा !

दुसरे दिन समयानुसार हम स्टेशन  पर पहुंचे ! रामजी हमें छोड़ने आयें ! ट्रेन समय से आई ! ट्रेन में दाखिल होने पर हमने पाया की -हमारे सभी नॉमिनेटेड बर्थ ओकुपयिड है ! टी.टी.इ साहब आयें ! हमने अपने बर्थ को खाली कराने को कहा -तो उन्होंने हमसे कहा की आप लोग एक बर्थ ले लें और दो छोड़ दे ! मेरे बड़े पुत्र राम को गुस्सा आ गया ! हम तीन व्यक्ति यात्रा पर जा रहे है और आप बर्थ छोड़ने को कह रहे है , वह भी रात को जब सोने का  समय है ! बेचारा टी.टी इ झक मार कर रह गया ! शायद कमाई मार गयी ! इस तरह  से पहले दिन की यात्रा शुरू हुयी !
                                    यात्रा के दौरान  बालाजीअपने मम्मी के गोद में मुहं छुपाते हुए !

यात्रा के दौरान मेरे असोसिएसन के लोगो ने फोन कर मुझे बताया की - मेरे ठहरने का इंतजाम मदुरै में कर दिया गया है ! किन्तु मैंने कहा की मुझे रिटायरिंग रूम ही चाहिए !( होलीडे होम भी बुक करना चाहा था , किन्तु उस दिन खाली नहीं था ! ) रात को साढ़े बारह बजे मदुरै पहुंचे ! यह मेरी दूसरी यात्रा मदुरै की थी अतः कोई असुबिधा नहीं हुयी ! मै ट्रेन से उतर कर  सीधे रिटायरिंग रूम के काउंटर पर गया ! सूचना मिली की आप को रूम सुबह ही मिलेगा ! अभी आप एक बेड वाले रूम में पनाह ले ! हमने भी ऐसा ही किया ! सुबह ६ बजे उन्होंने ही हमारे नींद में दखल किया और दो बेड वाले रूम में जाने के लिए आग्रह किया !
                   रेलवे का रिटायरिंग रूम और सोफे पर - बालाजी आराम करते हुए ! बहुत थक गए है !

 मदुरै रेलवे के   रिटायरिंग रूम  में अति सुन्दर व्यवस्था ! जो प्रायः सस्ते और आराम दायक लगा ! दो बेड , तीन टेबल , चार कुर्सी, दो लोगो को एक साथ बैठने वाला सोफा , रेडिंग  लेम्प , साफ - सुथरा बाथ रूम , ड्रेसिंग  टेबल और टायलेट ....सिर्फ साढ़े चार सौ प्रति चौबीस घंटे के लिए ! सुबह चाय या काफी और तमिल / मलयालम / इंगलिश - पसंदीदा अखबार फ्री सपलाई ! कमरा  भी बड़ा ! मुझे बहुत जंचा ! अगर कभी आप जाये तो इधर ही तशरीफ लें ! अच्छा रहेगा !
मीनाक्षी मंदिर - ऊपर सोने का गुम्बद जो दिखाई दे रहा है , उसके अन्दर ही माँ / देवी की प्रतिमा है !
आठ बजे के करीब , हम पूरी तरह से तैयार हो कर - मीनाक्षी देवी के दर्शन और पूजा हेतु मंदिर की तरफ प्रस्थान किये ! मंदिर अपने आप में बहुत ही भव्य है ! मंदिर के चारो ओर की ऊँची बड़ी सुन्दर मीनारों की कतार प्रान्त भूमि की हरियाली से बहुत ही मनोरंजक मालूम पड़ती है ! सभी बहार से आने वाले दर्शक इसे देख मन्त्र - मुग्ध हो जाते है ! भक्त लोग पूर्वी भाग से ही मंदिर में प्रवेश करते है ! कारण यह है की सबसे पहले देवी मीनाक्षी और फिर सुन्दरेश्वर ( शिव ) के दर्शन करना  तो प्रथा बन गयी है ! 
                   मीनाक्षी मंदिर के अन्दर तालाब में - स्वर्ण कमल ! तालाब में पानी नहीं है !
मंदिर के ध्य में ही एक  तालाब है !  जिसे सोने का तालाब कहते है क्यों की इसके अन्दर सोने का बना हुआ - कमल का फूल है ! कहा जाता है की इन्द्र जी पूजा के लिए यही से सोने का फूल तोड़ते थे ! यह भी कहा गया है की मदुरै शहर भी कमल के फूल जैसा ही है ! मंदिर के अन्दर अष्ट शक्ति  मंडप , मीनाक्षी नायक मंडप स्वर्नापद्म जलाशय  , झुला मंडप ,श्री मीनाक्षी की प्रतिष्ट ,विनायक जी , श्री शिव जी का स्थान ,मीनारे , संगीत स्तंभ ,अलगर मंदिर  देखने योग्य है !

                               मीनाक्षी मंदिर के अन्दर का एक दृश्य और सुन्दर पेंटिंग , मनमोहक !
    नवमी के दिन एक घंटे तक बारिश हुयी और मंदिर के चारो और पानी भर गया ! दर्शक परेशान
                                                             मंदिर का एक   नमूना

कहते है केवल शिव जी की प्रतिमा व् चारो और का अहाता सातवी सदी से बसा हुआ था ! देवी मीनाक्षी का मंदिर बारहवी सदी में बनवाया गया !मंदिर का अधिकांस भाग , जो अभी है बारहवी और चौदहवी सदी के अन्दर निर्मित हुआ ! मदुरै त्योहारों का शहर है !बिना त्यौहार का कोई महिना नहीं गुजरता है !चैत्र , श्रवण और पौष माह के त्यौहार बहुत मुख्य है ! मदुरै शहर दक्षिण की तरफ आने वाले हर यात्री के मन को भर देता है !मीनाक्षी मंदिर तमिल संस्कृति का एक सुन्दर जीता - जगाता उदहारण  प्रस्तुत करता है ! मदुरै शहर दक्षिण दर्शन का केंद्र बिंदु है ! यहाँ से दक्षिण के सभी तीर्थ करीब है और आसानी से जाया जा सकता है !  और ज्यादा जानने के लिए  यहाँ जा सकते है - मेरी पहली यात्रा .. kuchh aur 
  पोस्ट लम्बा हो रहा है , अतः अब आज्ञा दें  - अगली यात्रा रामेश्वरम  की !


Saturday, September 3, 2011

तीसरी नजर

कल यानि दुसरे सितम्बर २०११ को शोला पुर में था ! सोंचा चलो अच्छा हुआ , गणपति दर्शन हो जायेंगे ! शाम को बादल  उमड़ - घुमड़ रहे थे !  छतरी भी साथ ले लिया ! सहायक भी साथ में था ! चारो तरफ शहर में घुमे , पर रौनक नजर नहीं आई ! लगता था जैसे सभी अन्ना हजारे के समर्थन में इस वर्ष की उत्सव -साधारण तौर पर मना रहे  है ! किसी से पूछने का साहस  नहीं किया - आखिर क्यों ऐसा ? हमारे गुंतकल में ही गणपति का उत्सव बड़े धूम - धाम से मनाया गया है ! आज विसर्जन होने वाला है ! सोंचा कुछ बधाई और शुभकामनाओ को ब्लॉग पर डाल ही  दूँ ! मेरे बालाजी का अपना गणपति  पूजा मजेदार का रहा !  यहाँ देंखे - कैसी रही बालाजी की गणपति पूजा ? 

                                     आप सभी को गणेश चतुर्दशी की ढेर सारी शुभकामनाएं !
अब कुछ जेलर की तरफ ध्यान दे ! तिरछी नजर से परेशां -उसने आज खूब चढ़ा ली थी ! डंडे को भांजते हुए वह फिर कसाव के रूम के पास हाजिर हुआ ! नशे में धुत ! जोर से हँसाना शुरू किया ! ह्ह्ह्हह्ह्ह्ह   हां हां हां हां हां हां हां ..ही ही ही ही ही ..हु हु हु हु हु हु हु ...हे हे हे हे हे ...इस जोशीले आवाज को सुन सभी संतरी जेलर के पास आ खड़े हुए ! भय -भीत  !  जेलर की हंसी  ...ठीक गब्बर सिंह के  जैसा ! देखते - देखते सभी संतरी भी हंसी में मशगुल हो गए ! कसाब  को भी हंसी आ ही गयी ! पर आज वह  सहमा सा दिखा ! न जाने क्यों ? उसे कोई  अनजानी आशंका  दबोच ली  ! 
  " अबे कसाब ? "- जेलर कसाब  की तरफ मुखातिब हो बोला !  " स्साले सब बच गए ! कितने  आदमी थे ?..बिलकुल तीन ! हा  हा  हा  ये राजनीति ....बहुत  कमाल  की.. है...... किसी को फांसी पर भी न चढाने देगी ! अबे ..अब तेरी भी बकरी ( बकरीद के वजाय -बकरी बोल गया ) नहीं आएगी .." वह नशे में धुत था ! उसके शब्द टूट -टूट कर  बाहर निकल रहे थे ! वह राजीव गाँधी के गुनाहगारो के फाँसी की सजा पर लगी रोक से तिलमिलाए हुए था ! फिर बोला -" अब तू भी बच जाएगा ,देवेंदर पाल  सिंह भुल्लर भी बचेगा और ...और...और वो संसद वाला ...   सांसदों  का गुरु ......अफजल भी बचेगा ! प्रक्रिया ...मुख्य  मुख्य मंत्रियो .....द्वारा ...तेज  हो गयी  ...है  !" इस समाचार ने  कसाब के मुखमंडल पर...थोड़ी सी मुस्कराहट बिखेर दी !" जेलर  संतरियो की तरफ देखा और फिर कहने लगा ---अब नए सम्मान दिए जायेंगे -जानते हो ? 
एक हत्या वाले को --पद्मश्री  ..हा..हा..हां.
दो हत्या वाले को--पद्मभूषण  ...........................
तीन हत्या वाले को पद्मविभूषण  ..और  
चार से ज्यादा हत्या वाले को  भारतरत्न  " - जेलर अपने डंडे को भांजने लगा ! 
" तो  सर...  क्या इसे ( कसाब को )  भारतरत्न का सम्मान मिलने वाला है ? "- एक  संतरी  ने प्रश्न  किया ! 
  " जरुर ..जरुर मिलेगा ..हाँ मिलेगा जरुर...इसी के काबिल यह है "--जेलर ने कहा और जोर का ठहाका लेकर कसाब को देख बोला -- " तेरे इस दुनिया में , तेरे पास आतंक ,लूट ,दंगा ,भुखमरी , चोरी ,बलात्कारी ,हत्या या क्या-क्या के सिवा क्या है ?..हाँ..हाँ ..हाँ ..हाँ!'' क्षण भर के लिए रुका और बोलने लगा - "जानता है हमारे पास क्या है ?.......हमारे पास ..सिर्फ और सिर्फ....अहिंसा है



Tuesday, August 30, 2011

तिरछी नजर


जादुई छड़ी को कुछ समय के लिए निलंबित कर , सोंचा कुछ चटपटी सी हो जाये ! हमेशा अवसाद , संस्मरण और विवादों से दूर ...कुछ हंसी - मजाक भी होने चाहिए ! अन्यथा मन उबाऊ हो जाता है ! चलिए इस कड़ी में एक नजराना पेश है --तिरछी नजर - कमाल कर गयी !



सुबह का समय , मुम्बई का आर्थर जेल ! जेलर साहब अपने वर्दी में डंडे भांजते हुए , जेल के कैदियों के मुआयने करने निकले ! कसाव को देखते हुए - उसके कमरे से आगे बढे ! उन्हें देख कसाब जोर से हंसा ! जेलर के पाँव रुक गए ! पूछे ? अबे इतना क्यों हँसता है ? 

 कसाव हंसते हुए कहा - " इस लिए की इण्डिया दुनिया का सबसे सुरक्षित जगह है ! अब तक तो पाकिस्तान  में मर गया होता ! हमारे यहाँ अब तक अपने ही  मार डालते थे ! "  जेलर  गुस्से से तिल- मिलाया ! बोला -  " तू मेरा वी.आई .पी.है ! अपने से आया है - हमारे इजाजत  से जायेगा ! बकरीद आने दे ! " फिर पैर पटकते हुए - जेलर   डंडे को कांख में दबाये आगे बढ़ गया , शोले के आसरानी जैसा  !

.......हां ...हां ..हा..हां ..हां

Sunday, July 31, 2011

चलना ही जीवन है ! ( शीर्षक --डॉ मोनिका शर्मा जी )

कल रेनिगुंता में था !बारिश की फुहार पड़ रही थी ! हौले - हौले ! न जाने कितनी पानी की बुँदे ,जैसे दर्द बन कर गीर रही थी ! टप- टप ! लगता था जैसे सारा वातावरण रो रहा हो ! उमस के बाद ठंढी मिली थी ! बड़ी सुहावन लगी ! जल ही जल ! इसी लिए कहते है - जल ही जीवन है ! बूंद टूटा आसमान से ! धरती पर गीरा ,बहते हुए कुछ मिटा ,कुछ खिला और कुछ अपने अस्तित्व को बचा लिया ! यही तो जीवन है ! इसमे न पहिया है , न तेल ! बिलकुल चलता ही रहता है ! अजीव है यह जीवन ! कितना प्यारा ! कितना दुलारा ! सब चीज का जड़ ! क्या काटना अच्छा होगा ? या संवारना ? 

 सभी को अपने प्राण प्यारे होते है ! थोडा ही सही , किन्तु बहुत प्यारे ! आईये देखते है , वह भी बिना टिकट के ! आज की बात है ! जब मै रेनिगुंता से चेन्नई - दादर सुपर फास्ट लेकर चला ! मेरे साथ हवा चली ! लोको चला और पीछे यात्रियों से भरा कोच ! सभी अपने में मग्न ! मै भी , प्राकृतिक छटाओ को निहारते ,सिटी बजाते , जंगल के मध्य बने दो पटरियों पर , लगातार बढ़ते जा रहा था ! जब ट्रेन जंगल से गुजरती है तो बहुत ही मनोहारी दृश्य देखने को मिलते है ! आप को कोच से जीतनी सुहानी लगती है , उससे ज्यादा हमें ! कभी मोर दिखे तो कभी कोई हिरन छलांग लगा दी !

लेकिन आज जो मै देखा , वह एक अजीब सी लगी ! उस बिन टिकट यात्री को ! जो मेरे लोको के अन्दर चिमट कर बैठ  गयी  थी  ! हम  पूरी ड्यूटी के दौरान ,कई बोतल पानी गटक गए ! रास्ते में कहीं गर्मी तो कही बादल ! रेनिगुंता से गुंतकल की दुरी ३०८ किलोमीटर ! वह बिना पानी और भोजन के एक कोने में सिमटी हुयी जिंदगी की आस में उछल - कूद किये जा रही थी ! जब मेरी नजर उस पर पड़ी ! मै  उसे देखते रह गया ! इतनी सुन्दर  चित्रकारी और बेजोड़ कलाकारी ,वाह ! बार - बार ध्यान से देखा ! अपने सहायक को देखने के लिए विवस किया ! वह भी मुह खोले रह गया  ! इश्वर ने क्या चीज बनायी है !

छोटी सी दुनिया , इतनी खुबसूरत ! आज मेरे लोको में यात्री थी ,बिना टिकट के ! २७५ किलोमीटर तक मेरे साथ रही ! न पानी पी न भोजन  ! उसकी दशा  देख  , मुझे  तरस आ गयी  ! मैंने उससे कह दी तू गूत्ति आने के पहले अपने दुनिया में चली जा ! कब तक बिन खाए पीये  यहाँ पड़ी रहेगी ! शायद वह मेरे मन की बात समझ गयी ! गूत्ति आने के पहले ही वह फुर्र हो गयी ! क्योकि चलना ही जीवन है ! अगर वह और कुछ घडी रुक जाती , तो मौत  निश्चित थी ! मैंने उसमे जुरासिक पार्क के डायनासोर देखें! अब आप भी देंख लें -
 बिन टिकट यात्री !शीशे के पास दुबकी हुयी !
 ट्रेन की गति कम होने पर , जीवन की एक कला   !
 अपनी दुनिया के लिए बेचैन !
ध्यान से देंखें - उसके पंख पर डायनासोर ही तो है !इस्वरीय करामात !
यह तितली अपने को पूर्ण रूप से सुरक्षित रखते हुए यात्रा करती रही ! ट्रेन के रुकने पर पंख को फैलाना  और तेज गति के समय सिकोड़ लेना , जीवन की बुद्धिमता ही तो है ! हम भी इस मायावी संसार में फैलने और सिकुड़ने में व्यस्त है ! आखिर एक दिन सभी को बिन टिकट यात्रा करनी पड़ेगी ! यही तो कह गयी यह मेरी  प्यारी तितली !

Sunday, July 10, 2011

परिणाम

                   मै  और बालाजी गंगा जी में स्नान करने जाते हुए !


परिणाम  - पिछले पोस्ट - " आप एक सुन्दर शीर्षक बतावें ?" के प्रयास स्वरुप मुझे कई रोचक और सार्थक सुझाव मिले , जो टिपण्णी के साथ मौजूद है ! सभी को मेरी बधाई !उसे एक बार उधृत करना चाहूँगा !

  1.  
१) श्री सुरेन्द्र सिंह "झंझट "= खतरों से खेलती जिंदगी ! 

२) श्री राकेश कुमार जी =सर्प में रस्सी ! 

३) श्री विजय माथुर जी =जाको राखे साईया मार सके न कोय ! 

४) डॉ  मोनिका शर्मा जी =  चलना ही जीवन है ! 

५) सुश्री  रेखा जी = सतर्कता हर जगह ! 

६) श्री सुधीर जी =खतरे में आप और सांप ! 



७ ) श्री संजय @मो सम कौन ? = कर्मचारी अपने जान के खुद जिम्मेदार है ! और  

८) श्री दिगंबर नासवा =जीवन के अनुभव ! 

यहाँ नंबर एक ही सर्वश्रेष्ट है अर्थात श्री सुरेन्द्र सिंह " झंझट " के सुझाव अत्यंत योग्य लगे ! क्योकि सर्प और लोको पायलट , दोनों की जिंदगी एक सामान है !  दोनों ही अपने क्षेत्र में खतरों से खेलते है ! यह लेख भी सर्प और लोको पायलटो के जिंदगी के इर्द - गिर्द ही सिमटी हुई थी ! बाकी सभी 7 सुधि पाठको के विचार भी योग्य है ! भविष्य में , मै इन शीर्षकों से सम्बंधित पोस्ट लिखूंगा और आप सभी के शीर्षक ही विचारणीय होंगे !  


अभी मै दक्षिण सम्मलेन में व्यस्त हूँ , जो तारीख - २०-०७-२०११ को गुंतकल में ही आयोजित की गयी है ! जिसमे दक्षिण रेलवे , दक्षिण - पश्चिम  रेलवे और दक्षिण - मध्य रेलवे के लोको पायलट भाग ले रहे है ! इसके  संचालन , व्यवस्था  और देख -भाल की जिम्मेदारी मेरे ऊपर ही है ! अतः १०  / १२ दिनों तक ब्लॉग जगत से दुरी बनी रहेगी ! ब्लॉग पोस्ट पढ़ने और टिपण्णी देने में भी असमर्थ ! 


                  अब आज के विचार-


  जब हम निस्वार्थ भाव से नदी के पानी में डुबकी लगाते है ,  तो हमारे सिर के ऊपर हजारो टन पानी ..होने के वावजूद भी , हमें कोई बोझ मालूम नहीं होता ! किन्तु उसी नदी के पानी को स्वार्थ में वशीभूत होकर , जब घड़े में लेकर चलते है , तो बोझ महसूस होती है ! अतः स्वार्थी व्यक्ति इस दुनिया में सदैव बोझ से उलझते रहते है और निस्वार्थ लोग सदैव मस्त !

Thursday, June 30, 2011

लघु कथा --वीर मेरे अंगना

शादी की तैयारी जोरो पर थी ! आज बारात आने वाली थी ! श्याम सुन्दर जी  दौड़ -दौड़ कर सभी को कह रहे थे - देखो जी कोई कसर न रह जाए , अन्यथा लडके वाले  नाराज हो जायेंगे ! गाँव का माहौल  ...फिर भी शहर से कम रौनक नहीं थी ! जहां  देखो - वही चहल पहल  ! लौड़ स्पीकर बज रहे थे ! हलवाई तरह - तरह के व्यंजन बनाने में मशगुल !  कहार पानी भरने में ब्यस्त ! द्वार पर हित - नाथ आने लगे थे ! बच्चे शामियाने में खेल- कूद में मग्न ! पंडित जी आ गए थे ! सत्यनारायण भगवान  की पूजा शुरू  होने वाली थी ! नाउन चौक पूर रही थी ! शकुन्तला देवी घर के भीतर के सभी इंतजाम में ब्यस्त ! आँगन पूरी तरह से भर गया था ! आखिर इतनी भाग दौड़ क्यों ?, चुकी निर्मला की शादी जो थी , जानी मानी टी.वि.चैनल की एंकर  , वह भी ..शहरी लडके और शान - शौकत वाले से  ,  उस पर   एकलौती बेटी ! श्याम सुन्दर जी माध्यम वर्गीय ! बहुत कुछ दान - दहेज़ में दिया था !

धीरे - धीरे समय घहराया और गाँव के गोयड़े पर बरात आकर रुक गयी थी ! बाजे की शोर गुल सुन बच्चे उधर भागे ! श्याम सुन्दर जी द्वारपूजा के लिए , हजाम को खोज रहे थे , तभी वह आ धमाका ! उसने श्याम  सुन्दर जी के कानो में कुछ कही ! उसकी बातें सुन - श्याम सुन्दर के कान खड़े हो गए ! घर में भागे ! आंगन में शकुन्तला मिल गयी !" शकुन्तला गजब हो गया !" उन्होंने पत्नी को संबोधित कर कहा ?

पत्नी घबडाई सी -" अजी ऐसा क्या हो गया ? इस शुभ घडी में !" रुवासे सी आवाज में श्याम सुन्दर जी ने कहा - " दुल्हे   के पिता  ने   - अभी तुरंत दो लाख रुपये मांगे है ! नहीं देने की हालत में बरात वापस लेकर चले जायेंगे ! " शकुन्तला के मुह से निकला - " हे भगवान ये कैसी अग्निपरीक्षा ! इतना सारा रुपया कहाँ  से लावें ! जो था सभी दे दिए !" फिर उनके तरफ मुड कर बोली ! एक बार जाकर तो देखिये ! मन्नत - विनती से काम चल जाए !

श्याम सुन्दर गम की मुद्रा में उठे और  चल दिए ! आस - पास के हित - नाथ और औरतो में यह बात ,  जंगल की आग की तरह फैल गयी !   यह बात चारो तरफ फैलने भी  लगी ! श्याम सुन्दर जी ने बहुत  चिरौरी विनती की , पर दुल्हे के घर वालो पर कोई फर्क नहीं पडा ! बारात लौटने लगी ! श्याम सुन्दर जी के प्राण ही निकल जायेंगे वैसा लग रहा था ! तभी एक युवक भीड़ से बाहर आया और श्याम सुन्दर जी से कुछ कहा !

श्याम सुन्दर जी उस युवक को लेकर घर आयें और उस कमरे की तरफ गए ,  जहां  उनकी वेटी को सजाया जा रहा था ! सभी सखी - सहेलियों को  एक मिनट के लिए बाहर जाने को कहा और  उनहोने सभी घटनाओं को बिस्तार से  अपनी वेटी को बतला   दिए ! पुत्री ने एक टक पिता की ओर देखि  और  उस युवक के साथ  एकांत में ... बात- विमर्श किया , फिर  शादी के लिए तैयार हो गयी !

उसी मंडप में  निर्मला की शादी ,  उस युवक से कर दी गयी ! वह युवक उसी गाँव का रहने वाला था , जिस गाँव से बारात आई थी ! सुबह माड़ो में  दुल्हन और दुल्हे  को बैठाया गया था ! गाँव की औरते इस वीर पुरुष को देखने के लिए झुण्ड के झुण्ड जुटने लगी थी ! चारो तरफ उसके गुण - गान किये जा रहे थे ! तभी निर्मला की एक सहेली ने पूछ दिया - पहले वाले तो सोफ्ट वेयर इंजिनियर थे , ये वाले क्या है ?

 " लिख लोढा पढ़ पत्थर  " निर्मला ने जबाब दिया ! जो सत्य था !
 " यानी एल.एल.पि.पि."- किसी  सहेली ने चुटकी ली !
हाँ .. उस पढ़े -लिखे और सभ्य दुनिया  से बहुत अच्छा है ! " निर्मला ने कहा !


Saturday, March 12, 2011

मेरे बाला जी

 वर्ष-२००६-२००७  स्कूल डे समारोह में बालाजी को मेडल प्रदान करती हुई-उस समय के डी.आर.एम् ( गुंतकल मंडल )  की पत्नी श्रीमती मनोहरन....
    
  २६-०१-२०११  को गुंतकल परेड ground में सैनिको के रोल में देश भक्ति गीत के साथ नृत्य करते  हुए-बाला जी  ( टोपी वाले , बिच में )---
   ४७ वा वार्षिक डे समारोह में नृत्य करते .... हुए बाला जी -    दिनांक -२६-०२-२०११ 
                 
    (फोट आभार -scrwwo / गुंतकल मंडल  )

Friday, January 7, 2011

Potential gold mines found in Kerala!!!!

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 So Register yourself on Kerala matrimony today Itself :-)  







Wednesday, October 13, 2010

AISA PYAR BAHADE MAIYA - (Hindi Bhajan) - Rahi Bains



           कहा जाता है की जब-जब,इस धरती पर अत्याचार बढ़ है,तब-तब धरती पर देवी-देवातावो का आगमन हुआ था.इस बरस भी हमेशा की तरह माँ का आगमन हो गया है.आये हम सब मिलकर माँ से इस दुनिया के सभी बुराइयों को नाश करने की प्रार्थना करें.हमें बिस्वास है हम बच्चो की आवाज माँ जरुर सुनेंगी .इसी याद में एक सुन्दर प्रस्तुति,आप भी सुनें.एक बार फिर इस नवरात्र की शुभ कामनाएं.माँ की ममता इस बार भी बरसेगी........................

Wednesday, August 18, 2010

SUPER MAN

Amitabh Bachchan At Sabarmati Ashram

Amitabh Bachchan is busy shooting for the campaign for promoting tourism in Gujarat and has already released three short advertisements with Chief Minister Narendra Modi. Big B had been chosen as the brand ambassador for Gujarat in January this year, around the release of his film Paa. The Amitabh-Abhishek Bachchan starrer ‘Paa’ was later declared tax-free in Gujarat.

The superstar put up photos of the filming on his Twitter account. Amitabh has been shooting in the Kutch desert, Sabarmati ashram, Gir sanctuary, Somnath temple and Akshardham temple.

At the Sabarmati ashram, Amitabh even tried learning the charkha. Later, he attended a laser show at the Akshardham temple.