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Monday, October 10, 2011

दक्षिण भारत - एक दर्शन

दशहरे की धूम आई और चली गयी !सभी ने अपने - अपने ढंग से इस पर्व को मनाया ! रेलवे की बोनस -हंगामा और गुहार करने के बाद भी , कैस के रूप में ही अदा हुयी , कुछ ज़ोन में अपील करने वालो की बोनस - सीधे उनके बैंक खातो में भेंज दी गयी ! जैसे दक्षिण - पश्चिम रेलवे , पश्चिम -  केन्द्रीय रेलवे और कई रेलवे ! घुश खोर और चापलूस रेलवे   प्रशासन ने  चापलूस मान्यताप्राप्त रेलवे के नेताओ की ही सुनी ! यह बहुत बड़ी बिडम्बना है ! झूठ के आगे -सत्य हारते   जा रहा है ! इस देश को-  अगर इश्वर है , तो वही इसकी रक्षा करेंगे ! आज - कल सत्य वादी लाचार और असहाय हो गए है ! 
                                                मदुरै रेलवे स्टेशन का सुन्दर बाहरी दृश्य !
मैंने एक माह पूर्व ही  दक्षिण - भारत की यात्रा की मनसा बना ली थी अतः रेलवे में सुबिधानुसार रिजर्वेसन भी करा लिया था  ! किन्तु टिकट द्वितीय दर्जे के वातानुकूलित - में वेट लिस्ट में ही था ! मंडल हेड क्वार्टर में होने के नाते मुझे भरोसा था की टिकट को इमरजेंसी कोटा में कन्फर्म  करा लूँगा ! यात्रा के प्रारूप इस प्रकार से थे--
गुंतकल से  मदुरै , मदुरै से कन्याकुमारी और कन्याकुमारी से वापस गुंतकल ! 

बारी थी --गुंतकल से मदुरै जाने की ! यात्रा  के दिन सुबह मैंने अपने बड़े पुत्र  रामजी  को इमरजेंसी कोटा में आवेदन  देने के लिए कह दिया था ! उन्होंने ऐसा ही किया ! ट्रेन संख्या थी - १६३५१ बालाजी एक्सप्रेस ( मुम्बई से मदुरै जाती है ) !  गुंतकल सुबह चार बजे आती है ! लेकिन लिपिक ने बताई की- इस ट्रेन में कोई  भी इमरजेंसी कोटा नहीं  है ! मेरे पुत्र  साहब घर वापस  आ गए  और नेट में तात्कालिक स्थिति की जानकारी ली  ! पाया की अब वेट लिस्ट -१,२,३,और ४ है ! किन्तु चार्ट नोट प्रिपेयर  ! मुझे मेरे दफ्तर से छुट्टी पास हो गयी थी ! शाम को बाजार  से वापस आया और बालाजी से पूछा की आप के  भैया जी कहा गए है ?

 बालाजी ने कहा - " भैया बुकिंग आफिस में गए है !  पता करने की -कहीं चार्ट सबेरे तो नहीं आएगा ? "
उसी समय रामजी भी आ गए ! उन्होंने मुझे सूचना दी की- "  खिड़की के लिपिक ने साढ़े आठ बजे फिर पता करने की इतला दी है  ! चार्ट आठ बजे पूरा हो जायेगा ,जब पुरे भारत के रिजर्वेशन खिड़की बंद हो जायेंगे !"
रामजी ने कहा की मै यात्रा पर नहीं जाऊंगा !  मुझे प्रोजेक्ट वर्क करने है ! सभी के विचार  कमोवेश यही थे ! बालाजी के मन में उदासी घेर गयी ! आखिर बच्चे  का मन जो ठहरा ! मैंने  मन ही मन साई बाबा के नाम को याद किया ! मैंने भी सभी को कह दिया की यात्रा शंका के घेरे में है ! छुट्टी रद्द करनी पड़ेगी ! प्रोग्राम रद्द समझे !

समय की सुई आगे बढ़ी , बालाजी ने याद दिलाई - डैडी .. पि एन आर देखें , समय हो गया ! साढ़े आठ बज रहे थे ! रामजी जो नेट पर ही वैठे थे -- पि.एन.आर.को चेक किये और पाए की  तीन बर्थ कन्फर्म हो गए है ! सभी के चेहरे ख़ुशी से झूम उठे ! फिर क्या था --अपने -अपने सामान सूट केश में रखने की तैयारी होने लगी ! सिर्फ रामजी के चेहरे पर मंद - मंद ख़ुशी दिखी ! हम दोनों  ने फिर रामजी से पूछा की आप के क्या विचार है ?  उन्होंने कहाकि आप लोग यात्रा पर जरुर जाएँ , मेरे बारे में चिंता न करें ! फिर कभी मै अपने दोस्तों के साथ पिकनिक पर निकालूँगा !

दुसरे दिन समयानुसार हम स्टेशन  पर पहुंचे ! रामजी हमें छोड़ने आयें ! ट्रेन समय से आई ! ट्रेन में दाखिल होने पर हमने पाया की -हमारे सभी नॉमिनेटेड बर्थ ओकुपयिड है ! टी.टी.इ साहब आयें ! हमने अपने बर्थ को खाली कराने को कहा -तो उन्होंने हमसे कहा की आप लोग एक बर्थ ले लें और दो छोड़ दे ! मेरे बड़े पुत्र राम को गुस्सा आ गया ! हम तीन व्यक्ति यात्रा पर जा रहे है और आप बर्थ छोड़ने को कह रहे है , वह भी रात को जब सोने का  समय है ! बेचारा टी.टी इ झक मार कर रह गया ! शायद कमाई मार गयी ! इस तरह  से पहले दिन की यात्रा शुरू हुयी !
                                    यात्रा के दौरान  बालाजीअपने मम्मी के गोद में मुहं छुपाते हुए !

यात्रा के दौरान मेरे असोसिएसन के लोगो ने फोन कर मुझे बताया की - मेरे ठहरने का इंतजाम मदुरै में कर दिया गया है ! किन्तु मैंने कहा की मुझे रिटायरिंग रूम ही चाहिए !( होलीडे होम भी बुक करना चाहा था , किन्तु उस दिन खाली नहीं था ! ) रात को साढ़े बारह बजे मदुरै पहुंचे ! यह मेरी दूसरी यात्रा मदुरै की थी अतः कोई असुबिधा नहीं हुयी ! मै ट्रेन से उतर कर  सीधे रिटायरिंग रूम के काउंटर पर गया ! सूचना मिली की आप को रूम सुबह ही मिलेगा ! अभी आप एक बेड वाले रूम में पनाह ले ! हमने भी ऐसा ही किया ! सुबह ६ बजे उन्होंने ही हमारे नींद में दखल किया और दो बेड वाले रूम में जाने के लिए आग्रह किया !
                   रेलवे का रिटायरिंग रूम और सोफे पर - बालाजी आराम करते हुए ! बहुत थक गए है !

 मदुरै रेलवे के   रिटायरिंग रूम  में अति सुन्दर व्यवस्था ! जो प्रायः सस्ते और आराम दायक लगा ! दो बेड , तीन टेबल , चार कुर्सी, दो लोगो को एक साथ बैठने वाला सोफा , रेडिंग  लेम्प , साफ - सुथरा बाथ रूम , ड्रेसिंग  टेबल और टायलेट ....सिर्फ साढ़े चार सौ प्रति चौबीस घंटे के लिए ! सुबह चाय या काफी और तमिल / मलयालम / इंगलिश - पसंदीदा अखबार फ्री सपलाई ! कमरा  भी बड़ा ! मुझे बहुत जंचा ! अगर कभी आप जाये तो इधर ही तशरीफ लें ! अच्छा रहेगा !
मीनाक्षी मंदिर - ऊपर सोने का गुम्बद जो दिखाई दे रहा है , उसके अन्दर ही माँ / देवी की प्रतिमा है !
आठ बजे के करीब , हम पूरी तरह से तैयार हो कर - मीनाक्षी देवी के दर्शन और पूजा हेतु मंदिर की तरफ प्रस्थान किये ! मंदिर अपने आप में बहुत ही भव्य है ! मंदिर के चारो ओर की ऊँची बड़ी सुन्दर मीनारों की कतार प्रान्त भूमि की हरियाली से बहुत ही मनोरंजक मालूम पड़ती है ! सभी बहार से आने वाले दर्शक इसे देख मन्त्र - मुग्ध हो जाते है ! भक्त लोग पूर्वी भाग से ही मंदिर में प्रवेश करते है ! कारण यह है की सबसे पहले देवी मीनाक्षी और फिर सुन्दरेश्वर ( शिव ) के दर्शन करना  तो प्रथा बन गयी है ! 
                   मीनाक्षी मंदिर के अन्दर तालाब में - स्वर्ण कमल ! तालाब में पानी नहीं है !
मंदिर के ध्य में ही एक  तालाब है !  जिसे सोने का तालाब कहते है क्यों की इसके अन्दर सोने का बना हुआ - कमल का फूल है ! कहा जाता है की इन्द्र जी पूजा के लिए यही से सोने का फूल तोड़ते थे ! यह भी कहा गया है की मदुरै शहर भी कमल के फूल जैसा ही है ! मंदिर के अन्दर अष्ट शक्ति  मंडप , मीनाक्षी नायक मंडप स्वर्नापद्म जलाशय  , झुला मंडप ,श्री मीनाक्षी की प्रतिष्ट ,विनायक जी , श्री शिव जी का स्थान ,मीनारे , संगीत स्तंभ ,अलगर मंदिर  देखने योग्य है !

                               मीनाक्षी मंदिर के अन्दर का एक दृश्य और सुन्दर पेंटिंग , मनमोहक !
    नवमी के दिन एक घंटे तक बारिश हुयी और मंदिर के चारो और पानी भर गया ! दर्शक परेशान
                                                             मंदिर का एक   नमूना

कहते है केवल शिव जी की प्रतिमा व् चारो और का अहाता सातवी सदी से बसा हुआ था ! देवी मीनाक्षी का मंदिर बारहवी सदी में बनवाया गया !मंदिर का अधिकांस भाग , जो अभी है बारहवी और चौदहवी सदी के अन्दर निर्मित हुआ ! मदुरै त्योहारों का शहर है !बिना त्यौहार का कोई महिना नहीं गुजरता है !चैत्र , श्रवण और पौष माह के त्यौहार बहुत मुख्य है ! मदुरै शहर दक्षिण की तरफ आने वाले हर यात्री के मन को भर देता है !मीनाक्षी मंदिर तमिल संस्कृति का एक सुन्दर जीता - जगाता उदहारण  प्रस्तुत करता है ! मदुरै शहर दक्षिण दर्शन का केंद्र बिंदु है ! यहाँ से दक्षिण के सभी तीर्थ करीब है और आसानी से जाया जा सकता है !  और ज्यादा जानने के लिए  यहाँ जा सकते है - मेरी पहली यात्रा .. kuchh aur 
  पोस्ट लम्बा हो रहा है , अतः अब आज्ञा दें  - अगली यात्रा रामेश्वरम  की !


Thursday, September 15, 2011

त्रिभुज

          जन्म - जन्म का साथ है हमारा  -तुम्हारा ! सभी कही न कही कह या सोंच लेते है ! देव के मन में क्या समायी जो इस दुनिया में औरत और मर्द को जन्म दे दिए ! मैंने ममता के बारे में ज्यादा जानना चाही ! ममता कुछ समय तक हंसती रही और यकायक दिल से रो पड़ी ! वह आंसू बहुत ही पीड़ादायी थे !

वह औरत , जिसे मैंने बचपन से प्रौढ़ और माँ बनते देखा था ! आज वह किसी के सहारे की मोहताज नजर आ रही थी   !संक्षेप में इस कहानी को रख रहा हूँ ! वह भी जो सुना और जान पाया ! उसका नाम ममता है ! घर आते ही , पत्नी ने मुझे बताया की - ममता अपने ससुराल से आ गयी है ! जी हाँ -वह हमारे पड़ोस में रहने वाली लड़की है  ! चार वर्ष पहले उसकी शादी धूम - धाम से हुयी थी ! दो वर्ष बाद वह एक बेटे को जन्म दी ! बेटे का जन्म भी उसके माता - पिता के घर ही हुआ ! ससुराल वाले उसे देखने या लेने नहीं आयें ! लगातार दो वर्ष हो गए ! कुछ सामाजिक दबाव के कारण --उसके ससुराल वाले एक दिन आये और उसे बिदा करा ले गए ! कुछ दिनों बाद ममता ने अपने मायके फोन पर बताई की उसका पति दूसरा शादी कर लिया है , और उस महिला  शारदा को भी घर में ही रखे हुए  है ! यह सुन ममता के मैके वाले सन्न रह गए और तुरंत पांच पुलिस वालो के साथ , उसके ससुराल जा टपके ! कहा सुनी हुयी और ममता ने उस घर में रहने से इंकार कर दिया ! 

सुनील दोनों को पत्नी बना कर रखने के लिए तैयार था !पर  ममता के पिता को  यह परहेज नहीं था , एक म्यान में दो तलवार - भला कैसे रह सकती है और अंत में मामला यहाँ तक आ टपका की  - सुनील के घर वाले शादी के पुरे सामान और खर्च वापस देने पर राजी हो गए !  उसकी सास और ससुर उसे जाते हुए एक तक देखते रहे , ताकि बहु घर से बाहर न जाय  ! ममता दिल पर पत्थर रख - घर से बाहर निकल गयी  ! गाँव और बिरादरी वाले अचंभित देखते रह गए ! ममता अब अपने पिता के घर आ गयी  ! सुनील के परिवार वाले सभी खर्च और सामान वापस कर दिए है ! 


सुनील  दूसरी पत्नी -शारदा के साथ नयी जिंदगी जी रहा है ! ममता अपने दो वर्ष के बेटे के साथ जीवन के घाव को सहला रही है ! अब प्रश्न यह उठता है की आखिर यह सब कैसे और क्यों हुआ ? एक औरत - दुसरे औरत की दुश्मन कैसे हो गयी ? एक मर्द दूसरी शादी के लिए क्यों मजबूर हो गया ? आयें कुछ हवा के रुख को ही समझे , जो कुछ सुनने को मिला !


पहले सुनील को ले ! शादी के बाद से ही उसके व्यवहार ममता के प्रति खिन्न रहा ! ममता पर उसने कई घरेलू आरोप लगाते  रहे जैसे देवर से सम्बन्ध .. गवार ...वगैरह - वगैरह ! बात यहाँ तक पहुंची की दिन प्रतिदिन पति - पत्नी में प्यार के वजाय, एक दुसरे के प्रति घृणा और द्वेष ने जन्म लेना शुरू कर दिया ! ननद के व्यवहार भी रखने लगे ! बेचारी सास और ससुर का ही सहारा बचा था ! जो उसे बेहद चाहते थे ! ममता के मन में आग की ज्वाला धधकने लगी ! एक दिन वह घर छोड़ अकेले मइके चल दी ! उस समय उसे दो माह का गर्भ भी था ! इस अवस्था में देख और चुपके से यहाँ आना , उसके पिता को अच्छा न लगा ! उसके पिता आंसू पी कर रह गए ! 

ममता का घर से मइके जाना - सुनील को एक हाथ में दो लड्डू जैसा प्रतीत हुआ ! अब उसकी कहानी पुराणी मित्र - शारदा के साथ जम गयी ! वह शहर के कालेज में पढ़ती थी ! सुनील उसे मोटर सायकिल पर बैठा कर कालेज ले जाता ! दोनों मौका मिलते ही -सिनेमा को जाते ! कालेज से घर लाता और शारदा के घर वाले कुछ नहीं बोलते थे ! उन्हें इनके नाजायज सम्बन्ध की परख न थी ! क्योकि उन्हें मालूम था - सुनील शादी सुदा है ! आग जलती रही ! रोटी पकाते रहे !  परिणाम भी बाहर आ गया ! तब जाकर सभी के कानखड़े हुए ! आनन् फानन में शारदा के घर वाले - दोनों की शादी मंदिर में कर दिए ! यहाँ से सुनील दो फूल और एक माली बन गया ! उसके घर वालो को इस बात की कोई जानकारी नहीं थी ! शारदा अपने माता- पिता के घर ही थी ! इधर सुनील को शराब   की लत ज्यादा हो गयी ! यह देख सुनील के घर वाले भी परेशां !

इधर समय के अनुसार - ममता ने एक पुत्र को जन्म दिया ! इसकी खबर उसके ससुराल भी गयी ! किन्तु कोई भी इसे देखने या बच्चे को पुचकारने नहीं आया ! देखते- देखते दो वर्ष बीत गए ! ममता का बेटा एक वर्ष का हो गया ! ममता के ससुराल से कोई भी नहीं आया ! तब जाकर ममता के पिता को दुसरे के माध्यम से सूचना देनी पड़ी ! रिश्तेदारों के दबाव में आकर सुनील एक दिन अपने ससुराल आया और ममता को बिदा करा ले गया ! 

एक रात -  सुनील ने ममता को कहा की वह दूसरी शादी करेगा और उसे छोड़ देगा ! ममता बात को गंभीरता से न ली और मजाक समझ -कह दी की कर लीजिये ! वह भी रहेगी ! इसमे क्या हर्ज है ! फिर  क्या था ! दुसरे दिन ही -प्रतीक्षा रत पत्नी  शारदा को घर लेकर आ गया ! यह सब देख घर का पूरा माहौल माता - पिता , पत्नी , भाई - बहन और आस - पास के लोगो के बिच कुरुक्षेत्र के मैदान सा बन गया ! हालत के गंभीरता को देखते हुए , सुनील ने दोनों को पत्नी का दर्जा और एक ही घर में रखने के लिए तैयार हो गया ! ममता के आंसू थमने के नाम नहीं ले रहे थे ! बाद में - वही हुआ जो पहले ऊपर उल्लेख किया जा चूका है !

जी हाँ , यही है त्रिभुज सी जिंदगी ! प्रश्न है ----ममता के पूरी जिंदगी का क्या होगा ? क्या ममता दूसरी शादी करेगी ? कौन है जो एक बेटे की माँ से शादी करेगा ? ममता अगर शादी न की , तो जब बेटा बड़ा होगा और पिता के बारे में जानना चाहेगा , तो क्या बताएगी और कैसी प्रतिक्रिया होगी  ? सुनील शारदा के साथ जीवन निभा पायेगा ? हाँ तो कैसे, नहीं तो क्यों ? शारदा ने इस नारी युग में एक नारी के साथ जो अत्याचार की है - क्या ज़माना भूल पायेगा ? त्रिभुज से ग्रस्त बच्चो  का भविष्य कैसा होगा ? क्या यह सच नहीं की एक नारी ने दुसरे नारी की हत्या कर दी , उसकी अस्मिता लुट ली , उसके गौड़ अधिकार छीन लिए ? समाज क्या इन्हें माफ करेगा ?  बहुत से अनुत्तरित प्रश्न हमारे सामने खड़े है - क्या यही आधुनिकता , शिक्षा , संस्कार और अनुशासन है ?

( सत्य पर आधारित घटना - नाम बदल दिए गए है ! अभी  बहुत कुछ कहा और लिखा जा सकता है इस त्रिभुज पर ! थोड़ी -कुछ कमियों को आप पूरा करें ! )
ये भी कुछ कहता है ----एक सुन्दर गीत 
 sajanawa bairi ho gaye hamar.. 










Sunday, September 11, 2011

नीति का ईश - आज का बिहार

   कल यानि दिंनाक - १० वी सितम्बर २०११ को सोलापुर में था !  " टाईम आफ इण्डिया " में एक आर्टिकिल पढ़ा ! देखा की बिहार सरकार ने एक आई .ये.एस अफसर के द्वारा अर्जित और धोखे धडी से कमाई हुई -सारी  सम्पति को कोर्ट की इजाजत के बाद सील कर दिया ! इतना ही नहीं - अब उस तीन मंजिले हाई - फाई ईमारत में स्कुल चलने लगा है  क्योकि बिहार सरकार ने उस सम्पति को स्कुल के हवाले कर दिया है ! यह कदम नीतीश कुमार जी ने पहले ही उठाने के लिए कह दिया था !नितीश कुमार जी का यह कदम भारतीय राजनीति में सराहनीय कार्य है ! जो उनके दूरदर्शिता के परिचायक और स्वस्थ शासन का एक मिशाल है ! पूरी रिपोर्ट अंग्रेजी में पढ़े ! नीचे  उपलब्ध है ! बड़ा करने के लिए तस्वीर  पर क्लिक करें -


  ( एक छोटा सा निवेदन - कृपया दिए हुए लिंक पर जाएँ और मेरे ८३ वर्ष के काकाजी को फोल्लोवेर बन कर उत्साहित  करें ! धार्मिक विचार वाले है और अपने अनुभव लिखने में माहिर ! एक बार प्रयास करके देंखें -धन्यवाद -लिंक--hanuman