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Thursday, July 11, 2013

अजीब सी है यह शिकायत पुस्तिका ।

 कौन ऐसा होगा जिसे किसी से शिकायत  न होगी ? शिकायत का नाम आते ही हम कुछ दुविधा में पड़  जाते है । जैसे सांप सूंघ गया हो । बहुतो को एक दुसरे की शिकायत करते देखा गया है , परन्तु लिखित शिकायत के नाम पर  खिसक जाते है । आखिर क्यों ?

 शिकायत पुस्तिका और इसके  समक्ष  उत्पन्न होने वाले प्रश्न -

१ . हमें शिकायत करनी चाहिए , पर करते नहीं ।
२. अन्य को परवाह नहीं , मै  ही क्यों मुशिवत मोल लूं ?
३ .दूसरो को भी कहते नहीं थकते  की इससे होगा क्या ? यानी अपरोक्ष रूप से मनाही ।
४. तुम्हे ही इतनी चिंता क्यों है ? बहुत से लोग है जिन्हें यह परेशानी  है । छोडो इस ववाल को ।
५ .मुझे पूरी तरह से लिखने नहीं आता अन्यथा शिकायत कर देता ।
६ मै किसी परेशानी में नहीं उलझन चाहता ।
७ बहुतो को शिकायत बुक कहाँ मिलेगी - की जानकारी ही नहीं होती ।
८ कुछ दफ्तरों में  इस मुहैया नहीं कराया जाता ।
वगैरह - वगैरह

.क्या  हम इतने भीरु और डरपोक हो गए है । कईयों को कहते सुना है , छोडो यार किसे परेशानी मोल लेनी है । वाह कौन सी  परेशानी ...यही  डर तो हमें अव्यवस्था को बढाने  वाले  की  श्रेणी में ला खड़ा करता  है ।आखिर हम जिम्मेदारी और कर्तव्य से कब तक डरते रहेंगे ? कब तक सहते रहेंगे ? इसीलिए कहते है की सारी समस्याओ का  जड़ हम ही है । हम ही है , जो निकम्मों और अयोग्य  लोगो को अपना नेता चुनते है  और बाद में पछताते है। उनके पापो को धोते फिरते है । 

प्रायः सभी सरकारी कार्यालयों में शिकायत पुस्तिका मिल जाएगी । कई पुस्तिका इतनी गन्दी और मैली दिखती  है जैसे दसको तक उसे छुआ नहीं गया हो । चलिए सरकारी महकमे को संतुष्टि मिल जाती है की सब कुछ ठीक है । प्रजा को कोई दुःख या तकलीफ नहीं । जी हाँ यह सच्चाई भी है की कई मामलों में शिकायत कर्ता को भी   परेशानी झेलनी पड़ी ।  थोड़ी सी परेशानी ,  वह भी कुछ खामियों की आपुर्तिवश उतपन्न हुयी हो सकती है । पर ज्यादातर मामलों में शिकायतकर्ता को लाभ ही मिला है ।

अजीब सी है यह शिकायत पुस्तिका । यहाँ एक वाक्या  याद आ गया । जिसे प्रस्तुत कर रहा हूँ । रात्रि का समय । करीब डेढ़ बजे ।एक युवक  रायलसीमा एक्सप्रेस की इंतजार में  प्लेटफोर्म पर चहल कदमी कर रहा था ।ट्रेन आने में काफी समय था अतः वह एक बेंच पर बैठ गया । उसे ख्याल ही नहीं रहा कि बेंच को अभी - अभी पेंट किया गया था । जब तक उसके ध्यान उस तरफ जाते -उसके पेंट और शर्त चिपचिपे और गंदे हो गए थे । उसके हावभाव से लग रहा था कि वह बहुत परेशां है । वह स्टेशन मास्टर के कार्यालय में गया और अपनी आप बीती कह सुनाई । मास्टर ने कहा की आप को बैठने के पहले बेंच को देख लेना था ? कल रेल मंत्री जी आ रहे है , इसी लिए जल्दी में बेंच की पेंटिंग की गयी होगी । मै उस कार्यालय से बात करूँगा । मास्टर ने इसके लिए उस व्यक्ति से क्षमा भी मांगी ।

वह युवक निडर था । उसने शिकायत पुस्तिका मांगी । स्टेशन मास्टर बिना किसी हिचकिचाहट के शिकायत पुस्तिका के लोकेशन को बता दिया , जो उसके कार्यालय में एक कोने में पड़ी हुयी थी । उस व्यक्ति ने शिकत पुस्तिका में अपनी शिकायत को -रेल मंत्री  को संबोधित करते हुए लिखा कि-" आप कल निरिक्षण को आ रहे है , इसी लिए यात्रियों के बैठने के बेंच को किसी ने पेंट किया । मै उस बेंच पर बैठा और मेरे पेंट तथा शर्त गंदे हो गए । आप कार्यवाही करे । "

जी हाँ पाठको । आप को जानकार हैरानी होगी की रेलवे ने उस शिकायत पर उचित कार्यवाही की । जो अपने आप में इतिहास बन गया । उस व्यक्ति के पते पर एक शर्ट  और पेंट की कीमत का ड्राफ्ट भेज गया । दोस्तों यह शिकायत पुस्तिका ही आप का प्रिय दोस्त है । इसका खूब इस्तेमाल करें और इसके मुल्य को समझे । मैंने अपने जीवन में बहुत सी शिकायते की है और फल को भी प्राप्त किया हूँ । फिर कभी और चर्चा होगी आज बस इतना ही ।

(स्थान , स्टेशन और मास्टर को उधृत नहीं किया हूँ । यह जरूरी नहीं समझता । क्षमाप्रार्थी हूँ । ) 


Friday, April 12, 2013

एक लघु कथा --माँ की ममता पर प्रहार |

लक्षम्मा  झोपड़ी में बैठी बी. .पि.एल चावल के कंकडो को चुन रही थी | जीर्ण शीर्ण सी झोपड़ी और वैसे ही  अंग के चिर  | फिर भी सूर्य की किरण का चुपके से झोपड़ी में आना , उस कड़वी ठण्ड और बरसात  से बेहतर लग रही  थी |

  " लक्षम्मा ..वो लोग आये है |" - उसका पति वीरन्ना बोला | लक्षम्मा धीरे से मुड़ी , उसके मुख पर भय  की रेखाए और शरीर में सिहरन दौड़ गयी | उसके मुख से शव्द नहीं निकल रहे थे  | वश केवल  - "  नहीं  " शव्द ही निकल पायें | देखो ..हमारी  दिन - दशा ठीक नहीं है | चार वेटिया है | जीना  दूभर हो गया है | ऐसे कब तक घुट - घुट कर  जियेंगे | वैसे भी अभी तीन और है |  लक्षम्मा जब - तक कुछ और कहे  , वीरन्ना ने सबसे छोटी दो वर्ष की  विटिया  को उसके नजदीक से खिंच लिया , जो माँ से चिपटी हुयी गहरी नींद में सो रही थी |

उन  व्यक्तियों में से एक  ने वीरन्ना के हाथो  पर  एक नोट का  बण्डल  रखते हुए बोला  - "  गिन लो , पुरे पांच हजार है | " फिर छोटी बिटिया को एक बिस्कुट का पैकेट पकड़ा दिए और वह ख़ुशी से खाने लगी | चलते है ! कह कर उन्होंने छोटी विटिया को गोद में उठा  आगे बढ़ गए  | लक्षम्मा दरवाजे पर खड़ी.. बाएं हाथ से साडी के पल्लू को मुह पर रख ली और दाहिने हाथ को आगे बढ़ाई...जैसे कह रही हो - नहीं .. रुक जाओ ...मेरी विटिया मुझे वापस दे दो | धीरे - धीरे वे दोनों व्यक्ति आँखों से ओझल हो गए |

लक्षम्मा के दोनों आँखों के कोर आंसुओ से भींज गएँ थे  | मुड़ कर पीछे की ओर  देखी | उसका निर्मोही  मर्द पैसे गिनने में व्यस्त था | अचानक वह बोला - ""  अरे ..ये तो पांच सौ कम है और जल्दी से  उनके पीछे दौड़ पड़ा | लक्षम्मा धम्म से जमीन पर बैठ  गयी ..इस आश  में की अब  उसकी बिटिया  वापस आ जाएगी ........

Friday, January 11, 2013

रेल बचाओ अभियान -कल्याण

 5वीं  और 6वीं  जनवरी 2013  को महाराष्ट्र के कल्याण शहर में आल इण्डिया  लोको रंनिंग स्टाफ एसोसिएशन के केन्द्रीय कार्यकारिणी  की बैठक अफसर क्लब /कल्याण में  हुयी । इस सभा में भारतीय रेल के सभी क्षेत्रीय सचिव और केन्द्रीय सदस्यों ने शिरकत की । इस सभा में निम्नलिखित विषयों पर चर्चा हुयी - 

1) संगठनात्मक   पोजीशन । NIT से सम्बंधित केन्द्रीय कोटा । ईस्ट  कोस्ट रेलवे खुर्दा  रोड के लोको पायलटो की कल्याणकारी कोष ।
2) केन्द्रीय औध्योगिक ट्रिब्यूनल (NIT ) और उससे सम्बंधित विषय ।
3)पिछले  निर्णय और उनके कार्यान्वयन तथा हमारे कदम ।
4) और कोई विषय , अध्यक्ष की आदेशानुसार ।

स्वर्गीय आई के गुजराल ( भुत पूर्व प्रधान ) ,सितार वादक स्वर्गीय रवि शंकर , शिव सेना सुप्रीमो स्वर्गीय बालासाहेब ठाकरे और बलात्कार के शिकार दिल्ली की पीडिता लड़की दामिनी  ( बदले हुए नाम ) के याद में एक मिनट का मौन रखते हुए ,  सभा  की शुरुवात अखिल भारतीय महासचिव कॉम . एम् एन प्रसाद जी  के अभिभाषण से शुरू हुयी ।  उन्होंने रेलवे के मान्यताप्राप्त AIRF /NFIR  ट्रेड संगठनो के दोहरे रवैये पर चिंता जाहिर की ।ये ट्रेड संगठन रेलवे के भाडा बढ़ने के पुर जोर पैरवी कर रहे है  किन्तु 300 से ज्यादा अनावश्यक अफसरों के बिना वर्क शैलरी लेने का विरोध नहीं कर रहें है । CAG  के अपने रिपोर्ट के अनुसार रेलवे में सबसे ज्यादा  भ्रष्टाचार व्याप्त है । अच्छे -अच्छे  भवनो को तोड़ , अनावश्यक निर्माण और ठेकेदारी से पैसे उगाहने का चलन जोरो पर है । जब -तक हम कमजोर रहेंगे , हमारी मांगे नहीं मिलेगी । आज सरकार और इसके ठेकेदारों में भ्रष्टाचार व्याप्त है । साधारण जन मानस त्रस्त  है । हमें अपने संगठन को हर शिखर पर मजबूत बनाने होंगे , तभी लंबित मांगे मिल सकती है । AILRSA ही वह संगठन है जो लोको पायलटो की हित की बात करती है । रेलवे करीब 2 00 करोड़ रुपये मान्यताप्राप्त संगठनो पर खर्च करती है । इससे यह जग जाहिर है की वे सरकार के नीतियों के खिलाफ नहीं जायेंगे । यही वजह है की हमने पिछले कई वर्षो से रेल बचाओ अभियान  छेड़ रखी है । इसे तीब्र गति देने की जरूरत है ।  प्रसाद जी ने सभी को सचेत करते हुए कहा की हमें हर लेबल पर लडाई लड़नी पड़ेगी और मजदूर विरोधी संगठनो से सावधान रहना पड़ेगा । 

कोलकत्ता से आये कॉम एन सरकार जी ने सभा की अध्यक्षता की ।

                   कॉम जित सिंह टैंक - केन्द्रीय कोसध्यक्ष जी ने वर्ष 2012 की वित्त रिपोर्ट पेश की ।
 कॉम कोपरकर जी ने कहा की आज हमारे अनवरत आन्दोलन के कारन ही NIT  का गठन हो सका है ।रेलवे NIT  और लेबर मिनिस्ट्री को अपने पक्ष में प्रभावित करने की कोशिश में है । जब जज साहब ने एक्स-पार्टे की निर्णय सुनाने वाले थे , तब रेलवे आया और कोर्ट की कार्यवाही में भाग लेने की मंशा जाहिर की है । जज साहब ने इसे लिखित रूप में माँगा है । दोस्तों रेलवे के नियत में खोंट है । हम अपने निर्णय को 07 जनवरी 2013 को जज साहब को बताएँगे । आज लोको पायलटो को 12/16 घंटा रेस्ट न देकर , उन्हें 10/14 घंटे में ड्यूटी पर बुलाया जा रहा है । जो विरोध  करते है , उन्हें अधिकारीयों के कोप भाजन  का शिकार होना पड़ता है । आज PIL की जरुरत है । सरकार ऐसे सुनने वाली नहीं है । सहायक लोको पायलटो और लोको पायलटो के सैलरी / भत्ते में काफी  अंतर के वावजूद भी सजा बराबर क्यों ? आज रेलवे के अफसर अपने अधिकारों का गलत इस्तेमाल कर रहे है ।
                           पूर्वी रेलवे से आये सिंह जी ने अपने मंडल के हरासमेंट को उजागर किया ।
पश्चिम रेलवे जो अगले अखिल भारतीय सम्मलेन को आयोजित करने वाला है , ने पैसे की चिंता जाहिर की ।

                                                         कॉम जोमी जोर्ज मेरे साथ ।
दक्षिण रेलवे के महासचिव जोमी जोर्ज ने सभी को आगाह करते हुए कहा की हमें NIT  के भरोसे चुप नहीं बैठना चाहिए । आज रेलवे अपने ही नियम को इम्प्लीमेंट नहीं कर रही है ।  आज हमें SPAD ( सिग्नल पासिंग एट डेंजर ) के सुझाओ को इम्प्लीमेंट करवाने के लिए आन्दोलन जारी रखने की जरूरत है । कॉम जोर्ज ने कुछ सुझाव और जानकारिय बतायीं -

क )  MACP के बारे में जो जजमेंट / एर्नाकुलम  कोर्ट ने दी है , वह फिलहाल हाई कोर्ट में है ।
ख )  ट्रेड यूनियन के इलेक्शन के समय , हम AIRF /NFIR   को मदद  न करें  ।
ग )  हमारे रंनिंग भत्ते पर  25%  बढ़ोतरी होने के बाद , हमारे दस हजार रुपये के रंनिंग अलाउंस के छुटपर               भी 25% की बढ़ोतरी होनी चाहिए ।
घ )  CCC /CC  का पोस्ट रनिंग स्टाफ का है , सुपरवयिजरो की नियुक्ति बर्दाश्त नहीं । ये पद रनिंग कर्मियों से भरी जानी चाहिए  ।अतः लेटेस्ट सर्कुलर  रद्द की जाय ।
च ) PR /Judgement   जो  कर्नाटक  हाई कोर्ट ने दी है , इसे पास करने के लिए प्रयत्न जरुरी है ।
छ ) कॉम पांडियन /मदुरै का सफल  CONCILIATION  RLC /MAS में पेंडिंग है । रेलवे शरीक नहीं हो रही है । ऐसा कब तक चलेगा ।
ज )  तत्काल टिकट  PASS /PTO  पर  भी मिलनी चाहिए ।

दक्षिण मध्य रेलवे के तरफ से अपने विचार  रखते हुए कॉम जी एन शॉ  ने दक्षिण रेलवे के सुझाव का भरपूर सपोर्ट  किये । अपने कार्यकर्ताओ को  जानकारी  हेतु ट्रेड यूनियन  क्लास के आयोजन पर प्रकाश डालें   । AILRSA के ऐतिहासिक कार्यकलापो पर बुक प्रकाशन की आवश्यकता बतायीं । रेलवे में बोनस को बैंक के माध्यम से ही दिया जाना चाहिए । ट्रेड यूनियन के चुनाव में AIRF /NFIR के बजाय किसी  तीसरे को चुनना जरुरी है ।
दक्षिण पश्चिम रेलवे के सी सुनिस ने 19 वि अखिल भारतीय सम्मलेन के बंगलुरु में सफलता के लिए सभी के सहयोग का  आभार व्यक्त कियें तथा अपने जोन में कार्यान्वित  विभिन्न आंदोलनों का जिक्र किया । उन्होंने सभी से अनुरोध की कि सब लोग अपने जोन / मंडल के समाचार को फायर पत्रिका  में प्रकाशन हेतु समय से भेंजे ।
रविचंद्रन /मद्रास ने NIT को सरकारी गजट में प्रकाशित न होने पर चिंता जताई । उन्होंने  PME  के दौरान फिट सर्टिफिकेट तक की पूरी अवधी को ड्यूटी माने जाने की सफलता की घटना को उजागर किया । इस सभा के प्रमुख वक्ता---
                                                           कॉम मोरे ( भुसावल) ,
                                                           कॉम  मूर्ती ( सिकंदराबाद ),
                                                           कॉम एम् पि देव ( नागपुर ),
                                                                  कॉम ठाकुर ,
                                                      कॉम के सी जेम्स ( पलक्काड  ),
                                                        कॉम डी  के साहू ( झरसगुदा ),
                                                         कॉम मनोज कुमार ( sealdah ),
                                                 कॉम एम् एम् रोल्ली (त्रिवेंद्रम ),
                                               कॉम एस के चौबे ( विशाखापत्तनम ),
                                                 कॉम राम प्रसाद बिश्मिल ( गोरखपुर ),
                                                   कॉम लूना राम सियागी (कोटा )
 इत्यादी ने भी अपने - अपने विचार रखते हुए सभा को  संबोधित किया । संक्षेप में कहें तो  यह केन्द्रीय कार्यकारिणी की सभा भरपूर सफल रही । अगली केन्द्रीय कार्यकारिणी भोपाल में होने की संभावना है ।
Some of decision were adapted in this meeting , which should be implemented accordingly-

Sunday, May 20, 2012

बंगलुरु में सिसकती रही जिंदगी ......

थोड़ी सी बेवफाई ....के बाद आज आप के सामने हाजिर हूँ  ! स्कूल के बंद होने और यात्राओ पर  जाने के  दिन  , शुरू हो गए है ! ऐसा ही मेरे साथ भी हुआ ! नागपुर गया वाराणसी गया , बलिया गया और बंगलुरु की याद और संयोग वापस खींच ले आई ! कारण  ये थे की लोको चालको की उन्नीसवी अखिल भारतीय अधिवेसन , जो बंगलुरु में  सोलह और सत्रह मई को निश्चित था , में  शरीक होना था   ! पडोसी जो ठहरा ! एक तरह से वापसी अच्छी ही रही !  माथे  की गर्मी और  पसीने से निजात  मिली ! उत्तर और दक्षिण भारत के गर्मी में इस पसीने की एक मुख्य भूमिका  अंतर  के लिए काफी है !

                                                ज्ञान ज्योति आडिटोरियम / बंगलुरु
बंगलुरु जैसे मेगा सीटी में इस अधिवेशन का होना , अपने आप में एक महत्त्व रखता है ! देश के -कोने - कोने से सपरिवार लोको चालको का आना स्वाभाविक था  और इससे इस अधिवेशन में चार चाँद लग गए ! इसके सञ्चालन की पूरी जिम्मेदारी दक्षिण-पच्छिम रेलवे के ऊपर थी और दक्षिण तथा दक्षिण मध्य रेलवे की सहयोग  प्राप्त थी !

इस अधिवेशन में चर्चा  के  मुख्य विषय थे  --
1) अखिल भारतीय कार्यकारिणी का नए सिरे से चुनाव
2) पिछले सभी कार्यक्रमो की समीक्षा
3)लंबित समस्याओ के निराकरण के उपाय
4)संगठनिक कमजोरी / उत्थान के निराकरण / सदस्यों में प्रचार
5) छठवे वेतन आयोग के खामियों के निराकरण में आई कठिनाईयों और बाधाओं का पर्दाफास
6)सभी लोकतांत्रिक शक्तियों के एकीकरण के प्रयास में आने वाली बाधाओं पर विचार
7)नॅशनल इंडस्ट्रियल त्रिबुनल और अब तक के प्रोग्रेस .
8) चालको के ऊपर दिन प्रति दिन  बढ़ते . दबाव और अत्याचार
वगैरह - वगैरह ..

                                                        आडिटोरियम का मंच 
इस अधिवेशन को  उदघाटन  कामरेड  बासु देव आचार्य जी ने अपने भाषणों से किया ! उन्होंने कहा की सरकार श्रमिको के अधिकारों के हनन में सबसे आगे है ! आज श्रमिक वर्ग चारो तरफ से , सरकारी  आक्रमण के शिकार हो रहे  है ! उनके अधिकारों को अलोकतांत्रिक तरीके से दबाया जा रहा है ! अधिवेशन के पहले दिन विभिन्न संगठनो के नेताओ  ने अपने विचार रखे ! सभी नेताओ ने सरकार की गलत नीतियों की बुरी तरह से आलोचना की ! चाहे महंगाई हो या रेल भाड़े की बात , पेट्रोल की कीमत हो या सब्जी के भाव ! 99% जनता त्रस्त  और 1% के हाथो में दुनिया की पूरी सम्पति ! गरीब और गरीब , तो अमीर और अमीर !

 दोपहर भोजन के बाद बंगलुरु रेलवे स्टेशन से लेकर ज्ञान ज्योति आडिटोरियम तक मास रैली निकाली  गयी , जिसमे हजारो सदस्यों  ने भाग लिया !

                                        बंगलुरु स्टेशन से आगे बढ़ने के लिए तैयार रैली !

                                    रैली के सामने कर्नाटक के लोक नर्तक , अगुवाई करते हुए !

राजस्थान से आये इप्टा के रंग कर्मियों ने भारतेंदु हरिश्चंद्र द्वारा लिखित अंधेर नगरी , चौपट राजा  के तर्ज पर - आज के रेलवे की हालत से सम्बंधित नाटक का प्रदर्शन किया ! 


दुसरे दिन डेलिगेट अभिभाषण में चालक सदस्यों ने  कुछ इस तरह के मुद्दे सामने  प्रस्तुत किये , जो काफी सोंचनीय है --

(1)  लोको चालको को  इस अधिवेशन से दूर रखने और भाग न लेने के लिए , भरसक हथकंडे अपनाये गए ! कईयों की  डेपो में  मुख्य कर्मीदल निरीक्षक के द्वारा छुट्टी पास  नहीं  हुयी  !

(2)  कई डेपो में लोको चालको को साप्ताहिक रेस्ट नहीं दिया जा रहा है , क्योकि गाडियों को चलाने  के लिए  प्रशासन के पास अतिरिक्त चालक नहीं है ! बहुतो को लिंक रेस्ट भी डिस्टर्ब हो जाते है ! कारण गाड़िया तो नहीं रुक सकती ! माल गाडी के चालको को पंद्रह से   बीस घंटो तक कार्य करने पड़ते है ! समय से कार्य मुक्त नहीं हो पाते  है ! कईयों को रिलीफ पूछने पर चार्ज सीट के शिकार होने पड़े है ! अफसरों की मनमानी चरम सीमा पर है ! चालको के परिवार एक अलग ही  घुटन भरे जीवन जी रहे  है ! घर वापस आने पर बच्चे सोये या स्कूल गए मिलते है ! पारिवारिक / सामाजिक जीवन से लगाव  दूभर हो गए है ! "  पापा कब घर आयेंगे ? " - पूछते हुए बच्चे माँ के अंक में सो जाते है ! चालको की पत्त्निया हमेशा ही मानसिक और शारीरिक बोझ से  दबी रहती है ! घर में  सास - ससुर और बच्चो की परवरिश की जिम्मेदारी इनके ऊपर ही होती है ! अजीब सी जिंदगी है !

अणिमा दास  ( स्वर्गीय एस. के . धर , भूतपूर्व सेक्रेटरी जनरल /ऐल्र्सा की पत्नी सभा को संबोधित करते ह !)  इन्होने लोको चालको के पत्नियो से आह्वान किया की वे अपने पति के मानसिक तनाव को समझे तथा सहयोग बनाये रखे !

(3 अस्वस्थता की हालत में रेलवे हॉस्पिटल के डाक्टर चालको को मेडिकल छुट्टी पर नहीं रख रहे है ! उन्हें जबरदस्ती वापस विदा  कर देते है ! परिणाम -कईयों को ड्यूटी के दौरान मृत्यु /ह्रदय गति  रुकने से मौत तक हो गयी है ! डॉक्टर घुश खोर हो गए है !

(4) चालको के डेपो इंचार्ज ...मनमानी कर रहे है , उनके आवश्यकता के अनुसार  उनकी बात न मानने पर , तरह - तरह के हथकंडे अपना कर परेशान  करते है ! इस विषय पर एक कारटून प्रदर्शित किया गया था -जैसे =
" सर दो दिनों की छुट्टी चाहिए !" - एक लोको चालाक मुख्य कर्मीदल निरीक्षक से आवेदन करता है ! करीब  सुबह के नौ बजे !
" दोपहर बाद मिलो !" निरीक्षक के दो टूक जबाब !
लोको चालक दोपहर को ऑफिस में गया और अपनी बात दोहरायी !
" शाम को 5  बजे आओ !" निरीक्षक ने संतोष जताई !
बेचारा लोको चालक 5 बजे के बाद ऑफिस में गया ! निरीक्षक की कुर्सी खाली  मिली !
ये वास्तविकता है !

(5) चालको के अफसर भी कम नहीं है ! अनुशासित को दंड और बिन - अनुशासित की पीठ थपथपाते है ! अलोकतांत्रिक रवैये अपना कर ,चार्ज सीट दे रहे है ! छोटे - छोटे गलतियों के लिए मेजर दंड दिया जा रहा है !  डिसमिस  / बर्खास्त  उनके हाथ के खेल  हो गए है ! कितने तो पैसे कमाने के लिए चार्ज सीट दे रहे है !

(6) सिगनल लाल की स्थिति में पास करने पर ..सीधे चालको को बर्खास्त किया जा रहा है ,बिना सही कारण जाने हुए ! जब की कोई भी चालक ऐसी गलती नहीं करना चाहता  ! इसके पीछे कई कारण होते है ! अपराधिक क्षेत्र में सजा के अलग - अलग प्रावधान है , पर चालको के लिए कारण जो भी हो , सजाये सिर्फ एक --बर्खास्त / डिसमिस  ! सजा का एक घिनौना रूप !


(7) कई एक रेलवे में लोको चालको को बुरी तरह से परेशान  किया जा रहा है ! बात - बात पर नोक - झोंक !

(8) रेलवे में घुश खोरी अपने चरम पर है ! अफसर बहुत ही घुश खोर हो गए है ! उनके पास रेलवे से एकत्रित की गयी अकूत सम्पदा है ! सतर्कता विभाग लापरवाह है ! घुश खोरी का मुख्य मार्ग ठेकेदारी है , जिसके माध्यम से घुश अर्जित किये जाते है ! यही वजह है की ठेकेदारी जोरो पर है !

(9) अस्पतालों,रेस्ट रूम और खान-पान व्यवस्था बुरी तरह से क्षीण हो चुकी है ! लोको चालक इनसे बुरी तरह परेशान है ! शिकायत कोई सुनने वाला नहीं है ! शिकायत  सुनने वाला  घोड़े बेंच कर सो रहा है !

(10) रेलवे का राजनीतिकरण हो गया है ! राज नेता इसे तुच्छ स्वार्थ के लिए इस्तेमाल करने लगे है ! कुछ दिनों में इसकी हालत इन्डियन वायु सेवा  जैसी हो जाएगी ! यह एक गंभीर समस्या है !

  और भी बहुत कुछ भारतीय व्यवस्था के ऊपर करारी चोटें   हुयी , जो सभी को रोजाना प्रत्यक्ष दिख रहा है !

सभी के प्रश्नों का जबाब देते हुए काम. एम्.एन. प्रसाद सेक्रेटरी जनरल ने कहा की आज सभी श्रमिक वर्ग को सचेत और एकता बनाये रखते हुए ...आर - पार की लडाई लड़नी  पड़ेगी   !

अधिवेशन  के आखिरी में नए राष्ट्रिय कार्यकारिणी का चुनाव हुए ! जिसमे एल.मणि ( राष्ट्रिय अध्यक्ष ),एम् एन प्रसाद (राष्ट्रिय सेक्रेटरी ) और जीत  सिंह टैंक ( राष्ट्रिय कोषाध्यक्ष ) निर्विरोध चुने गए !
                                                   सजग प्रहरी एक चौराहे पर  



Friday, September 17, 2010

१०% महंगाई भत्ता

     आज प्रधान मंत्री श्री मनमोहन सिंह जी के अगुई में हुई,कैबिनेट की वैठक में १०% महंगाई भत्ता बढाए जाने का फैसला 
     लिया गया,जो ०१-०७-२०१० से प्रभावी होगा.अब केंद्रीय कर्मचारियो को कुल महंगाई भत्ता ३५% से बढ़ कर ४५%हो जाएगी.
     ये ६ वेतन आयोग के सिफारिस के अनुरूप है.
                   सरकार महंगाई बढाती है,महंगाई भत्ता बढाती है पर उनकी महंगाई भत्ता कैसे बढ़ेगी जो असंगठित और बेरोजगार 
      है., बाज़ार में इस तरह की असमानता आखिर क्यों......?