कौन ऐसा होगा जिसे किसी से शिकायत न होगी ? शिकायत का नाम आते ही हम कुछ दुविधा में पड़ जाते है । जैसे सांप सूंघ गया हो । बहुतो को एक दुसरे की शिकायत करते देखा गया है , परन्तु लिखित शिकायत के नाम पर खिसक जाते है । आखिर क्यों ?
शिकायत पुस्तिका और इसके समक्ष उत्पन्न होने वाले प्रश्न -
१ . हमें शिकायत करनी चाहिए , पर करते नहीं ।
२. अन्य को परवाह नहीं , मै ही क्यों मुशिवत मोल लूं ?
३ .दूसरो को भी कहते नहीं थकते की इससे होगा क्या ? यानी अपरोक्ष रूप से मनाही ।
४. तुम्हे ही इतनी चिंता क्यों है ? बहुत से लोग है जिन्हें यह परेशानी है । छोडो इस ववाल को ।
५ .मुझे पूरी तरह से लिखने नहीं आता अन्यथा शिकायत कर देता ।
६ मै किसी परेशानी में नहीं उलझन चाहता ।
७ बहुतो को शिकायत बुक कहाँ मिलेगी - की जानकारी ही नहीं होती ।
८ कुछ दफ्तरों में इस मुहैया नहीं कराया जाता ।
वगैरह - वगैरह
.क्या हम इतने भीरु और डरपोक हो गए है । कईयों को कहते सुना है , छोडो यार किसे परेशानी मोल लेनी है । वाह कौन सी परेशानी ...यही डर तो हमें अव्यवस्था को बढाने वाले की श्रेणी में ला खड़ा करता है ।आखिर हम जिम्मेदारी और कर्तव्य से कब तक डरते रहेंगे ? कब तक सहते रहेंगे ? इसीलिए कहते है की सारी समस्याओ का जड़ हम ही है । हम ही है , जो निकम्मों और अयोग्य लोगो को अपना नेता चुनते है और बाद में पछताते है। उनके पापो को धोते फिरते है ।
शिकायत पुस्तिका और इसके समक्ष उत्पन्न होने वाले प्रश्न -
१ . हमें शिकायत करनी चाहिए , पर करते नहीं ।
२. अन्य को परवाह नहीं , मै ही क्यों मुशिवत मोल लूं ?
३ .दूसरो को भी कहते नहीं थकते की इससे होगा क्या ? यानी अपरोक्ष रूप से मनाही ।
४. तुम्हे ही इतनी चिंता क्यों है ? बहुत से लोग है जिन्हें यह परेशानी है । छोडो इस ववाल को ।
५ .मुझे पूरी तरह से लिखने नहीं आता अन्यथा शिकायत कर देता ।
६ मै किसी परेशानी में नहीं उलझन चाहता ।
७ बहुतो को शिकायत बुक कहाँ मिलेगी - की जानकारी ही नहीं होती ।
८ कुछ दफ्तरों में इस मुहैया नहीं कराया जाता ।
वगैरह - वगैरह
.क्या हम इतने भीरु और डरपोक हो गए है । कईयों को कहते सुना है , छोडो यार किसे परेशानी मोल लेनी है । वाह कौन सी परेशानी ...यही डर तो हमें अव्यवस्था को बढाने वाले की श्रेणी में ला खड़ा करता है ।आखिर हम जिम्मेदारी और कर्तव्य से कब तक डरते रहेंगे ? कब तक सहते रहेंगे ? इसीलिए कहते है की सारी समस्याओ का जड़ हम ही है । हम ही है , जो निकम्मों और अयोग्य लोगो को अपना नेता चुनते है और बाद में पछताते है। उनके पापो को धोते फिरते है ।
प्रायः सभी सरकारी कार्यालयों में शिकायत पुस्तिका मिल जाएगी । कई पुस्तिका इतनी गन्दी और मैली दिखती है जैसे दसको तक उसे छुआ नहीं गया हो । चलिए सरकारी महकमे को संतुष्टि मिल जाती है की सब कुछ ठीक है । प्रजा को कोई दुःख या तकलीफ नहीं । जी हाँ यह सच्चाई भी है की कई मामलों में शिकायत कर्ता को भी परेशानी झेलनी पड़ी । थोड़ी सी परेशानी , वह भी कुछ खामियों की आपुर्तिवश उतपन्न हुयी हो सकती है । पर ज्यादातर मामलों में शिकायतकर्ता को लाभ ही मिला है ।
अजीब सी है यह शिकायत पुस्तिका । यहाँ एक वाक्या याद आ गया । जिसे प्रस्तुत कर रहा हूँ । रात्रि का समय । करीब डेढ़ बजे ।एक युवक रायलसीमा एक्सप्रेस की इंतजार में प्लेटफोर्म पर चहल कदमी कर रहा था ।ट्रेन आने में काफी समय था अतः वह एक बेंच पर बैठ गया । उसे ख्याल ही नहीं रहा कि बेंच को अभी - अभी पेंट किया गया था । जब तक उसके ध्यान उस तरफ जाते -उसके पेंट और शर्त चिपचिपे और गंदे हो गए थे । उसके हावभाव से लग रहा था कि वह बहुत परेशां है । वह स्टेशन मास्टर के कार्यालय में गया और अपनी आप बीती कह सुनाई । मास्टर ने कहा की आप को बैठने के पहले बेंच को देख लेना था ? कल रेल मंत्री जी आ रहे है , इसी लिए जल्दी में बेंच की पेंटिंग की गयी होगी । मै उस कार्यालय से बात करूँगा । मास्टर ने इसके लिए उस व्यक्ति से क्षमा भी मांगी ।
वह युवक निडर था । उसने शिकायत पुस्तिका मांगी । स्टेशन मास्टर बिना किसी हिचकिचाहट के शिकायत पुस्तिका के लोकेशन को बता दिया , जो उसके कार्यालय में एक कोने में पड़ी हुयी थी । उस व्यक्ति ने शिकत पुस्तिका में अपनी शिकायत को -रेल मंत्री को संबोधित करते हुए लिखा कि-" आप कल निरिक्षण को आ रहे है , इसी लिए यात्रियों के बैठने के बेंच को किसी ने पेंट किया । मै उस बेंच पर बैठा और मेरे पेंट तथा शर्त गंदे हो गए । आप कार्यवाही करे । "
जी हाँ पाठको । आप को जानकार हैरानी होगी की रेलवे ने उस शिकायत पर उचित कार्यवाही की । जो अपने आप में इतिहास बन गया । उस व्यक्ति के पते पर एक शर्ट और पेंट की कीमत का ड्राफ्ट भेज गया । दोस्तों यह शिकायत पुस्तिका ही आप का प्रिय दोस्त है । इसका खूब इस्तेमाल करें और इसके मुल्य को समझे । मैंने अपने जीवन में बहुत सी शिकायते की है और फल को भी प्राप्त किया हूँ । फिर कभी और चर्चा होगी आज बस इतना ही ।
(स्थान , स्टेशन और मास्टर को उधृत नहीं किया हूँ । यह जरूरी नहीं समझता । क्षमाप्रार्थी हूँ । )
अजीब सी है यह शिकायत पुस्तिका । यहाँ एक वाक्या याद आ गया । जिसे प्रस्तुत कर रहा हूँ । रात्रि का समय । करीब डेढ़ बजे ।एक युवक रायलसीमा एक्सप्रेस की इंतजार में प्लेटफोर्म पर चहल कदमी कर रहा था ।ट्रेन आने में काफी समय था अतः वह एक बेंच पर बैठ गया । उसे ख्याल ही नहीं रहा कि बेंच को अभी - अभी पेंट किया गया था । जब तक उसके ध्यान उस तरफ जाते -उसके पेंट और शर्त चिपचिपे और गंदे हो गए थे । उसके हावभाव से लग रहा था कि वह बहुत परेशां है । वह स्टेशन मास्टर के कार्यालय में गया और अपनी आप बीती कह सुनाई । मास्टर ने कहा की आप को बैठने के पहले बेंच को देख लेना था ? कल रेल मंत्री जी आ रहे है , इसी लिए जल्दी में बेंच की पेंटिंग की गयी होगी । मै उस कार्यालय से बात करूँगा । मास्टर ने इसके लिए उस व्यक्ति से क्षमा भी मांगी ।
वह युवक निडर था । उसने शिकायत पुस्तिका मांगी । स्टेशन मास्टर बिना किसी हिचकिचाहट के शिकायत पुस्तिका के लोकेशन को बता दिया , जो उसके कार्यालय में एक कोने में पड़ी हुयी थी । उस व्यक्ति ने शिकत पुस्तिका में अपनी शिकायत को -रेल मंत्री को संबोधित करते हुए लिखा कि-" आप कल निरिक्षण को आ रहे है , इसी लिए यात्रियों के बैठने के बेंच को किसी ने पेंट किया । मै उस बेंच पर बैठा और मेरे पेंट तथा शर्त गंदे हो गए । आप कार्यवाही करे । "
जी हाँ पाठको । आप को जानकार हैरानी होगी की रेलवे ने उस शिकायत पर उचित कार्यवाही की । जो अपने आप में इतिहास बन गया । उस व्यक्ति के पते पर एक शर्ट और पेंट की कीमत का ड्राफ्ट भेज गया । दोस्तों यह शिकायत पुस्तिका ही आप का प्रिय दोस्त है । इसका खूब इस्तेमाल करें और इसके मुल्य को समझे । मैंने अपने जीवन में बहुत सी शिकायते की है और फल को भी प्राप्त किया हूँ । फिर कभी और चर्चा होगी आज बस इतना ही ।
(स्थान , स्टेशन और मास्टर को उधृत नहीं किया हूँ । यह जरूरी नहीं समझता । क्षमाप्रार्थी हूँ । )