Showing posts with label AILRSA. Show all posts
Showing posts with label AILRSA. Show all posts

Friday, November 11, 2011

ये क्या हो रहा है ?

  जनता ...पब्लिक  और  क्या न कह लें !  .लोग और उनका समूह ..कब क्या कर दें किसी को नहीं पता ! आज कल  विद्यार्थी आन्दोलन का एक हिस्सा बनते जा रहे है ! इन्हें भुनाने में राजनीतिक गड सबसे आगे है ! विद्यार्थी जीवन सिखने का वक्त है ! विद्यार्थी या ऐसा ही कोई जन समूह जब कोई अनैतिक कार्य करे तो आप को कैसा लगेगा ? वह भी किसी निर्दोष के साथ ! उस ई.बाला कृष्णन  ने लोगो का क्या किया था ? जो उसे यह सजा मिली ? क्या उस व्यक्ति  ने यह नहीं सोंचा की इसकी परिणति क्या होगी ?

आईये एक नजर डालें और आप ही बताएं ? इस तरह के करतूत कब तक होते रहेंगे ?
 ई.बाला कृष्णन लोको पायलट / काट पाडी / दक्षिण रेलवे ,  तारीख ०६-११-२०११ को मदुरै एक्सप्रेस को ले  कर   तिरुपति जा रहे थे !  रास्ते में चित्तूर स्टेशन के पास  किसी ने एक जोर दार पत्थर लोको के उप्पर फेंका !  पत्थर लोको के शीशे को तोड़ती हुयी -ई बाला कृष्णन को जा लगी ! शीशे के तुकडे शारीर पर जा गिरे और कुछ शरीर में भी चुभ गए !  असहनीय पीड़ा से लोको पायलट कराह उठा ! तुरंत ट्रेन रोक दी गयी और सहायक ने ट्रेन को चित्तूर स्टेशन तक ई.बाला कृष्णन की मदद से चला  कर लायें ! 

तुरंत ड्यूटी में तैनात स्टेशन मास्टर को इसकी सूचना दी गयी ! मास्टर प्राथमिक इलाज न कर यह पूछने लगा की आप आगे ट्रेन को लेकर जाओगे या नहीं ? जब की ई . बाला. कृष्णन ने रिलीफ  की मांग की थी ! आखिर कार ई. बाला कृष्णन ने ट्रेन को सुरक्षित खड़ा कर गार्ड की देख - रेख में रख , ऑटो से चित्तूर जनरल अस्पताल को चले गएँ ! ट्रेन करीब दो घंटे तक खड़ी रही ! बाद में वेंक ताद्री  लोको पायलट को मदुरै एक्सप्रेस को काम करने के लिए कहा गया ! 

 संक्षिप्त में --
१) लोको पायलट - ई. बाला कृष्णन और सहायक.टी.गुनेशेखर / मुख्यालय- काट पाडी !
२)गार्ड- टी.एस.रवि./ विलुपुरम 
३) लोको संख्या -१६५८० / जी .ओ.सी. 
४) ट्रेन संख्या -१६७८० ( मदुरै-तिरुपति एक्सप्रेस )
५)घटना स्थल - चित्तूर रेलवे स्टेशन के निकट 
६) किसी ने पत्थर से लोको पायलट को मारी !
७)ई.बाला.कृष्णन घायल ! अस्पताल जाते समय किसी ने साथ नहीं दिया , न ही मास्टर ने किसी को साथ जाने के लिए भेजा ! सहायक ही अंत तक सहायता किया !
८) इस तरह की यह दूसरी घटना है ! इसके पहले मनोहर लोको पायलट / रेनिगुनता इसके परिणाम भुगत चुके है ! अधिक जानने के लिए मेरी पिछली पोस्ट _ मुझसे क्या भूल हुई , जो ये सजा मुझको मिली ?  पढ़ें !
९) रेलवे प्रशाशन ने  अभी तक कोई उचित कार्यवाही नहीं की है ! न ही किसी की गिरफ्तारी  ही हुई !
    कब तक लोको पायलट , जो सभी को सुरक्षित मंजिल तक पहुंचाते है -इस तरह की अनहोनी घटनाओ के शिकार होते रहेंगे ?

Monday, October 24, 2011

हम तो तेरे आशिक है वर्षो पुराने ...

  जी हाँ चौकिये मत ! मै ही नहीं ,हम सब इसके बहुत दीवाने है ! गजब की चीज है ! कान में खुजली पैदा करती है ..तो जाने बगाहे मुंह के पास चिपट कर -तू-तू  मै - मै और बहुत कुछ  ! कितनो को दीवाना बना दी ! पर इसके मर्म अजब है ! कोई इससे छुप नहीं सकता ! छुपा नहीं सकता ! हमेशा दिल के पास रहती है ! कभी हँसाती है - तो कभी रुलाती ! सभी इसके बड़े आदी हो गए है ! 

आज मेरे साथ एक वाकया हुआ ! मै सोंच में पड़ गया ,  उस पर क्या बीती होगी ! आयें नजर डालते है ! हुआ यु की आज मै ट्रेन संख्या -१२१६३ दादर - चेन्नई एक्सप्रेस को काम कर लौटा हूँ ! ट्रेन चेगुन्टा और कृष्णा स्टेशन  के बीच दौड़ रही थी ! अचानक किसी ने जंजीर खींच दिया ! ट्रेन को रोकनी पड़ी ! ट्रेन ५९४/० और ५९३/६ किलो मीटर के मध्य खड़ी हो गयी ! मैंने कारण और  एयर प्रेसर की बहाव को रकने के लिए , अपने सहायक को भेंजा !

कुछ देर बाद , वह अपने कार्य को कर वापस आया और बताया  की एक पैसेंजर का मोबाईल ( सेल फोन ) चलती ट्रेन से बाहर गिर गया है ! वह उसे धुंधने   गया है ! कोच संख्या - सी . आर.जी.एस -९८४१५ था ! हमारी ट्रेन आगे बढ़ने के लिए तैयार थी ! मैंने गार्ड से  ट्रेन स्टार्ट करने की अनुमति पूछी ! गार्ड साहब ने कहा - कुछ वेट करें ! एक मिनट के बाद हमें गार्ड की इजाजत मिली ! ट्रेन चल पड़ी !
गुंतकल लोब्बी में आने के बाद , मैंने फिर गार्ड साहब से पूरी जानकारी मांगी ! उनका कहना था की वह व्यक्ति बिना टिकट का यात्रा कर रहा था और वह अपने सेल फोन को खोज पाने में असमर्थ था ! वह वही है ! आखिर हम कब तक उसका इंतजार करते ! सबसे बड़ी बात यह की उसके पास टिकट भी नहीं है ! गार्ड साहब - श्री एस.एम्.एल.राम / गुंतकल हेड कुँर्टर !

देखा आपने --बिन टिकट यात्रा भी आप को असुबिधा में डाल सकती है ! जैसे की उस व्यक्ति के साथ हुआ ! कभी - कभी हम इतने  स्वार्थी हो जाते है की नुकशान का  भी अंदाजा नहीं लगा सकते ! आज हम मोबाईल फोन / सेल के इतने शौक़ीन   हो गए है की मुझे बड़ा ताज्जुब होता है , जब लोग बुकिंग / रिजर्वेशन  या अन्य  किसी कार्यालय के पास पेन की गुजारिश करते है ! उस समय मै भी उनसे मोबाईल के बारे में पूछ बैठता हूँ ! जो उन्हें चौका देती है ! 

मेरे कहने का तात्पर्य यह है की एक बड़े समूह के पास आज - कल मोबाईल तो मिल जाएगा , पर कलम नहीं मिलेगा ! अब रही ट्रेन में सफर की बात - हमें मोबाईल जैसी छोटी - छोटी चीजो को हिफाजत से रखनी और इस्तेमाल करनी चाहिए ! अन्यथा  लेने के देने पड़ जायेंगे ! सोंचता हूँ कैसे बीतेगी उस व्यक्ति की आज की धन - तेरस  ! हाय रे लापरवाही !

सुझाव - अगर भविष्य में ऐसा कुछ आप के साथ होता है तो आप किसी दुसरे व्यक्ति के सेल / मोबाईल फोन से अपने सेल का नम्बर डायल करें  ! तुरंत रिंग  बजनी शुरू होगी और आप आसानी से उस जगह तक पहुँच जायेंगे , जहाँ सेल / मोबाईल पडा हुआ है ! इससे समय की बचत और मानसिक तनाव से मुक्ति मिलेगी ! भगवान करें - ऐसा किसी के साथ न हो !

Thursday, September 29, 2011

रेलवे की बोनस

आज - कल दसहरे की धूम है ! सभी जगह गहमा-    गहमी ! कलकत्ते की दुर्गापूजा की याद आ ही जाती है ! एक महीने पहले से ही कपडे सिलवाने  पड़ते थे अन्यथा टेलर की दुकान पर " नो आर्डर  / आर्डर क्लोज्ड " के तख्ती लटके मिलते थे ! खैर जो भी हो , नवरतन तो नवरातन ही है ! बच्चे , बूढ़े या जवान सभी उमंग से भर जाते है !   

अब बात करें रेलवे की  - रेलवे ने ७८ दिनों की बोनस देने की घोषणा कर दी   है ! आप सोंचते होंगे की रेलवे वालो को खूब ज्यादा बोनस मिलती है ! बीस -पचीस हजार पाते होंगे ! मजे से दसहरा गुजरता होगा !  किन्तु ऐसा बिलकुल नहीं है ! सच्चाई तो ये है की रेलवे के क्लास चतुर्थ  और क्लास थ्री के कर्मचारियों को २५००/- और 3500/- महीने की दर से  क्रमशः बोनस मिलती है !  इस बर्ष  की बोनस राशी करीब ८९७५ /- है !

कर्मचारियों में सन्नाटा है ! उन लोलुप नेताओ और कर्मचारी संगठनो से , जो इस दिन मनमानी तौर पर चंदे की उगाही करेंगे ! लाखो में उगाही होती है ! नेता मालामाल और कर्मचारी बेहाल ! यह  प्रणाली १९७९ से चली आ रही है ! इन लोलुप और भ्रष्ट नेताओ से लोग परेशान ! करें तो क्या करें ? कोई मजबूत आन्दोलन नहीं !

रेलवे बोर्ड की अनुमति के बाद -कर्मचारियों की मासिक बेतन , भत्ते , कोई बकाया या लोन की रकम - चाहे जो भी हो सीधे बैंक के अकाउंट में चली जाती है ! कर्मचारी अपने बगार को बैंक के माध्यम से ही ड्रा करते है ! एक तरह से यह पद्धति सभी को कारगर साबित हुयी है ! लेकिन नेताओ के  मनमानी उगाही वाले -मनसूबो पर पानी फिर गया ! उन्होंने एक तरकीब निकाली - रेलवे बोर्ड से मिल कर बोनस की रकम कैश में देने की -अनुमति ले लेते है ! अतः रेलवे के सभी जोन या मंडल , बोनस की रकम ---सीधे बैंक में न भेंज ---कैश के रूप में बितरित करते है ! इस प्रकार से कर्मचारियो के करीब हजार रुपये ---बोनस बितरण के स्थान पर ही ,  लुट लिए जाते है ! इस व्यवस्था में  चतुर्थ क्लास के कर्मचारियों की दशा काफी दयनीय होती है ! जिन्होंने देने से इंकार  किया - उन्हें--- देखेंगे ? जैसे शब्द  सुनाये  जाते है !

रेलवे में हमारा एसोसिएसन ( आल इण्डिया लोको रुन्निंग स्टाफ एसोसिएसन ) केवल लोको चालको के सुबिधाओ को ध्यान में रखते हुए --तरह - तरह की  मांग  प्रशासन के समक्ष रखता है और  अपनी सकारात्मक जिम्मेदारी को  निभाता है ! यह एसोसिएसन बहुत ही अनुशासित और कड़क है ! बोनस की भ्रष्टाचार देख हमने जोनल लेवल पर जागरूकता अभियान शुरू किये और रेलवे प्रशासन के समक्ष मांग  रखी  कि इस बर्ष बोनस की रकम बैंक के माध्यम से भुगतान की जाय ! मैंने रेलवे बोर्ड को एक बिस्तृत लेटर  भेंजी है , उस लेटर कि कापी -सभी जोन को भी भेजी गयी !

अब देखना है कि रेलवे बोर्ड कौन सा कदम उठता है ! कर्मचारियों में जागरूकता लाने के लिए -एक हैण्ड बिल निकला गया है ! यह हिंदी और तेलगू में निकला है ! २०११ का बर्ष --और आंध्र- प्रदेश में हिंदी का हैण्ड बिल ,   यह एक पहला कदम है ! इस हैण्ड बिल के बाद जागरूकता जगी है ! सभी कि नजर सम्मान से लोको पायलटो कि तरफ उठ गयी है ! जिन्होंने सभी कर्मचारियों के हित में आवाज बुलंद किया है ! हैण्ड बिल नीचे है - इसे क्लिक कर ध्यान से जरुर पढ़े -

इस हैण्ड बिल में   शब्द त्रुटी भी है ! जो तेलगू भाषी प्रेस वाले की वजह से है ! प्रूफ  न देखने से हुयी है ! जिसे  आप लोग आसानी से समझ  सकते है ! हाँ - इस तेलगू  प्रेस  ने बहुत कठिन मेहनत कर बनाया  है ! जो वाकई सराहनीय   है ! 

  इस दसहरे में "  दक्षिण  भारत दर्शन  " के लिए  सपरिवार  - मदुरै , रामेश्वरम और कन्याकुमारी तक जा रहा हूँ  ! अब अगली मुलाकात दस दिनों बाद होगी ! आप सभी को नवरातन , दसहरे ,और विजयादसमी की शुभ कामनाये ! माता सबकी रक्षा करें ! जय दुर्गे !



Sunday, September 25, 2011

सिग्नल ---


कल की बात है ( २४ सितम्बर २०११).
गुंतकल से वाडी जंक्सन के लिए चेन्नई सुपर को लेकर जा रहा था ! मेरी ट्रेन प्लेटफोर्म संख्या - पांच पर खड़ी थी !  प्रायः सभी ट्रेन यहाँ पंद्रह मिनट तक रुकती है ! ताकि रेलवे ट्रेन की बोगियों की साफ - सफाई कर सके ! स्टार्टर पीला संकेत बताने लगा  था ! हमने अपने गार्ड साहब से ट्रेन स्टार्ट करने की अनुमति मांगी ! उन्होंने कहा की सफाई वाले खतरे की बोर्ड रखे हुए है ! अभी सफाई का काम  पूरा नहीं हुआ है ! एक - दो मिनट और इंतजार करे ! 

तब - तक गुंतकल केबिन ( बायीं पास ) के स्टेशन मास्टर जोर - जोर से हमें पुकारना शुरू कर दिए , जिससे की हम तुरंत  ट्रेन स्टार्ट कर ले ! कुछ समय बाद हमारे गार्ड साहब ने हरी झंडी दिखाई ! हमने सिटी दी और ट्रेन चल पड़ी ! इंटर मिडियत स्टार्टर , बायीं पास स्टार्टर को हम उचित सिगनल से पास कर गए ! अब हमारे सामने लास्ट स्टॉप सिगनल आने वाला था ! वह हरी लाइट( प्रोसेड़ ) बता रहा था ! हम नजदीक आने वाले ही थे की वह लाल बत्ती( खतरा ) बताने लगा !

तुरंत आकस्मिक ब्रेक लगाने पड़े ! ट्रेन तो रुक गयी , पर कई बार पुकारने के वावजूद भी बायीं पास मास्टर ने कोई जबाब देना उचित नहीं समझे ! ट्रेन पांच मिनट  तक रुक गयी ! फिर ग्रीन लाइट आने के बाद हम आगे की तरफ प्रस्थान कर गए ! इसकी सूचना मेरे सहायक ने सेल फोन के द्वारा , मुख्य शक्ति नियंत्रक को दे दी ! वाडी जाने के बाद , इसकी शिकायत मैंने - शिकायत पुस्तिका में भी लिख दी !

पर क्या कुछ , कार्यवाई हुयी ? अभी तक तो जीरो !  आये ऐसी कुछ परिस्थितियों पर नजर डालें- जो खतरनाक साबित हो सकती है ! 
१) लाल बत्ती की अवस्था में ट्रेन आगे ले जाने पर - लोको पायलट को डिसमिस या बर्खास्त किया जा सकता   है  !  इस घटना में किसी की नाजुक गलती - लोको पायलट के लिए खतरनाक  साबित हो सकती है ! 
२) इस अवस्था में आगे बढ़ने पर कोई अंजान दुर्घटना के भी अंदेशा से नहीं मुकरा जा सकता है !
३)  सिगनल की खराबी - बड़े खतरों को निमंत्रित कर सकती है ! 
४) मास्टर की लापरवाही भी इसमे शामिल है ! 
५) इस तरह की घटनाये , ट्रेन के पटरी से उतरने के कारण भी है ! 
६) और बहुत कुछ ....................और 
७) सब तो ठीक है ---जो भी होगा देखा जायेगा , अंत में लोको पायलट को बलि का बकरा बनना पड़ेगा  ! 
मेरे गार्ड साहब -एस.आर.नायक ., मेरा सहाय - एस चाँद बाशा , मेरा लोको संख्या -११३४७ / पुणे बेस !

 यहाँ सबसे महत्त्व पूर्ण बात यह है की मैंने समय रहते हुए -इस गलती को प्रशासन के सम्मुख रख दिया है ! इस तरह की कई घटनाओ को प्रस्तुत कर चूका हूँ ! फिर प्रशासन उचित कार्यवाही क्यों नहीं कर रही है ? क्या नए दुर्घटनाओ का इंतजार है ! अभी - अभी पता चला है की अरक्कोनाम  टक्कर ( दो ट्रेन के बीच - जिसमे दस से ज्यादा लोगो की जान गयी ) में भी सिगनल के खराबी का अंदेशा किया जा रहा है ! व्यवस्था  या दुर्व्यवस्था ! कब तक लोको पायलट और यात्री मरते रहेंगे ? 
 ( सौजन्य - जोइंट जनरल  सेक्रेटरी / ऐल्र्सा / दक्षिण मध्य रेलवे )

Wednesday, September 7, 2011

बुझ गयी जिंदगी !

  "" दुर्घटना स्थल पर जांच किया और पाया की जीवन समाप्त हो गयी है "    लाल रंग के स्याही से रेलवे डाक्टर ने इस बात की पुष्टि की ! जी हाँ जिस महीने में सारी दुनिया मजदूर दिवस मनाने में मशगुल थी , उसी माह में ऐसी दर्द नाक दुर्घटना होगी - किसी ने स्वप्न में भी नहीं सोचा था ! सहायक लोको पायलट - एन.एस .प्रबोध की तिरुनेलवेली यार्ड में -एक ट्रेन के रेक को पीछे धकेलते समय - यार्ड में ,धक्का लगाने से  रात्रि के दो बज कर पैतालीस मिनट पर, तारीख ३० मई २०११ को - दुर्घटना का शिकार हो गए ओर तुरंत मृत्यु हो गयी  ! जिसकी पुष्टि रेलवे डाक्टर ने लाल स्याही में कर दी थी  ! असावधानी ही जीवन ले ली  !
                                                                      एन.एस.प्रबोध

शायद इसी लिए लोको पायलटो की पत्निया हमेश एक इंतजार की घडी में ही जीती है ! वह इंतजार भी अपने - अपने इष्ट देव की पूजा और अर्चना में व्यतीत हो जाती है , जिससे की उनके पति सकुशल घर वापस लौटे ! एन.एस.प्रबोध को दो बेटे है ! सात वर्ष का सिद्धार्थ और दो वर्ष का सचिन  ! पत्नी मंजू इस युवा अवस्था में ही अपने पति से बिछड़ गयी , जो काफी असहनीय है ! उसके कंधे पर दो बच्चो की परवरिश और सास -ससुर की देख भाल की जिम्मेदारी आ पड़ी है !

   एन.एस.प्रबोध हमारे असोसिएसन का एक अनुशासित  कार्यकर्ता थे ! आप दिनांक - २५-०९-२००० में रेलवे में सहायक लोको पायलट के रूप में ज्वाइन किया था  ! शुरुवाती पोस्टिंग दक्षिण रेलवे  के इरोड डिपो  में हुयी थी ! इन्होने पालघाट , एरनाकुलम और अंत में अपने पैत्रिक नगर कुईलों में कार्य किया ! इनके अनुशासित रवैये से बहुतो को अपने हाथ सेकने में कठिनाई का सामना करना पड़ता था और बहुत कुछ !

        दिनांक ०३-०६-२०११ को कुईलों में आल  इंडिया लोको रंनिंग स्टाफ  एसोसिएसन ने एक शोक -सभा का आयोजन किया और इस एसोसिएसन के तरफ से पांच लाख पच्चीस हजार रुपये  का एक सहायता चेक , उनके धर्मपत्नी को भेंट किया गया !  आल  इण्डिया  लोको रुन्निंग स्टाफ एसोसिएसन गहरा दुःख ब्यक्त करते हुए ,  भगवान से प्रार्थना करता है - की उनके शोक संतप्त परिवार को धैर्य और साहस दे , ताकि वे इस गम को सह  और भुला सके ! पुरे  लोको पायलटो की ओर से  स्वर्गीय एन.एस.प्रबोध को भाव भीनी श्रद्धांजलि ! भारतीय रेलवे के लोको पायलट रोजाना एक नयी जीवन पाते है ! कब क्या हो जाये किसे पता ?

Saturday, August 13, 2011

मुझसे क्या भूल हुई , जो ये सजा मुझको मिली ?

                                   एस.मनोहर लोको पायलट /रेनिगुन्ता (बिना चश्मे की आँखे )

दुनिया में  सबसे बड़े लोकतंत्र के मायने में , हमारे देश की गरिमा सर्वोपरी है ! यही लोकतंत्र बड़े को बड़ा और छोटे को छोटा भी बना देता है ! देश में तरह - तरह के आन्दोलन और धरने रोजाना देखने को मिल जायेंगे !       इन आन्दोलनों / धरनों से देश और समाज को काफी नुकशान उठाने पड़ते है ! इन धरनों की सफलता सामने वाले की सकारात्मक चिंतन पर निर्भर करती है ! इस समय असामाजिक तत्व अपने   हाथ  सेंकने    से   नहीं    चुकते !     कईयों   की जाने  व्  घायल होना तो स्वाभाविक ही है ! लेकिन बिना आन्दोलन और  धरने के किसी को घायल करना ,पागलपन ही तो है


      अब आये -एक दर्द भरी- पीड़ा आप के सामने प्रस्तुत कर रहा हूँ ! भारतीय रेल के चालक - ड्राईवर कहलाते थे ! अब रेलवे ने इसे संवार  कर लोको पायलट का नाम  दे दिया है ! तारीख २० जून २०१०, .रेनिगुन्ता का एक लोको पायलट जो हमारे एसोसिएसन का मेंबर भी है , नाम -श्री एस. मनोहर  ( उम्र -३८ वर्ष ), ट्रेन संख्या -१७२०९ (बंगलुरु से काकीनाडा ) को जोलर पेत्तायी  से लेकर रेनिगुन्ता को आ रहे थे ! यह ट्रेन काट पाडी ,पाकला और तिरुपति होकर रेनिगुन्ता को जाती है ! इन कि ट्रेन काट  पाडी से पौने छ बजे रवाना हुई और रामापुरम की तरफ बढ़ रही थी ! ट्रेन की गति करीब ८५ किलो मीटर के आस - पास थी ! अचानक किसी बाहरी व्यक्ति ने एक पत्थर दे मारा ! वह पत्थर लोको के सामने वाली शीशे को तोड़ती हुई ,एस. मनोहर के सीर  पर लगी ! ट्रेन की गति और वह पत्थर , किसी बन्दुक के गोली से कम नहीं थी ! वे ट्रेन को न संभाल  ,  दर्द से कैब में ही गीर  पड़े ! सहायक ने आकस्मिक ब्रेक  लगा कर ट्रेन  को तुरंत रोक दिया ! देखा उसके लोको पायलट के चहरे खून से लत -फत! दोनों आँखों को हाथ से पकडे हुए ! 

 मनोहर ने कहा - मेरे आँख बुरी तरह से जख्मी  हो गए है ! मै ट्रेन आगे नहीं चला सकता ! मेडिकल सहायता जरुरी है ! इसकी सूचना ट्रेन गार्ड   को मिल चुकी थी ! उसने कंट्रोल कार्यालय को सूचना दे दी ! ट्रेन को धीमी गति से चला कर सहायक रामपुरम तक ले आया !

  एक दुसरे ट्रेन के लोको पायलट की (उस ट्रेन को आगे ले जाने के लिए) व्यवस्था किया गया ! रामपुरम के  आस-पास कोई डाक्टर नहीं है ! अतः मनोहर को काटपाडी  वापस भेजा गया ,जहा रेलवे डाक्टर पहले से तैयार थे! 

तब-तक रात के नौ बज रहे थे ! रेलवे डाक्टर ने घाव की जाँच की -पर वह उसके वश का नहीं था ! दुसरे दिन  यानी २१ जून २०१० को एस.मनोहर को क्रिश्चन मेडिकल कोलेज ( सी.एम्.सी ) वेल्लोर को रेफर किया गया ! जहा आँख के स्पेशलिस्ट  अपनी गहन जाँच के बाद इस नतीजे पर पहुंचे की मनोहर के बाएं आँख की कोर्निया और नेचुरल   लेंस  क्षतिग्रस्त हो गए है ! सर्जरी जरुरी है ! दाहिने आँख को भी साधारण चोट लगी है ! सी.एम्.सी.के डाक्टरों  ने सर्जरी सफलता पूर्वक किये और २५ जून को मनोहर को डिस्चार्ज कर दिया गया !


 शंकर नेत्रालय चेन्नई और दक्षिण भारत में बहुत ही प्रसिद्द अस्पताल है ( नेत्र के इलाज और  आपरेशन के लिए ) , एक महीने बाद रेलवे मुख्य चिकित्सा अधिकारी के अनुमति से एस.मनोहर इस अस्पताल में ऋ -चेक के लिए गए ! डाक्टरों ने सुझाव दिया की रेतईना डिटैच पोजीसन  में है ! फिर आपरेशन  करना पडेगा !


फिर पेरम्बूर रेलवे हॉस्पिटल ने इसकी अनुमति दी ! शंकर नेत्रालय में डाक्टरों ने आपरेशन की और रेतईना को फिर अटैच कर दिए ! इतना ही नहीं उन्होंने सुझाव दिया की प्रति माह चेक -अप करने होंगे और सिक्स माह के बाद फिर एक आपरेशन करने पड़ेंगे !


   इस तरह से एस. मनोहर पुरे उपचार के बाद अपने रेलवे हॉस्पिटल को रिपोर्ट किये ! उन्होंने  इस लोको पायलट श्री एस.मनोहर को - ट्रेन चलने के कार्य से  मेडिकली अन -फिट कर दिया है ! अब एस. मनोहर ट्रेन नहीं चला सकते ! इस दुर्घटना ने उनके जीवन को बदल कर रख दिया ! वह आजाद पक्षी अब उड़ नहीं सकता ! मुझे  इस घटना की पूरी रिपोर्ट , उस समय ही मील गयी थी ! लेकिन पूरी जानकारी नहीं थी ! जब मै उनसे ग्यारह अगस्त को रेनिगुनता रेस्ट रूम में मिला तो उन्होंने उपरोक्त  पूरी जानकारी दी !
 
लोको पायलटो के दुखो और निदानो से सदैव लड़ते आया हूँ ! इस व्यथा को सुन दिल कह उठा - मुझसे क्या भूल हुई  जो ये सजा मुझको मिली ! रेलवे पथ  के किनारे खड़े व्यक्ति के एक छोटे पत्थर ने आज एस.मनोहर के जीवन को झक-झोर कर रख दिया है ! आखिर इन्होने  किसी का  / उसका क्या बिगाड़ा था ? आज रेलवे  इन्हें अपाहिज नहीं किया , बल्कि सुयोग्य पद के तलाश में है ! फिर भी इन्हें प्रति माह करीब दस-पंद्रह हजार  के नुकशान सहन करने पड़ेंगे ! 
     ( अगली पोस्ट -बालाजी के जन्म दिवस -२७-०८-२०११ के पहले  = प्यारा सर्प ,मेरी पत्नी और बालाजी )

         बालाजी द्वारा -राष्ट्रीय  ध्वज को नमन -स्वतंत्रता दिवस पर 

Sunday, May 29, 2011

क्या आप संरक्षा के सहयोगी बनना चाहते है ?

गवर्नमेंट या सरकार ....आखिर कौन है ? क्या सत्ता के लोलुप या वोटर ? हर व्यक्ति सरकारी सुबिधा / लाभ  लेने के लिए इच्छुक रहते है ! क्या इच्छा ही काफी है या हमारे भी कुछ उत्तरदायित्व बनते है !हमारे देश में लोकतंत्रीय शासन विराजमान है ! जो विश्व में अपने तरह का एक नमूना और विश्व के लिए अनुकरणीय बन गया है ! विश्व के सभी देश इस ओर अग्रसर होने के लिए बेसब्री से कतार में खड़े मिल जायेंगे ! मुश्लिम देश भी इससे अछूता नहीं है ! आखिर इसके राज क्या है ?
लोकतंत्र हमें हर चीज की आजादी देता है और वह आजादी ...किसी दुसरे की आजादी को ठेस.... पहुचाने के लिए छुट नहीं देती ! देश के सभी ...धन - संपदा के हिस्सेदार होते है ! सभी को हर क्षेत्र में बराबर की हिस्सेदारी होती है ! चाहे किसी धर्म या जाति या लिंग  का क्यों न हो ! जब हमें इस तरह की आजादी मिलती है ,तो हमारे उत्तरदायित्व ...अपने देश और इसकी धन - संपदा के प्रति और बढ़ जाते है ! हर सरकारी संपदा की हिफाजत करना ...हर नागरिक का परम कर्तव्य है !

गलत लोगो को सार्वजनिक करना भी हमारे उत्तरदायित्व के अन्दर आ जाते है ! देखा जाए तो यही हम असफल हो जाते है ! आखिर क्यों ? गलत लोग हमारे आस - पास ही पनपते और बढ़ते है  !पनपने के पहले ही उनके जड़ को समूल नष्ट  करने चाहिए , कानूनी दायरे में ! अगर ऐसा होता तो हम इन आतंकवाद , भ्रष्टाचार , अलगाववाद और नक्सलवाद के रोग से विल्कुल मुक्त होते थे ! नासूर को बढ़ने देने से .. यह ..एक दिन  बड़ा कैंसर बन जाएगा ! इस तरह के रोगों का इलाज कठिन और महँगा भी होगा ! आज हम इससे रोज जूझ रहे है !

तारीख ---२५-०५-२०११ , मै दादर - चेनई ( १२१६३ ) सुपर फास्ट को लेकर रेनिगुन्ता  तक जा रहा था ! समय से दस मिनट लेट ...ट्रेन गुंतकल से   ...रवाना हुई ! रायालाचेरुवु  तक दोहरी लाईन है ! ट्रेन दोहरी लाईन में ११० किलोमीटर / घंटा के हिसाब से  दौड़ रही थी ! नक्कनादोदी  स्टेशन आने वाला था ! बगल के लाईन से एक पैसेंजर ट्रेन ( हिन्दुपुर - गुंतकल ) दौड़ रही थी ! अचानक उस ट्रेन के लोको पायलट ने हमें वाल्की - ताल्की पर पुकारा ! मेरा सहायक.... तुरंत ..उसका जबाब दिया !

" "ट्रेन के बीच में किसी कोच के अन्दर से  धुँआ निकल रहा है ! "- पैसेंजर लोको पायलट ने खबर दिया ! मैंने पूरी वार्तालाप सुन लिया था ! अतः तुरंत ट्रेन को नक्कन डोंडी  स्टेशन में खडा किया और सहायक लोको पायलट को जाकर चेक करने को कहा ! गार्ड और सहायक ....दोनों ने मिलकर ट्रेन की मुआयना किये ! समस्या बी -१ वातानुकूलित कोच में था ! वातानुकूलित जेनेरेटर से धुँआ आ रहा था ! उसे वातानुकूलित tech .... ने ठीक कर दिया ! ट्रेन फिर अपने गति से चल दी !

इसी दिन फिर ..जब ट्रेन नन्दलुर स्टेशन को रोड -१ से १५ किलोमीटर / घंटा की  गति से पास हो रही थी  , तभी किसी ने आपातकालीन जंजीर खिंच दी ! ब्रेक  पाईप  प्रेसर गिरने लगा और   ट्रेन चिचियाकर रुक गयी ! इसकी सूचना स्टेशन मैनेजर और गार्ड को दे दी गयी ! समस्या के समाधान के लिए , फिर मैंने सहायक को जाकर देखने को कहा ! वह गया ! पीछे से गार्ड साहब भी चेकिंग में जुटे ! ट्रेन का प्रेसर आ गया ! मैंने सिटी बजाई और गार्ड साहब पीछे तथा मेरा सहायक लोको में आ गया ! सहायक ने जो सूचना दी वह इस प्रकार है ---
                                         कोच संख्या -बी.१ में एक युवक शौचालय में गया था और उसका पर्स ..जिसमे दस हजार रुपये ,एतियम कार्ड  , क्रेडिट कार्ड वगैरह था , शौचालय के बीच छिद्र से ...नीचे गीर गया था ! अतः उसी ने चैन खींचा था ! पर्स नहीं मिला है और इसकी सूचना गार्ड ने स्टेशन मैनेजर को दे दी है ! वह व्यक्ति गार्ड ब्रेक में है , अगले स्टेशन में शिकायत करेगा !

देखा  आपने  ...एक ही दिन मैंने दो तरह के लोग से मुखातिब हुआ ! एक पैसेंजर लोको पायलट ...जिसने अपनी सतर्कता से सुपर फास्ट ट्रेन में ....आग जैसी किसी अनहोनी से .....रेलवे की सम्पति और ट्रेन में सफर करने वाले.. लोगो  की सुरक्षा की ! दूसरी तरफ ... एक लापरवाह व्यक्ति ने अपना बहुत कुछ खो दिया ! उसकी ज़रा सी सावधानी उसके पर्स को ...चलती ट्रेन से गिरने से बचा  सकती थी  !

 हम लोको पायलट ...आप की सुरक्षा और संरक्षा  की जिम्मेदारी लेकर .. दिन हो या रात ...सदैव चलते रहते है ! रात को आप अपने बर्थ पर बिना किसी चिंता के सो जाते है और हम आप की मंजिल को ....आप के कदमो के करीब.... ला खडा करते है ! क्या आप हमें कुछ मदद करेंगे ?
          १. अपने सामान को विशेष ध्यान देकर रखे  !
          २.अंजान व्यक्तियों से कुछ खान - पान न करे ! 
          ३. किसी तरह की असुविधा होने पर टी.टी. या पुलिस  स्टाफ  को सूचित करें !
          ४. आप जिस कोच में सफर कर रहे हो ,उसमे किसी तरह की ...अनावश्यक ध्वनी या धुँआ या                  आवाज आ रही हो तो निकट के स्टेशन मैनेजर या गार्ड या लोको पायलट को तुरंत सूचित                      करें!
          ५.ज्यादा खतरा महसूस होने की हालत में ...आपातकालीन जंजीर खींचना न भूलें !हम             
                आपके जंजीर खींचने की परख कर ...गाडी तुरंत खड़ी कर ....समस्या का निदान करने की                    सफल प्रयास करते है !   
           ६.सुरक्षा के मद्दे - नजर ..ट्रेन में झगड़ा - झंझट न करें ! एक दुसरे से शान्ति बनाए रखें!
           ७. छोटे - छोटे बच्चो को कोच से बाहर न जाने दे ! उससे आप और हम रेलवे... समयपालन
                   करने में चुक जायेंगे ! समय की हानि होगी ! 
            ८ ज्वलन शील पदार्थ यात्रा के समय लेकर न चले  ! इससे आप और रेलवे ,,दोनों को           
                    परेशानी .... की सामना करना पडेगा ! 
             ९. कीमती गहने ..पहन यात्रा न करें !
              १०. ट्रेन से यात्रा करते समय ...न हाथ खिड़की से बाहर निकाले , न दरवाजे पर झूले या न दरवाजे पर वैठे ! यह ट्रेन के दौड़ते समय ..घातक सिद्ध हुयी है ! बहुतो ने अपनी जान गवा दी !
              ११.) आप हमारी मदद करें, हम .. आप की सेवा में सदैव नतमस्तक है !

करेंगे न .?        
( कमेन्ट हिंदी में .. लिखने के लिए ..इस ब्लॉग के निचे   सुविधा उपलब्ध है , वहा जाए और अपनी बात इंगलिश में लिखे , वह हिंदी या अन्य भाषा में परिवर्तित हो जायेगी !फिर कॉपी कर ...पोस्ट के कमेन्ट खाने में पेस्ट कर दें ! दूर जाने की झंझट गायब )      

Sunday, May 1, 2011

..उसकी अस्मिता लूटती रही और मेरा दृढ निर्णय ...

                           जीवन में हर मोड़ पर ..किसी न किसी निर्णय को लेना या करना पड़ता है !राम ने पिता के आज्ञा को पालन करने का निर्णय लिया था !दसरथ ने कैकेयी के वर और अपने वचनों के पालन का निर्णय लिया था ! लक्षमण  ने राम के साथ वन जाने का निर्णय लिया था ! सीता ने पति धर्म निभाते हुए ...पति के साथ वनवास जाने का निर्णय लिया था ! रावण ने सीता का अपहरण करने का निर्णय लिया और यह एक घोर और भीषण लडाई का कारण बना था !बिभीषण ने न्याय का पक्ष लेने का निर्णय किया और घर के भेदी जैसे शुभ नाम से जाना जाने लगें ! राम भक्त हनुमान ने अपने ईस्ट देव / प्रभु राम का साथ देने का निर्णय किया !

                         महाभारत में देंखे तो युधिष्ठिर ने लडाई से परे रहने का निर्णय लिया ! दुर्योधन ने एक इंच भी जमीन पांडवो को न देने का निर्णय किया और एक लम्बी युद्ध को निमंत्रण दे बैठा ! कृष्ण ने पांडवो का पक्ष लिया , यह भी एक योग रूपी निर्णय था !
              हर निर्णय को देंखे तो हमें  दो रूप ही दिखाई देते है ! 
              पहला - परोपकार हेतु निर्णय और 
              दूसरा- स्वार्थ  वश !

              इसी धुरी पर केन्द्रित निर्णय ..हमें रोज जीवन में लेने पड़ते है ! भुत , वर्त्तमान और भविष्य ...कोई भी काल क्यों न हो हमेशा एक न एक निर्णय के साए में ही ...फला और पनपा है ! सभी दृस्तियो में निर्णय  ही भावी रहा है !

              ज्यादा शब्द बोझ न देते हुए ...संक्षेप में इस कड़ी को पूरी करना चाहता हूँ !
              मै दोपहर को सो कर ही उठा था और टी.वि.देख रहा था , तभी बरिष्ट लोको इंस्पेक्टर जनाब ताज्जुद्दीन का फ़ोन आया ! उन्होंने कहा की जल्द चार पास पोर्ट साइज़ फोटो  लेकर ऑफिस में आ जाईये !  
            मैंने पूछा -क्यों ?
           "अरे यार आओ ना " चुकी बैच  मेट है , इसीलिए उन्होंने भी सहज रूप में जबाब दिया ! मै थोड़ा घबरा सा गया ! आखिर कौन सी बात आ टपकी ! सर्टीफिकेट का मामला हो सकता है - मैंने सोंचा ! उन्होंने जिद्द कर दी ,अतः मै चार फोटो के साथ ऑफिस में चला गया ! 
            फोटो देते हुए फिर पूछा -"  सर मेरे प्रश्न का जबाब नहीं मिला है ? 
         ' यू आर सलेक्टेड फॉर जी .एम्. अवार्ड ! उन्होंने तुरंत जबाब दिया !
         " मै नहीं मानता ,भला मुझ जैसे निकम्मे को जी.एम्. अवार्ड कौन देगा ? " - मैंने ब्यंगात्मक भाव से पूछा !        " बिलकुल सच ,यार !" जबाब  मिला !. यह घटना मार्च माह के प्रथम वीक की है ! 

                   तारीख ०८-०४-२०११ को मै रेनिगुन्ता से सुपर -१२१६४ काम करके आया और आगे जाने वाले लोको पायलट को ट्रेन का कार्यभार सौप रहा था! देखा - बरिष्ट लोको इंस्पेक्टर श्री मुर्ती जी चले आ रहे है ! वे मुझसे उम्र में बड़े है तथा नौकरी में भी बरिष्ट ! आते ही मुझे - " congratulation "  कहा !
                मैंने पूछा - किस बात का सर ?
             आप का नाम जी.एम्.अवार्ड के लिए अनुमोदित हो गया है ! १३ अप्रैल / ११ अप्रैल को दिया जाएगा !  मैंने कुछ नहीं कहा ,सिर्फ धन्यबाद के !

               मैंने इस बात की जानकारी अपने मुख्य कर्मी दल नियंत्रक  श्री जे.प्रसाद को दी ! इसके बाद से ही मेरे प्रति षडयंत्र शुरू ! दुसरे दिन मेरे लोको इंस्पेक्टर जनाब ताज्जुद्दीन ने बताया की - " दुःख के साथ कहना पड रहा है की आप का नाम  जी.एम्.अवार्ड से बंचित हो गया ! इसके पीछे साजिश काम कर गया !" मुझे भी इस समाचार को सुनकर दुःख हुआ !

              मै १२६२८ कर्नाटका एक्सप्रेस तारीख १३-०४-२०११ को काम करके आया था और स्नान वगैरह कर सोने की तैयारी में था , तभी गदिलिंगाप्पा ( मुख्य कर्मीदल नियंत्रक / गुड्स ) का फ़ोन आया ! उन्होंने कहा की आज डी.आर.एम्.अवार्ड रेलवे इंस्टिट्यूट में दिया जाएगा और आप का भी नाम शामिल है !मैसेज संख्या -१३ /०४ /२५ है ! आप इंस्टिट्यूट में जाकर इसे ग्रहण करें ! 

               मैंने कहा -ओ.के .और फ़ोन रख दिया !  रात भर ट्रेन चलाने की वजह से नींद आ रही थी अतः सो गया !             यह निर्णय कर की -मै इस अवार्ड को बहिष्कार करूंगा !

              जी हाँ ,उस दिन मै सो नहीं सका क्यों की बार - बार सभी लोको इंस्पेक्टरों  की रेकुएस्ट भरी फ़ोन आती रही की आप आओ और इस अवार्ड को ग्रहण करें ! मैंने जिद्द कर ली थी और उन लोगो को कहला दिया की मै अवार्ड का भूखा नहीं हूँ ! कृपया मुझे माफ करें! मेरे सर्टिफिकेट को लोब्बी में रख दे तथा जो कैश है उसका स्वीट खरीद कर गरीबो में बाँट दे !

            साजिस = जैसे ही कुछ लोको इंस्पेक्टरों और मुख्य शक्ति नियंत्रक को मालूम हुआ की मुझे जी.एम्.अवार्ड मिलने वाला है , त्यों ही उन्होंने एक यूनियन की मदद से उसे तुरंत खारिज करवा दिए ! इस तरह से उस अवार्ड की अस्मिता लूट गयी ! इन भ्रष्ट लोको इंस्पेक्टरों और यूनियन   के समूह ने मिल कर इस अवार्ड को मौत के घाट उतार दिया !वह मेरी न हो सकी !उससे मै बंचित रह गया !उसकी अस्मिता वापस लाने के लिए ,डी.आर.एम्.ने तारीख १३-०४-२०११ को रेलवे इंस्टिट्यूट में बुलवाएँ !

              इस घिनौनी हरकत और अन्धो के बीच अपनी नाक कटवा दूँ ! यह मुझे गवारा नहीं था ! अतः मैंने इसे लेने से इनकार कर दिया ! आज - कल ..सरकारी क्षेत्र में अवार्ड अपनी अस्मिता बचाने के लिए ...वैभव और स्वर्ण वेला के लिए , मौन मूक तड़प रही है ! ठीक चातक की तरह ...इसी आस में की अमावश की रात कटेगी   और पूर्णिमा की चाँदनी रात जरुर आएगी ! 
   
             मेरे इस निर्णय को पूरी तरह से सराहा गया ! यह मेरे जीवन की अविस्मर्णीय घटना बन गयी है ! चोरो का मुह काला हो गया है !

Saturday, April 9, 2011

कभी - कभी --०३..महाप्रबधक( दूसरा भाग )

सिकंदराबाद रेलवे स्टेशन  का बाहरी दृश्य !
पत्र संख्या  - डी.पि.०४२/८३/२००६.   दिनांक -२१-०१-२००६.गुंतकल.
 महामहिम 
        माननीय महाप्रबंधक जी.
        दक्षिण मध्य रेलवे ,सिकंदराबाद 
       ( गुंतकल आगमन पर ,निरिक्षण के दौरान )
       गुंतकल.
   विषय -रंनिंग कर्मचारियों की दर्दनाक वेदना और क्षेत्रीय मेल / एक्सप्रेस लिंक का लागू किया जाना !
           श्रीमान , मै गोरख नाथ साव (G .N .SHAW) उपरोक्त एसोसिएसन के मंडल अध्यक्ष के पदा-धिकारी 
 के तौर पर , इस पत्र के माध्यम से , आप का ध्यान , निम्न कुछ बातो पर आकर्षित करना चाहता हूँ:-

                                    सबसे पहले सभी रुन्निंग कर्मचारियों के तरफ से ,गुंतकल मंडल में ,आप का 
 हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ ! जैसा की सर्व विदित है , रंनिंग कर्मचारी चाहे मेल/एक्सप्रेस/मालगाड़ी चालक 
 हो या सहायक चालक या संटर ,सभी रेलवे के अर्थ  को बढाने तथा  माल - जान की सुरक्षा में प्रमुख भूमिका 
 निभाते है ! यह तभी सम्भाव्शील होता है जब सभी रुन्निंग कर्मचारी , मानसिक व् शारीरिक रूप से स्वक्छ हो     !
         यह स्वच्छता तभी संभव है ,जब सुचारू रूप से अनुशासन को पालन करने दिया जाय ! अनुशासन  तभी पालन होगा , जब मानव पूर्ण रूप से तैयार और जागरुक हो ! तैयार और जागरुक तभी होगा , जब काम करने की क्षमता हो ! काम करने की क्षमता ..तभी प्रखर होगी , जब मनुष्य पूर्ण आराम किया हो ! और आखिरी में यही पूर्ण आराम संरक्षा का दूसरा रूप भी है !

                                 संक्षेप में पुरे रेलवे की व्यस्था का परिवाहक   ये रुन्निंग स्टाफ होते है ! अंततः रंनिंग स्टाफ रेलवे में उत्पन्न  ,उत्पादकता का ग्राहक है ! उत्पाद जैसा होगा ,वैसी ही परिणाम प्राप्त होगी ! अतः अच्छे और सुरक्षित अर्थ व्यवस्था के लिए --यह आवश्यक हो जाता है की रंनिंग कर्मियों के रहन - सहन तथा कार्य प्रणाली पर विशेष ध्यान दिया जाय ! इसके अंतर्गत उनके मानसिक ,शारीरिक ,सामाजिक व् आर्थिक व्यवस्था  को समृद्ध बनाना बहुत जरुरी हो जाता है !क्योकि रुन्निंग कर्मचारी रेलवे की रीढ़ है १ अगर रीढ़ की हड्डी टूट गयी ,तो पुरे रेलवे  की व्यवस्था चरमरा जाएगी !

                                      मैंने तीन बातो /शब्दों का उपयोग ज्यादा किया है ( मानसिक ,सामाजिक व् आर्थिक )क्योकि रुन्निंग कर्मचारी के शरीर को ये शब्द बुरी तरह से प्रभावित करते है ! उदाहरणार्थ -आर्थिक स्थिति बिगड़ने से मानसिक संतुलन घटता है व् मनुष्य  समाज से अलग थलग होने लगता है ! परिणामतः शारीरिक प्रक्रिया में वीकार उतपन्न हो जाते है !यह शारीरिक वीकार किसी को भी सुरक्षा की गारंटी नहीं दे सकती !जब ब्यक्ति खुद शारीरिक विकार से पीड़ित हो , तो वह किसी को कहाँ से सुरक्षा प्रदान करेगा !नतीजतन --दुर्घटना अवश्यमभावी है !

                                    रेलवे में दुर्घटनाये होती है तथा विभिन्न प्रकार के कमेटियो के द्वारा , इसकी जाँच करायी जाती है !परिणाम --कुछ नहीं मिला तो मानवी भूल बता कर काम चला लिया जाता है !अगर ऐसा ही है , तो क्या ?..किसी ने सोंचने की कोशिश की है ? आखिर क्यों ?यह मानवी भूल ?


                          जी हाँ ,इन सभी मानवी भूल का मूल कारन शारीरिक ,मानसिक ,आर्थिक व् यांत्रिक असहयोग ही है ! और इन सभी कारणों के कारन कौन है ?आखिर कब तक ऐसा चलता रहेगा ?


                        अगर यही सिलसिला जरी रहा तो वह दिन दूर नहीं , जैसा की सन २००३-२००४ के दौरान हुआ !( लगातार पैसेंजर ट्रेन दुर्घटना ),फिर भविष्य में देखने को मिले १अगर ऐसा हुआ तो  यह जान बुझ कर की गयी , मानवी भूल की श्रेणी में आयेगा ! हमें सोंचना पडेगा परिणामो के बारे में !

                     समय की पुकार है , रुन्निंग कर्मचारियों के काम के घंटे कम किये जाय ! फास्ट ट्रेनों की वजह से 
 दुरीया स्वतः बढ़ती जायेंगी !रंनिंग कर्मियों के भीतर अराजकता का फैलाव ,कुपोषण तंत्र को पैदा कर सकता है !जिससे हमें होशियार रहना चाहिए !

                         आज के आवश्यकता के अनुसार रुन्निंग कर्मियों को वीकार की तरफ धकेलने के वजाय,प्यार और उनके अधिकार की आवश्यकता पर ध्यान देना ..सबसे जरुरी बात है ! अगर रुन्निंग कर्मचारी सुरक्षित है .तो रेलवे में कार्यरत सभी कर्मी सुरक्षित है ! देश की करोडो जनता ..सुरक्षित है ! हम और आप सुरक्षित है !  रही अर्थव्यवस्था की सुदृढ़ करने की ,तो इसे सुदृढ़ बनाने के लिए ..और कई साधन है जैसे -अर्थ अपव्यय को रोकना आदि !

                      रुन्निंग कर्मचारियों को , अपने सामाजिक चिन्तनो को भुलाकर नए - नए तकनीकी साधनों से गुजरना पड़ता है ! चाहे इंजीनियरिंग विभाग हो या सिग नलिंग या लोकोमोटिव या नियम - कानून !किसी ने भी यदि किसी तरह की त्रुटी की ,तो वह रंनिंग कर्मचारी है , जो प्रत्यक्ष प्रभावित होगा या सभी को प्रभाव से बचाएगा !

          देश में कर्तव्य निभाते हुए        दो श्रेणोयो को ही मौत को गले लगाते देखा गया है ! १) सीमा के प्रहरी ..हमारे वीर सैनिक  व् २) दुर्घटना के समय रंनिंग कर्मचारी ( रेलवे में )! दूसरा कोई विरले ही होगा जो कर्तव्य करते -करते मृत्यु को प्राप्त हो !

                                           उपरोक्त ,कुछ तथ्यों को देखते हुए कहा या समझा जा सकता है की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए ,रंनिंग कर्मचारियों के काम के घंटे तथा कार्य करने की प्रणाली में फेर बदल करने से ,उनकी सामाजिक , मानसिक तथा आर्थिक प्रक्रिया को उन्नतिशील या अवन्नितशील बनाया जा सकता है !

                             कोई भी फेर बदल ,आराम दायक होनी  चाहिए ! अन्यथा यह दुर्घटना तथा अनर्थ का आगामी होगा ! आज के रंनिंग कर्मचारी सच में कहा जाय तो मुह है ,लेकिन गूंगे है ! कान है , पर बहरे है ! आँख नहीं है ..पर देखते है !अर्थात व्यवस्था से ये इतने भयभीत हो चुके है की मूकदर्शक होकर , सब कुछ सहने को तैयार लगते है !क्यों की खौफ ( अधिकारियो की ) से सामना करने की व्यक्तिगत क्षमता चूर्ण हो चुकी है मान्यता  प्राप्त  यूनियन   अपने दायित्व को भुला चुके है ! इसके प्रमुख कारण स्वार्थ, लोलुपता है !

                                                                                                                         ऐसी स्थिति में , रंनिंग कर्मचारी अपनी बातो को उजागर करने के लिए , रास्ता ढूढते नजर आ रहे है ! आखिरी में उनको आल इंडिया लोको रंनिंग स्टाफ एसोसिएसन के तले शकुन एवंम राहत की एक छोटी सी किरण नजर आती है ! जो आप को भी भली - भांति जानकारी होगी ! यह एसोसिएसन केन्द्रीय , क्षेत्रीय तथा मंडलीय रेलवे के स्तर पर ,कार्यकारी कमेटियो के द्वारा संचालित हो रही है !

                                                       इसी माह , गुंतकल मंडल के रंनिंग कर्मचारोयो ने १८-०१-२००६ को मंडल रेल प्रबंधक आफिस के सामने सपरिवार एकजुट धरना दिया ! जिसका प्रमुख मुद्दा था  - क्षेत्रीय मेल / एक्सप्रेस लिंक को रद्द की मांग और यह उचित भी है ! क्योकि क्षेत्रीय लिंक रंनिंग कर्मचारियों को अपने परिवार तथा सामाजिक परिवीश से काफी दूर ले जाएगा ! काम के घंटे बढ़ेगें ! जिससे थकान व् असुरक्षा बढ़ेगी ! दुर्घटना की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता ! बहुत से उदाहरण भी है !जब रंनिंग कर्मी , दुसरे मंडल में काम करते हुए दुर्घटना का शिकार हुया है ! क्षमा कीजिये --मै उनके नाम नहीं गि ना सकता !इससे रंनिंग स्टाफ के स्वाभिमान और मंडल के सम्मान को धक्का लगेगा !

                                                                             महोदय , रंनिंग कर्मचारी एवं सुरक्षा के ऊपर एक पूरी किताब लिखी जा सकती है !यह विडम्बना है की सुरक्षा के उपाय बनाते समय ---रंनिंग कर्मी या उससे सम्बंधित संगठनो की राय नहीं ली जाती ! नियम बनाने वाले या तो अरन्निंग या रंनिंग काम के अनुभव से परे होते है ,जो दुर्घटना के कारण का बढ़ावा ही है !

                                                                  जब - तक रंनिंग कर्मियों को हे की दृष्टी से देखा ( मानसिक , शारीरिक ,आर्थिक व् यंत्र्रिक क्षेत्र में ) जाएगा , तब - तक सत प्रतिसत सुरक्षा  का दावा ( रेलवे में )असंभव है !

                             अति लिखावट एवं भूल चुक के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ !आप को  यह आवेदन आल इंडिया लोको रंनिंग स्टाफ एसोसिएसन के तरफ से देने का प्रमुख कारण यह है की कृपया आप क्षेत्रीय लिंक को रद्द करें ! क्योकि उपरोक्त कारण लागू होते है ! लगातार कार्य करने से मशीन को भी शेड को भेजना पड़ता है ! मनुष्य तो मनुष्य है ! इसे आराम एवं सुरक्षा की जरुरत है ! लम्बे समय तक कार्य करने की पद्धति स्वस्थ दीर्घायु को भी प्रभावित करती है ! दुर्भाग्य से ...दुर्घटना में रंनिंग कर्मचारी की मौत हो जाने पर ...उसके परिवार - जन मानसिक वेदना से पीड़ित हो जाते है ! यह सामाजिक एवं  पारिवारिक असंतुलन को बढ़ावा देता है !

                                                                                                          महोदय , कृपया सकारात्मक निर्णय लेकर , इस क्षेत्रीय लिंक को ख़ारिज करें तथा रंनिंग कर्मचारियों के भविष्य में चार चाँद लगाये ! आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है ,आप रंनिंग कर्मियों के व्यथागाथा को समझेंगे !

                                          आप का शुभाकांक्षी -
                                               ( हस्ताक्षर  )



Friday, September 24, 2010

कुछ भी हो सकता है..........................


  जरा इस  तस्बीर को देखिये ,इसमे कुछ भैंस का समूह,रेल लाइन को पार कर रही है.यह कहाँ तक सुरक्षित है-आप भी सोंचे.हम लोको चालको को ऐसी हालत में काफी घबराहट सी हो जाती है.समझ में नहीं आता की जल्दी में क्या करे? जैसे गाड़ी खड़ी करे या चलने दे,क्यों की ये भैंस तुरंत रेल लाइन से बाहर भी जा सकती है.अगर गाड़ी इनसे टक्करा गई,तो brake पद्धति,coach ,या लोको के किसीभाग में नुकसान पहुँच सकती है 
           लोको चालक यदि अचानक  ब्रेक लगा दे,तो यात्री गाड़ी के मामले में, यात्री के घायल होने की संभावना बढ़ जाती है .गाड़ी सुरक्षित तभी रोकी जा सकती है,जब इसके ब्रेक का इस्तेमाल उचित दुरी से किया जाये.रेलवे में इसके अलग-अलग पैमाने है.
         मवेशियों का रेल लाइन पर आ जाना अचानक ,तैयार हुई समस्या है.इसके लिए इनके मालिक पूरी तरह से जिम्मेदार है.भारतीय रेल अधिनियम के अनुसार किसी को रेलवे परिसर में,बिना अनुमति प्रवेस मना है.बिभिन्न परिस्थितियों में बिभिन्न सजा का प्रावधान है.
                 चरवाहों को चाहिए की अपनी मवेशियों को रेल लाइन के आस-पास न छोड़े/चरने दे.
     आखिर क्यों.......?    हम अपने जीवन में कभी-कभी सुरक्षित उपाय या तरकीबो का इस्तेमाल नजर अंदाज कर देते है. कृपया,रेल को सुरक्षित चलने के लिए ,अपना भरपूर सहयोग प्रदान करे.आप को आप के मंजिल तक ले जाने के लिए,हम लोको चालक सदैव प्रयत्नसिल है.

Wednesday, September 22, 2010

ट्रेन हादसा: स्टेशन मास्टर के कमरे से मिली शराब

Posted on Sep 20, 2010 at 13:07 | Updated Sep 20, 2010 at 13:20
भोपाल। मध्यप्रदेश के शिवपुरी के पास भद्रवाह में आज हुए ट्रेन हादसे में सनसनीखेज खुलासा हुआ है। भद्रवाह स्टेशन के स्टेशन मास्टर के कमरे से शराब की बोतले बरामद हुई हैं। इस ट्रेन हादसे में अब तक 19 लोगों की मौत हो चुकी हैं और 50 से ज्यादा लोग जख्मी हुए हैं। हादसे के बाद स्टेशन मास्टर के कमरे से बरामद हुई शराब की बोतलों से हड़कंप मच गया है। ऐसे में सवाल उठता है कि ये है कि क्या स्टेशन मास्टर शराब के नशे में था। मालूम हो कि ट्रेन के संचालन की सबसे बड़ी जिम्मेदारी स्टेशन मास्टर पर होती है। कंट्रोल रूम से आए मैसेज को स्टेशन मास्टर ही केबिन मैन के पास भेजता है। अगर स्टेशन मास्टर सही मैसेज कैबिन मैन को नहीं बढ़ाएगा तो ट्रेन दुर्घटना होना तय है। मुंबई सर्किल के रेलवे सेफ्टी कमिश्नर ने इस मामले की जांच शुरू कर दी है। वहीं रेलमंत्री ममता बनर्जी ने हादसे में मारे गए लोगों के परिजनों को 5 लाख रुपए, गंभीर रुप से घायलों को 1 लाख और मामूली रूप से घायल लोगों को 50 हजार रुपए मुआवजा देने का ऐलान किया है।
शिवपुरी जिले के बदरवास स्टेशन पर मालगाड़ी के इंटरसिटी एक्सप्रेस से टकरा जाने के कारण चार ट्रेने रद्द करनी पड़ी हैं। रेलवे के सूत्रों ने बताया कि इस दुर्घटना के कारण ग्वालियर- भोपाल इंटरसिटी 2198, भोपाल-ग्वालियर इंटरसिटी 2197, ग्वालियर- बीना 263 और बीना-ग्वालियर 264 को रद्द कर दिया गया है। भोपाल मंडल के रेल प्रबंधक घनश्याम सिंह के मुताबिक सोमवार सुबह इंदौर से ग्वालियर जा रही इंटरसिटी एक्सप्रेस ट्रेन शिवपुरी जिले के बदरवास स्टेशन पर खड़ी थी तभी एक मालगाड़ी ने उसे टक्कर मार दी। इस हादसे में अब तक 19 यात्रियों की मौत की पुष्टि हुई है और 50 घायल हैं। घायलों को गुना, शिवपुरी और बदरवास के अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। इस हादसे में यात्री गाड़ी के अगले तीन डिब्बे बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए हैं। अन्य डिब्बों में सफर कर रहे यात्रियों और ग्रामीणों की मदद से राहत एवं बचाव कार्य शुरू कर दिया था। इसके चलते घायलों को समय से अस्पताल भेजा जा सका। क्षतिग्रस्त डिब्बों को कटर की मदद से काटकर शवों और घायलों को निकाला जा रहा है। इस हादसे मे जो तीन डिब्बे क्षतिग्रस्त हुए हैं और वे सभी सामान्य डिब्बे हैं। इनमें बड़ी संख्या में यात्री थे।
गुना, शिवपुरी और बदरवास चिकित्सालय के बाहर यात्रियों के परिचितों और परिजनों का जमावड़ा लगा हुआ है। इंटरसिटी एक्सप्रेस में यात्रा कर रहे यात्रियों के परिजनों को हादसे की जानकारी देने के लिए बदरवास: 07495245233, शिवपुरी: 07492234407, गुना: 07542253799 और उज्जैन: 0134 233045 हैल्पलाइन स्थापित किए गए हैं।

Wednesday, August 4, 2010

SOUTHERN REGIONAL CONVENTION

THE SOUTHERN REGIONAL CONVENTION........is organised at tadikonda ramulu kalyan mandapm ,vijaywad on 03rd august 2010 on the subject of-just pay and humanity- in service condition,after a colourful rally.the convention was inaugurated by com.P.MADHU.EX.M.P.,PRESIDED BY COM.T.Hanumaiah.CENTRAL VICE-PRESIDENT AILRSA andattended by com.A.Jankiraman,GENERAL SECRETARY,DREU,recognised trade union of southern railway,com. L.MONY.CENTRAL PRESIDENT and many leader of sister trade union. this convention strongly condemned the FAST TRACK COMMITTEE REPORT and its convener anti running attitudes.
OUR ALL DEMAND STAND GOOD,THIS CONVENTION ADAPTED TO GO FOR DIRECT ACTION,IF OUR DEMANDS ALL NOT SETTLE IN RLC/NDLSON 20.08.2010.MEETING.
This association has also decided that to convene its all india convention on31.08.2010 ai KALYAN(MUMBAI),TO DECIDE
FUTURE COURSE OF ACTION.
D.S.GTL.DIV.AILRSA.SCR.