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Sunday, November 27, 2011

ये भी क्या बात है ......

आज -कल हम कहाँ से कहाँ जा रहे है --यह कहा नहीं जा सकता ! कहने वाले कहते रहें , हम तो नए ज़माने के शेर है ! किसी शेर ने किसी गीदड़ को चप्पल मारा , तो किसी ने थप्पड़ ! इससे क्या फर्क पड़ता है ! जो होनी है , वह तो हो के रहेगी ! चप्पल , थप्पड़ और कल ये भी देख लें -- कितना लाजबाब है ! हमारे देश के जन प्रिय लोग ? कुछ तो भविष्य में होने जा रहा है ---



 आन्ध्र प्रदेश में कल यानि दिनांक -२६-११-२०११ को एक जन सभा में  कहा - सुनी के दौरान , तेलगू देशम का एम्.एल.ये.श्री चिंतामणि प्रभाकर राव ,  पर्यटन मंत्री श्री वट्टी वसंत कुमार के पेट में घुसा मारते हुए !

( साभार -daccan  chronicle  / २७-११-२०११ )

Friday, November 11, 2011

ये क्या हो रहा है ?

  जनता ...पब्लिक  और  क्या न कह लें !  .लोग और उनका समूह ..कब क्या कर दें किसी को नहीं पता ! आज कल  विद्यार्थी आन्दोलन का एक हिस्सा बनते जा रहे है ! इन्हें भुनाने में राजनीतिक गड सबसे आगे है ! विद्यार्थी जीवन सिखने का वक्त है ! विद्यार्थी या ऐसा ही कोई जन समूह जब कोई अनैतिक कार्य करे तो आप को कैसा लगेगा ? वह भी किसी निर्दोष के साथ ! उस ई.बाला कृष्णन  ने लोगो का क्या किया था ? जो उसे यह सजा मिली ? क्या उस व्यक्ति  ने यह नहीं सोंचा की इसकी परिणति क्या होगी ?

आईये एक नजर डालें और आप ही बताएं ? इस तरह के करतूत कब तक होते रहेंगे ?
 ई.बाला कृष्णन लोको पायलट / काट पाडी / दक्षिण रेलवे ,  तारीख ०६-११-२०११ को मदुरै एक्सप्रेस को ले  कर   तिरुपति जा रहे थे !  रास्ते में चित्तूर स्टेशन के पास  किसी ने एक जोर दार पत्थर लोको के उप्पर फेंका !  पत्थर लोको के शीशे को तोड़ती हुयी -ई बाला कृष्णन को जा लगी ! शीशे के तुकडे शारीर पर जा गिरे और कुछ शरीर में भी चुभ गए !  असहनीय पीड़ा से लोको पायलट कराह उठा ! तुरंत ट्रेन रोक दी गयी और सहायक ने ट्रेन को चित्तूर स्टेशन तक ई.बाला कृष्णन की मदद से चला  कर लायें ! 

तुरंत ड्यूटी में तैनात स्टेशन मास्टर को इसकी सूचना दी गयी ! मास्टर प्राथमिक इलाज न कर यह पूछने लगा की आप आगे ट्रेन को लेकर जाओगे या नहीं ? जब की ई . बाला. कृष्णन ने रिलीफ  की मांग की थी ! आखिर कार ई. बाला कृष्णन ने ट्रेन को सुरक्षित खड़ा कर गार्ड की देख - रेख में रख , ऑटो से चित्तूर जनरल अस्पताल को चले गएँ ! ट्रेन करीब दो घंटे तक खड़ी रही ! बाद में वेंक ताद्री  लोको पायलट को मदुरै एक्सप्रेस को काम करने के लिए कहा गया ! 

 संक्षिप्त में --
१) लोको पायलट - ई. बाला कृष्णन और सहायक.टी.गुनेशेखर / मुख्यालय- काट पाडी !
२)गार्ड- टी.एस.रवि./ विलुपुरम 
३) लोको संख्या -१६५८० / जी .ओ.सी. 
४) ट्रेन संख्या -१६७८० ( मदुरै-तिरुपति एक्सप्रेस )
५)घटना स्थल - चित्तूर रेलवे स्टेशन के निकट 
६) किसी ने पत्थर से लोको पायलट को मारी !
७)ई.बाला.कृष्णन घायल ! अस्पताल जाते समय किसी ने साथ नहीं दिया , न ही मास्टर ने किसी को साथ जाने के लिए भेजा ! सहायक ही अंत तक सहायता किया !
८) इस तरह की यह दूसरी घटना है ! इसके पहले मनोहर लोको पायलट / रेनिगुनता इसके परिणाम भुगत चुके है ! अधिक जानने के लिए मेरी पिछली पोस्ट _ मुझसे क्या भूल हुई , जो ये सजा मुझको मिली ?  पढ़ें !
९) रेलवे प्रशाशन ने  अभी तक कोई उचित कार्यवाही नहीं की है ! न ही किसी की गिरफ्तारी  ही हुई !
    कब तक लोको पायलट , जो सभी को सुरक्षित मंजिल तक पहुंचाते है -इस तरह की अनहोनी घटनाओ के शिकार होते रहेंगे ?

Friday, October 28, 2011

असुबिधा के लिए खेद है !

आदरणीय पाठक गण-
 १) मैंने कुछ तकनीक दोष की वजह से अपने ब्लोग्स के पते को बदल दिया हूँ ! अतः बहुत से पाठक   मेरे नए  पोस्ट से अनभिग्य हो गए है ! मेरा पुराना URL  बदल गया है ! इस लिए मेरे कोई भी पोस्ट उन फोल्लोवेर्स के दैसबोर्ड पर प्रकाशित नहीं हो रहे है , जो मेरे ब्लोग्स के फोल्लोवेर्स दिनांक - ११-१०-२०११ के पहले के  है !  इतना ही नहीं वे मेरे किसी भी ब्लॉग को खोल नहीं पा रहे है ! इसकी शिकायत कुछ पाठको के तरफ से मिली है ! अतः इस के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ !

२) मेरा नया URL / ब्लोग्स के लिंक निम्नलिखित है ! भविष्य में इस पते पर ही मेरे ब्लोग्स को खोला जा सकता है----

बालाजी के  लिए --www.gorakhnathbalaji.blogspot.com 
OMSAI  के लिए-- www.gorakhnathomsai.blogspot.com 
रामजी के लिए --- www.gorakhnathramji.blogspot.com 
 
३) आप को अपने - दैसबोअर्ड के ऊपर मेरे  ताजे पोस्ट के प्रकाशन को प्रदर्शित  ,  हेतु कुछ मूल सुधार करने होंगे यदि आप मेरे ब्लोग्स के पुराने फोल्लोवेर्स है ! इसके लिए आप को मेरा पुराना फोल्लोवेर निलंबित कर फिर से नया फोल्लोवेर्स बनने होंगे !

४) सारी फेर - बदल मैंने अपने ब्लोग्स के सुरक्षा हेतु किया है , जो गायब होने के मूड में था ! 

असुबिधा के लिए खेद है ! आशा करता हूँ , आप का सहयोग बना रहेगा !
विनीत -गोरख नाथ साव !
 

Monday, October 24, 2011

हम तो तेरे आशिक है वर्षो पुराने ...

  जी हाँ चौकिये मत ! मै ही नहीं ,हम सब इसके बहुत दीवाने है ! गजब की चीज है ! कान में खुजली पैदा करती है ..तो जाने बगाहे मुंह के पास चिपट कर -तू-तू  मै - मै और बहुत कुछ  ! कितनो को दीवाना बना दी ! पर इसके मर्म अजब है ! कोई इससे छुप नहीं सकता ! छुपा नहीं सकता ! हमेशा दिल के पास रहती है ! कभी हँसाती है - तो कभी रुलाती ! सभी इसके बड़े आदी हो गए है ! 

आज मेरे साथ एक वाकया हुआ ! मै सोंच में पड़ गया ,  उस पर क्या बीती होगी ! आयें नजर डालते है ! हुआ यु की आज मै ट्रेन संख्या -१२१६३ दादर - चेन्नई एक्सप्रेस को काम कर लौटा हूँ ! ट्रेन चेगुन्टा और कृष्णा स्टेशन  के बीच दौड़ रही थी ! अचानक किसी ने जंजीर खींच दिया ! ट्रेन को रोकनी पड़ी ! ट्रेन ५९४/० और ५९३/६ किलो मीटर के मध्य खड़ी हो गयी ! मैंने कारण और  एयर प्रेसर की बहाव को रकने के लिए , अपने सहायक को भेंजा !

कुछ देर बाद , वह अपने कार्य को कर वापस आया और बताया  की एक पैसेंजर का मोबाईल ( सेल फोन ) चलती ट्रेन से बाहर गिर गया है ! वह उसे धुंधने   गया है ! कोच संख्या - सी . आर.जी.एस -९८४१५ था ! हमारी ट्रेन आगे बढ़ने के लिए तैयार थी ! मैंने गार्ड से  ट्रेन स्टार्ट करने की अनुमति पूछी ! गार्ड साहब ने कहा - कुछ वेट करें ! एक मिनट के बाद हमें गार्ड की इजाजत मिली ! ट्रेन चल पड़ी !
गुंतकल लोब्बी में आने के बाद , मैंने फिर गार्ड साहब से पूरी जानकारी मांगी ! उनका कहना था की वह व्यक्ति बिना टिकट का यात्रा कर रहा था और वह अपने सेल फोन को खोज पाने में असमर्थ था ! वह वही है ! आखिर हम कब तक उसका इंतजार करते ! सबसे बड़ी बात यह की उसके पास टिकट भी नहीं है ! गार्ड साहब - श्री एस.एम्.एल.राम / गुंतकल हेड कुँर्टर !

देखा आपने --बिन टिकट यात्रा भी आप को असुबिधा में डाल सकती है ! जैसे की उस व्यक्ति के साथ हुआ ! कभी - कभी हम इतने  स्वार्थी हो जाते है की नुकशान का  भी अंदाजा नहीं लगा सकते ! आज हम मोबाईल फोन / सेल के इतने शौक़ीन   हो गए है की मुझे बड़ा ताज्जुब होता है , जब लोग बुकिंग / रिजर्वेशन  या अन्य  किसी कार्यालय के पास पेन की गुजारिश करते है ! उस समय मै भी उनसे मोबाईल के बारे में पूछ बैठता हूँ ! जो उन्हें चौका देती है ! 

मेरे कहने का तात्पर्य यह है की एक बड़े समूह के पास आज - कल मोबाईल तो मिल जाएगा , पर कलम नहीं मिलेगा ! अब रही ट्रेन में सफर की बात - हमें मोबाईल जैसी छोटी - छोटी चीजो को हिफाजत से रखनी और इस्तेमाल करनी चाहिए ! अन्यथा  लेने के देने पड़ जायेंगे ! सोंचता हूँ कैसे बीतेगी उस व्यक्ति की आज की धन - तेरस  ! हाय रे लापरवाही !

सुझाव - अगर भविष्य में ऐसा कुछ आप के साथ होता है तो आप किसी दुसरे व्यक्ति के सेल / मोबाईल फोन से अपने सेल का नम्बर डायल करें  ! तुरंत रिंग  बजनी शुरू होगी और आप आसानी से उस जगह तक पहुँच जायेंगे , जहाँ सेल / मोबाईल पडा हुआ है ! इससे समय की बचत और मानसिक तनाव से मुक्ति मिलेगी ! भगवान करें - ऐसा किसी के साथ न हो !

Monday, October 10, 2011

दक्षिण भारत - एक दर्शन

दशहरे की धूम आई और चली गयी !सभी ने अपने - अपने ढंग से इस पर्व को मनाया ! रेलवे की बोनस -हंगामा और गुहार करने के बाद भी , कैस के रूप में ही अदा हुयी , कुछ ज़ोन में अपील करने वालो की बोनस - सीधे उनके बैंक खातो में भेंज दी गयी ! जैसे दक्षिण - पश्चिम रेलवे , पश्चिम -  केन्द्रीय रेलवे और कई रेलवे ! घुश खोर और चापलूस रेलवे   प्रशासन ने  चापलूस मान्यताप्राप्त रेलवे के नेताओ की ही सुनी ! यह बहुत बड़ी बिडम्बना है ! झूठ के आगे -सत्य हारते   जा रहा है ! इस देश को-  अगर इश्वर है , तो वही इसकी रक्षा करेंगे ! आज - कल सत्य वादी लाचार और असहाय हो गए है ! 
                                                मदुरै रेलवे स्टेशन का सुन्दर बाहरी दृश्य !
मैंने एक माह पूर्व ही  दक्षिण - भारत की यात्रा की मनसा बना ली थी अतः रेलवे में सुबिधानुसार रिजर्वेसन भी करा लिया था  ! किन्तु टिकट द्वितीय दर्जे के वातानुकूलित - में वेट लिस्ट में ही था ! मंडल हेड क्वार्टर में होने के नाते मुझे भरोसा था की टिकट को इमरजेंसी कोटा में कन्फर्म  करा लूँगा ! यात्रा के प्रारूप इस प्रकार से थे--
गुंतकल से  मदुरै , मदुरै से कन्याकुमारी और कन्याकुमारी से वापस गुंतकल ! 

बारी थी --गुंतकल से मदुरै जाने की ! यात्रा  के दिन सुबह मैंने अपने बड़े पुत्र  रामजी  को इमरजेंसी कोटा में आवेदन  देने के लिए कह दिया था ! उन्होंने ऐसा ही किया ! ट्रेन संख्या थी - १६३५१ बालाजी एक्सप्रेस ( मुम्बई से मदुरै जाती है ) !  गुंतकल सुबह चार बजे आती है ! लेकिन लिपिक ने बताई की- इस ट्रेन में कोई  भी इमरजेंसी कोटा नहीं  है ! मेरे पुत्र  साहब घर वापस  आ गए  और नेट में तात्कालिक स्थिति की जानकारी ली  ! पाया की अब वेट लिस्ट -१,२,३,और ४ है ! किन्तु चार्ट नोट प्रिपेयर  ! मुझे मेरे दफ्तर से छुट्टी पास हो गयी थी ! शाम को बाजार  से वापस आया और बालाजी से पूछा की आप के  भैया जी कहा गए है ?

 बालाजी ने कहा - " भैया बुकिंग आफिस में गए है !  पता करने की -कहीं चार्ट सबेरे तो नहीं आएगा ? "
उसी समय रामजी भी आ गए ! उन्होंने मुझे सूचना दी की- "  खिड़की के लिपिक ने साढ़े आठ बजे फिर पता करने की इतला दी है  ! चार्ट आठ बजे पूरा हो जायेगा ,जब पुरे भारत के रिजर्वेशन खिड़की बंद हो जायेंगे !"
रामजी ने कहा की मै यात्रा पर नहीं जाऊंगा !  मुझे प्रोजेक्ट वर्क करने है ! सभी के विचार  कमोवेश यही थे ! बालाजी के मन में उदासी घेर गयी ! आखिर बच्चे  का मन जो ठहरा ! मैंने  मन ही मन साई बाबा के नाम को याद किया ! मैंने भी सभी को कह दिया की यात्रा शंका के घेरे में है ! छुट्टी रद्द करनी पड़ेगी ! प्रोग्राम रद्द समझे !

समय की सुई आगे बढ़ी , बालाजी ने याद दिलाई - डैडी .. पि एन आर देखें , समय हो गया ! साढ़े आठ बज रहे थे ! रामजी जो नेट पर ही वैठे थे -- पि.एन.आर.को चेक किये और पाए की  तीन बर्थ कन्फर्म हो गए है ! सभी के चेहरे ख़ुशी से झूम उठे ! फिर क्या था --अपने -अपने सामान सूट केश में रखने की तैयारी होने लगी ! सिर्फ रामजी के चेहरे पर मंद - मंद ख़ुशी दिखी ! हम दोनों  ने फिर रामजी से पूछा की आप के क्या विचार है ?  उन्होंने कहाकि आप लोग यात्रा पर जरुर जाएँ , मेरे बारे में चिंता न करें ! फिर कभी मै अपने दोस्तों के साथ पिकनिक पर निकालूँगा !

दुसरे दिन समयानुसार हम स्टेशन  पर पहुंचे ! रामजी हमें छोड़ने आयें ! ट्रेन समय से आई ! ट्रेन में दाखिल होने पर हमने पाया की -हमारे सभी नॉमिनेटेड बर्थ ओकुपयिड है ! टी.टी.इ साहब आयें ! हमने अपने बर्थ को खाली कराने को कहा -तो उन्होंने हमसे कहा की आप लोग एक बर्थ ले लें और दो छोड़ दे ! मेरे बड़े पुत्र राम को गुस्सा आ गया ! हम तीन व्यक्ति यात्रा पर जा रहे है और आप बर्थ छोड़ने को कह रहे है , वह भी रात को जब सोने का  समय है ! बेचारा टी.टी इ झक मार कर रह गया ! शायद कमाई मार गयी ! इस तरह  से पहले दिन की यात्रा शुरू हुयी !
                                    यात्रा के दौरान  बालाजीअपने मम्मी के गोद में मुहं छुपाते हुए !

यात्रा के दौरान मेरे असोसिएसन के लोगो ने फोन कर मुझे बताया की - मेरे ठहरने का इंतजाम मदुरै में कर दिया गया है ! किन्तु मैंने कहा की मुझे रिटायरिंग रूम ही चाहिए !( होलीडे होम भी बुक करना चाहा था , किन्तु उस दिन खाली नहीं था ! ) रात को साढ़े बारह बजे मदुरै पहुंचे ! यह मेरी दूसरी यात्रा मदुरै की थी अतः कोई असुबिधा नहीं हुयी ! मै ट्रेन से उतर कर  सीधे रिटायरिंग रूम के काउंटर पर गया ! सूचना मिली की आप को रूम सुबह ही मिलेगा ! अभी आप एक बेड वाले रूम में पनाह ले ! हमने भी ऐसा ही किया ! सुबह ६ बजे उन्होंने ही हमारे नींद में दखल किया और दो बेड वाले रूम में जाने के लिए आग्रह किया !
                   रेलवे का रिटायरिंग रूम और सोफे पर - बालाजी आराम करते हुए ! बहुत थक गए है !

 मदुरै रेलवे के   रिटायरिंग रूम  में अति सुन्दर व्यवस्था ! जो प्रायः सस्ते और आराम दायक लगा ! दो बेड , तीन टेबल , चार कुर्सी, दो लोगो को एक साथ बैठने वाला सोफा , रेडिंग  लेम्प , साफ - सुथरा बाथ रूम , ड्रेसिंग  टेबल और टायलेट ....सिर्फ साढ़े चार सौ प्रति चौबीस घंटे के लिए ! सुबह चाय या काफी और तमिल / मलयालम / इंगलिश - पसंदीदा अखबार फ्री सपलाई ! कमरा  भी बड़ा ! मुझे बहुत जंचा ! अगर कभी आप जाये तो इधर ही तशरीफ लें ! अच्छा रहेगा !
मीनाक्षी मंदिर - ऊपर सोने का गुम्बद जो दिखाई दे रहा है , उसके अन्दर ही माँ / देवी की प्रतिमा है !
आठ बजे के करीब , हम पूरी तरह से तैयार हो कर - मीनाक्षी देवी के दर्शन और पूजा हेतु मंदिर की तरफ प्रस्थान किये ! मंदिर अपने आप में बहुत ही भव्य है ! मंदिर के चारो ओर की ऊँची बड़ी सुन्दर मीनारों की कतार प्रान्त भूमि की हरियाली से बहुत ही मनोरंजक मालूम पड़ती है ! सभी बहार से आने वाले दर्शक इसे देख मन्त्र - मुग्ध हो जाते है ! भक्त लोग पूर्वी भाग से ही मंदिर में प्रवेश करते है ! कारण यह है की सबसे पहले देवी मीनाक्षी और फिर सुन्दरेश्वर ( शिव ) के दर्शन करना  तो प्रथा बन गयी है ! 
                   मीनाक्षी मंदिर के अन्दर तालाब में - स्वर्ण कमल ! तालाब में पानी नहीं है !
मंदिर के ध्य में ही एक  तालाब है !  जिसे सोने का तालाब कहते है क्यों की इसके अन्दर सोने का बना हुआ - कमल का फूल है ! कहा जाता है की इन्द्र जी पूजा के लिए यही से सोने का फूल तोड़ते थे ! यह भी कहा गया है की मदुरै शहर भी कमल के फूल जैसा ही है ! मंदिर के अन्दर अष्ट शक्ति  मंडप , मीनाक्षी नायक मंडप स्वर्नापद्म जलाशय  , झुला मंडप ,श्री मीनाक्षी की प्रतिष्ट ,विनायक जी , श्री शिव जी का स्थान ,मीनारे , संगीत स्तंभ ,अलगर मंदिर  देखने योग्य है !

                               मीनाक्षी मंदिर के अन्दर का एक दृश्य और सुन्दर पेंटिंग , मनमोहक !
    नवमी के दिन एक घंटे तक बारिश हुयी और मंदिर के चारो और पानी भर गया ! दर्शक परेशान
                                                             मंदिर का एक   नमूना

कहते है केवल शिव जी की प्रतिमा व् चारो और का अहाता सातवी सदी से बसा हुआ था ! देवी मीनाक्षी का मंदिर बारहवी सदी में बनवाया गया !मंदिर का अधिकांस भाग , जो अभी है बारहवी और चौदहवी सदी के अन्दर निर्मित हुआ ! मदुरै त्योहारों का शहर है !बिना त्यौहार का कोई महिना नहीं गुजरता है !चैत्र , श्रवण और पौष माह के त्यौहार बहुत मुख्य है ! मदुरै शहर दक्षिण की तरफ आने वाले हर यात्री के मन को भर देता है !मीनाक्षी मंदिर तमिल संस्कृति का एक सुन्दर जीता - जगाता उदहारण  प्रस्तुत करता है ! मदुरै शहर दक्षिण दर्शन का केंद्र बिंदु है ! यहाँ से दक्षिण के सभी तीर्थ करीब है और आसानी से जाया जा सकता है !  और ज्यादा जानने के लिए  यहाँ जा सकते है - मेरी पहली यात्रा .. kuchh aur 
  पोस्ट लम्बा हो रहा है , अतः अब आज्ञा दें  - अगली यात्रा रामेश्वरम  की !


Thursday, September 29, 2011

रेलवे की बोनस

आज - कल दसहरे की धूम है ! सभी जगह गहमा-    गहमी ! कलकत्ते की दुर्गापूजा की याद आ ही जाती है ! एक महीने पहले से ही कपडे सिलवाने  पड़ते थे अन्यथा टेलर की दुकान पर " नो आर्डर  / आर्डर क्लोज्ड " के तख्ती लटके मिलते थे ! खैर जो भी हो , नवरतन तो नवरातन ही है ! बच्चे , बूढ़े या जवान सभी उमंग से भर जाते है !   

अब बात करें रेलवे की  - रेलवे ने ७८ दिनों की बोनस देने की घोषणा कर दी   है ! आप सोंचते होंगे की रेलवे वालो को खूब ज्यादा बोनस मिलती है ! बीस -पचीस हजार पाते होंगे ! मजे से दसहरा गुजरता होगा !  किन्तु ऐसा बिलकुल नहीं है ! सच्चाई तो ये है की रेलवे के क्लास चतुर्थ  और क्लास थ्री के कर्मचारियों को २५००/- और 3500/- महीने की दर से  क्रमशः बोनस मिलती है !  इस बर्ष  की बोनस राशी करीब ८९७५ /- है !

कर्मचारियों में सन्नाटा है ! उन लोलुप नेताओ और कर्मचारी संगठनो से , जो इस दिन मनमानी तौर पर चंदे की उगाही करेंगे ! लाखो में उगाही होती है ! नेता मालामाल और कर्मचारी बेहाल ! यह  प्रणाली १९७९ से चली आ रही है ! इन लोलुप और भ्रष्ट नेताओ से लोग परेशान ! करें तो क्या करें ? कोई मजबूत आन्दोलन नहीं !

रेलवे बोर्ड की अनुमति के बाद -कर्मचारियों की मासिक बेतन , भत्ते , कोई बकाया या लोन की रकम - चाहे जो भी हो सीधे बैंक के अकाउंट में चली जाती है ! कर्मचारी अपने बगार को बैंक के माध्यम से ही ड्रा करते है ! एक तरह से यह पद्धति सभी को कारगर साबित हुयी है ! लेकिन नेताओ के  मनमानी उगाही वाले -मनसूबो पर पानी फिर गया ! उन्होंने एक तरकीब निकाली - रेलवे बोर्ड से मिल कर बोनस की रकम कैश में देने की -अनुमति ले लेते है ! अतः रेलवे के सभी जोन या मंडल , बोनस की रकम ---सीधे बैंक में न भेंज ---कैश के रूप में बितरित करते है ! इस प्रकार से कर्मचारियो के करीब हजार रुपये ---बोनस बितरण के स्थान पर ही ,  लुट लिए जाते है ! इस व्यवस्था में  चतुर्थ क्लास के कर्मचारियों की दशा काफी दयनीय होती है ! जिन्होंने देने से इंकार  किया - उन्हें--- देखेंगे ? जैसे शब्द  सुनाये  जाते है !

रेलवे में हमारा एसोसिएसन ( आल इण्डिया लोको रुन्निंग स्टाफ एसोसिएसन ) केवल लोको चालको के सुबिधाओ को ध्यान में रखते हुए --तरह - तरह की  मांग  प्रशासन के समक्ष रखता है और  अपनी सकारात्मक जिम्मेदारी को  निभाता है ! यह एसोसिएसन बहुत ही अनुशासित और कड़क है ! बोनस की भ्रष्टाचार देख हमने जोनल लेवल पर जागरूकता अभियान शुरू किये और रेलवे प्रशासन के समक्ष मांग  रखी  कि इस बर्ष बोनस की रकम बैंक के माध्यम से भुगतान की जाय ! मैंने रेलवे बोर्ड को एक बिस्तृत लेटर  भेंजी है , उस लेटर कि कापी -सभी जोन को भी भेजी गयी !

अब देखना है कि रेलवे बोर्ड कौन सा कदम उठता है ! कर्मचारियों में जागरूकता लाने के लिए -एक हैण्ड बिल निकला गया है ! यह हिंदी और तेलगू में निकला है ! २०११ का बर्ष --और आंध्र- प्रदेश में हिंदी का हैण्ड बिल ,   यह एक पहला कदम है ! इस हैण्ड बिल के बाद जागरूकता जगी है ! सभी कि नजर सम्मान से लोको पायलटो कि तरफ उठ गयी है ! जिन्होंने सभी कर्मचारियों के हित में आवाज बुलंद किया है ! हैण्ड बिल नीचे है - इसे क्लिक कर ध्यान से जरुर पढ़े -

इस हैण्ड बिल में   शब्द त्रुटी भी है ! जो तेलगू भाषी प्रेस वाले की वजह से है ! प्रूफ  न देखने से हुयी है ! जिसे  आप लोग आसानी से समझ  सकते है ! हाँ - इस तेलगू  प्रेस  ने बहुत कठिन मेहनत कर बनाया  है ! जो वाकई सराहनीय   है ! 

  इस दसहरे में "  दक्षिण  भारत दर्शन  " के लिए  सपरिवार  - मदुरै , रामेश्वरम और कन्याकुमारी तक जा रहा हूँ  ! अब अगली मुलाकात दस दिनों बाद होगी ! आप सभी को नवरातन , दसहरे ,और विजयादसमी की शुभ कामनाये ! माता सबकी रक्षा करें ! जय दुर्गे !



Sunday, September 25, 2011

सिग्नल ---


कल की बात है ( २४ सितम्बर २०११).
गुंतकल से वाडी जंक्सन के लिए चेन्नई सुपर को लेकर जा रहा था ! मेरी ट्रेन प्लेटफोर्म संख्या - पांच पर खड़ी थी !  प्रायः सभी ट्रेन यहाँ पंद्रह मिनट तक रुकती है ! ताकि रेलवे ट्रेन की बोगियों की साफ - सफाई कर सके ! स्टार्टर पीला संकेत बताने लगा  था ! हमने अपने गार्ड साहब से ट्रेन स्टार्ट करने की अनुमति मांगी ! उन्होंने कहा की सफाई वाले खतरे की बोर्ड रखे हुए है ! अभी सफाई का काम  पूरा नहीं हुआ है ! एक - दो मिनट और इंतजार करे ! 

तब - तक गुंतकल केबिन ( बायीं पास ) के स्टेशन मास्टर जोर - जोर से हमें पुकारना शुरू कर दिए , जिससे की हम तुरंत  ट्रेन स्टार्ट कर ले ! कुछ समय बाद हमारे गार्ड साहब ने हरी झंडी दिखाई ! हमने सिटी दी और ट्रेन चल पड़ी ! इंटर मिडियत स्टार्टर , बायीं पास स्टार्टर को हम उचित सिगनल से पास कर गए ! अब हमारे सामने लास्ट स्टॉप सिगनल आने वाला था ! वह हरी लाइट( प्रोसेड़ ) बता रहा था ! हम नजदीक आने वाले ही थे की वह लाल बत्ती( खतरा ) बताने लगा !

तुरंत आकस्मिक ब्रेक लगाने पड़े ! ट्रेन तो रुक गयी , पर कई बार पुकारने के वावजूद भी बायीं पास मास्टर ने कोई जबाब देना उचित नहीं समझे ! ट्रेन पांच मिनट  तक रुक गयी ! फिर ग्रीन लाइट आने के बाद हम आगे की तरफ प्रस्थान कर गए ! इसकी सूचना मेरे सहायक ने सेल फोन के द्वारा , मुख्य शक्ति नियंत्रक को दे दी ! वाडी जाने के बाद , इसकी शिकायत मैंने - शिकायत पुस्तिका में भी लिख दी !

पर क्या कुछ , कार्यवाई हुयी ? अभी तक तो जीरो !  आये ऐसी कुछ परिस्थितियों पर नजर डालें- जो खतरनाक साबित हो सकती है ! 
१) लाल बत्ती की अवस्था में ट्रेन आगे ले जाने पर - लोको पायलट को डिसमिस या बर्खास्त किया जा सकता   है  !  इस घटना में किसी की नाजुक गलती - लोको पायलट के लिए खतरनाक  साबित हो सकती है ! 
२) इस अवस्था में आगे बढ़ने पर कोई अंजान दुर्घटना के भी अंदेशा से नहीं मुकरा जा सकता है !
३)  सिगनल की खराबी - बड़े खतरों को निमंत्रित कर सकती है ! 
४) मास्टर की लापरवाही भी इसमे शामिल है ! 
५) इस तरह की घटनाये , ट्रेन के पटरी से उतरने के कारण भी है ! 
६) और बहुत कुछ ....................और 
७) सब तो ठीक है ---जो भी होगा देखा जायेगा , अंत में लोको पायलट को बलि का बकरा बनना पड़ेगा  ! 
मेरे गार्ड साहब -एस.आर.नायक ., मेरा सहाय - एस चाँद बाशा , मेरा लोको संख्या -११३४७ / पुणे बेस !

 यहाँ सबसे महत्त्व पूर्ण बात यह है की मैंने समय रहते हुए -इस गलती को प्रशासन के सम्मुख रख दिया है ! इस तरह की कई घटनाओ को प्रस्तुत कर चूका हूँ ! फिर प्रशासन उचित कार्यवाही क्यों नहीं कर रही है ? क्या नए दुर्घटनाओ का इंतजार है ! अभी - अभी पता चला है की अरक्कोनाम  टक्कर ( दो ट्रेन के बीच - जिसमे दस से ज्यादा लोगो की जान गयी ) में भी सिगनल के खराबी का अंदेशा किया जा रहा है ! व्यवस्था  या दुर्व्यवस्था ! कब तक लोको पायलट और यात्री मरते रहेंगे ? 
 ( सौजन्य - जोइंट जनरल  सेक्रेटरी / ऐल्र्सा / दक्षिण मध्य रेलवे )

Thursday, September 15, 2011

त्रिभुज

          जन्म - जन्म का साथ है हमारा  -तुम्हारा ! सभी कही न कही कह या सोंच लेते है ! देव के मन में क्या समायी जो इस दुनिया में औरत और मर्द को जन्म दे दिए ! मैंने ममता के बारे में ज्यादा जानना चाही ! ममता कुछ समय तक हंसती रही और यकायक दिल से रो पड़ी ! वह आंसू बहुत ही पीड़ादायी थे !

वह औरत , जिसे मैंने बचपन से प्रौढ़ और माँ बनते देखा था ! आज वह किसी के सहारे की मोहताज नजर आ रही थी   !संक्षेप में इस कहानी को रख रहा हूँ ! वह भी जो सुना और जान पाया ! उसका नाम ममता है ! घर आते ही , पत्नी ने मुझे बताया की - ममता अपने ससुराल से आ गयी है ! जी हाँ -वह हमारे पड़ोस में रहने वाली लड़की है  ! चार वर्ष पहले उसकी शादी धूम - धाम से हुयी थी ! दो वर्ष बाद वह एक बेटे को जन्म दी ! बेटे का जन्म भी उसके माता - पिता के घर ही हुआ ! ससुराल वाले उसे देखने या लेने नहीं आयें ! लगातार दो वर्ष हो गए ! कुछ सामाजिक दबाव के कारण --उसके ससुराल वाले एक दिन आये और उसे बिदा करा ले गए ! कुछ दिनों बाद ममता ने अपने मायके फोन पर बताई की उसका पति दूसरा शादी कर लिया है , और उस महिला  शारदा को भी घर में ही रखे हुए  है ! यह सुन ममता के मैके वाले सन्न रह गए और तुरंत पांच पुलिस वालो के साथ , उसके ससुराल जा टपके ! कहा सुनी हुयी और ममता ने उस घर में रहने से इंकार कर दिया ! 

सुनील दोनों को पत्नी बना कर रखने के लिए तैयार था !पर  ममता के पिता को  यह परहेज नहीं था , एक म्यान में दो तलवार - भला कैसे रह सकती है और अंत में मामला यहाँ तक आ टपका की  - सुनील के घर वाले शादी के पुरे सामान और खर्च वापस देने पर राजी हो गए !  उसकी सास और ससुर उसे जाते हुए एक तक देखते रहे , ताकि बहु घर से बाहर न जाय  ! ममता दिल पर पत्थर रख - घर से बाहर निकल गयी  ! गाँव और बिरादरी वाले अचंभित देखते रह गए ! ममता अब अपने पिता के घर आ गयी  ! सुनील के परिवार वाले सभी खर्च और सामान वापस कर दिए है ! 


सुनील  दूसरी पत्नी -शारदा के साथ नयी जिंदगी जी रहा है ! ममता अपने दो वर्ष के बेटे के साथ जीवन के घाव को सहला रही है ! अब प्रश्न यह उठता है की आखिर यह सब कैसे और क्यों हुआ ? एक औरत - दुसरे औरत की दुश्मन कैसे हो गयी ? एक मर्द दूसरी शादी के लिए क्यों मजबूर हो गया ? आयें कुछ हवा के रुख को ही समझे , जो कुछ सुनने को मिला !


पहले सुनील को ले ! शादी के बाद से ही उसके व्यवहार ममता के प्रति खिन्न रहा ! ममता पर उसने कई घरेलू आरोप लगाते  रहे जैसे देवर से सम्बन्ध .. गवार ...वगैरह - वगैरह ! बात यहाँ तक पहुंची की दिन प्रतिदिन पति - पत्नी में प्यार के वजाय, एक दुसरे के प्रति घृणा और द्वेष ने जन्म लेना शुरू कर दिया ! ननद के व्यवहार भी रखने लगे ! बेचारी सास और ससुर का ही सहारा बचा था ! जो उसे बेहद चाहते थे ! ममता के मन में आग की ज्वाला धधकने लगी ! एक दिन वह घर छोड़ अकेले मइके चल दी ! उस समय उसे दो माह का गर्भ भी था ! इस अवस्था में देख और चुपके से यहाँ आना , उसके पिता को अच्छा न लगा ! उसके पिता आंसू पी कर रह गए ! 

ममता का घर से मइके जाना - सुनील को एक हाथ में दो लड्डू जैसा प्रतीत हुआ ! अब उसकी कहानी पुराणी मित्र - शारदा के साथ जम गयी ! वह शहर के कालेज में पढ़ती थी ! सुनील उसे मोटर सायकिल पर बैठा कर कालेज ले जाता ! दोनों मौका मिलते ही -सिनेमा को जाते ! कालेज से घर लाता और शारदा के घर वाले कुछ नहीं बोलते थे ! उन्हें इनके नाजायज सम्बन्ध की परख न थी ! क्योकि उन्हें मालूम था - सुनील शादी सुदा है ! आग जलती रही ! रोटी पकाते रहे !  परिणाम भी बाहर आ गया ! तब जाकर सभी के कानखड़े हुए ! आनन् फानन में शारदा के घर वाले - दोनों की शादी मंदिर में कर दिए ! यहाँ से सुनील दो फूल और एक माली बन गया ! उसके घर वालो को इस बात की कोई जानकारी नहीं थी ! शारदा अपने माता- पिता के घर ही थी ! इधर सुनील को शराब   की लत ज्यादा हो गयी ! यह देख सुनील के घर वाले भी परेशां !

इधर समय के अनुसार - ममता ने एक पुत्र को जन्म दिया ! इसकी खबर उसके ससुराल भी गयी ! किन्तु कोई भी इसे देखने या बच्चे को पुचकारने नहीं आया ! देखते- देखते दो वर्ष बीत गए ! ममता का बेटा एक वर्ष का हो गया ! ममता के ससुराल से कोई भी नहीं आया ! तब जाकर ममता के पिता को दुसरे के माध्यम से सूचना देनी पड़ी ! रिश्तेदारों के दबाव में आकर सुनील एक दिन अपने ससुराल आया और ममता को बिदा करा ले गया ! 

एक रात -  सुनील ने ममता को कहा की वह दूसरी शादी करेगा और उसे छोड़ देगा ! ममता बात को गंभीरता से न ली और मजाक समझ -कह दी की कर लीजिये ! वह भी रहेगी ! इसमे क्या हर्ज है ! फिर  क्या था ! दुसरे दिन ही -प्रतीक्षा रत पत्नी  शारदा को घर लेकर आ गया ! यह सब देख घर का पूरा माहौल माता - पिता , पत्नी , भाई - बहन और आस - पास के लोगो के बिच कुरुक्षेत्र के मैदान सा बन गया ! हालत के गंभीरता को देखते हुए , सुनील ने दोनों को पत्नी का दर्जा और एक ही घर में रखने के लिए तैयार हो गया ! ममता के आंसू थमने के नाम नहीं ले रहे थे ! बाद में - वही हुआ जो पहले ऊपर उल्लेख किया जा चूका है !

जी हाँ , यही है त्रिभुज सी जिंदगी ! प्रश्न है ----ममता के पूरी जिंदगी का क्या होगा ? क्या ममता दूसरी शादी करेगी ? कौन है जो एक बेटे की माँ से शादी करेगा ? ममता अगर शादी न की , तो जब बेटा बड़ा होगा और पिता के बारे में जानना चाहेगा , तो क्या बताएगी और कैसी प्रतिक्रिया होगी  ? सुनील शारदा के साथ जीवन निभा पायेगा ? हाँ तो कैसे, नहीं तो क्यों ? शारदा ने इस नारी युग में एक नारी के साथ जो अत्याचार की है - क्या ज़माना भूल पायेगा ? त्रिभुज से ग्रस्त बच्चो  का भविष्य कैसा होगा ? क्या यह सच नहीं की एक नारी ने दुसरे नारी की हत्या कर दी , उसकी अस्मिता लुट ली , उसके गौड़ अधिकार छीन लिए ? समाज क्या इन्हें माफ करेगा ?  बहुत से अनुत्तरित प्रश्न हमारे सामने खड़े है - क्या यही आधुनिकता , शिक्षा , संस्कार और अनुशासन है ?

( सत्य पर आधारित घटना - नाम बदल दिए गए है ! अभी  बहुत कुछ कहा और लिखा जा सकता है इस त्रिभुज पर ! थोड़ी -कुछ कमियों को आप पूरा करें ! )
ये भी कुछ कहता है ----एक सुन्दर गीत 
 sajanawa bairi ho gaye hamar.. 










Sunday, September 11, 2011

नीति का ईश - आज का बिहार

   कल यानि दिंनाक - १० वी सितम्बर २०११ को सोलापुर में था !  " टाईम आफ इण्डिया " में एक आर्टिकिल पढ़ा ! देखा की बिहार सरकार ने एक आई .ये.एस अफसर के द्वारा अर्जित और धोखे धडी से कमाई हुई -सारी  सम्पति को कोर्ट की इजाजत के बाद सील कर दिया ! इतना ही नहीं - अब उस तीन मंजिले हाई - फाई ईमारत में स्कुल चलने लगा है  क्योकि बिहार सरकार ने उस सम्पति को स्कुल के हवाले कर दिया है ! यह कदम नीतीश कुमार जी ने पहले ही उठाने के लिए कह दिया था !नितीश कुमार जी का यह कदम भारतीय राजनीति में सराहनीय कार्य है ! जो उनके दूरदर्शिता के परिचायक और स्वस्थ शासन का एक मिशाल है ! पूरी रिपोर्ट अंग्रेजी में पढ़े ! नीचे  उपलब्ध है ! बड़ा करने के लिए तस्वीर  पर क्लिक करें -


  ( एक छोटा सा निवेदन - कृपया दिए हुए लिंक पर जाएँ और मेरे ८३ वर्ष के काकाजी को फोल्लोवेर बन कर उत्साहित  करें ! धार्मिक विचार वाले है और अपने अनुभव लिखने में माहिर ! एक बार प्रयास करके देंखें -धन्यवाद -लिंक--hanuman



Wednesday, September 7, 2011

बुझ गयी जिंदगी !

  "" दुर्घटना स्थल पर जांच किया और पाया की जीवन समाप्त हो गयी है "    लाल रंग के स्याही से रेलवे डाक्टर ने इस बात की पुष्टि की ! जी हाँ जिस महीने में सारी दुनिया मजदूर दिवस मनाने में मशगुल थी , उसी माह में ऐसी दर्द नाक दुर्घटना होगी - किसी ने स्वप्न में भी नहीं सोचा था ! सहायक लोको पायलट - एन.एस .प्रबोध की तिरुनेलवेली यार्ड में -एक ट्रेन के रेक को पीछे धकेलते समय - यार्ड में ,धक्का लगाने से  रात्रि के दो बज कर पैतालीस मिनट पर, तारीख ३० मई २०११ को - दुर्घटना का शिकार हो गए ओर तुरंत मृत्यु हो गयी  ! जिसकी पुष्टि रेलवे डाक्टर ने लाल स्याही में कर दी थी  ! असावधानी ही जीवन ले ली  !
                                                                      एन.एस.प्रबोध

शायद इसी लिए लोको पायलटो की पत्निया हमेश एक इंतजार की घडी में ही जीती है ! वह इंतजार भी अपने - अपने इष्ट देव की पूजा और अर्चना में व्यतीत हो जाती है , जिससे की उनके पति सकुशल घर वापस लौटे ! एन.एस.प्रबोध को दो बेटे है ! सात वर्ष का सिद्धार्थ और दो वर्ष का सचिन  ! पत्नी मंजू इस युवा अवस्था में ही अपने पति से बिछड़ गयी , जो काफी असहनीय है ! उसके कंधे पर दो बच्चो की परवरिश और सास -ससुर की देख भाल की जिम्मेदारी आ पड़ी है !

   एन.एस.प्रबोध हमारे असोसिएसन का एक अनुशासित  कार्यकर्ता थे ! आप दिनांक - २५-०९-२००० में रेलवे में सहायक लोको पायलट के रूप में ज्वाइन किया था  ! शुरुवाती पोस्टिंग दक्षिण रेलवे  के इरोड डिपो  में हुयी थी ! इन्होने पालघाट , एरनाकुलम और अंत में अपने पैत्रिक नगर कुईलों में कार्य किया ! इनके अनुशासित रवैये से बहुतो को अपने हाथ सेकने में कठिनाई का सामना करना पड़ता था और बहुत कुछ !

        दिनांक ०३-०६-२०११ को कुईलों में आल  इंडिया लोको रंनिंग स्टाफ  एसोसिएसन ने एक शोक -सभा का आयोजन किया और इस एसोसिएसन के तरफ से पांच लाख पच्चीस हजार रुपये  का एक सहायता चेक , उनके धर्मपत्नी को भेंट किया गया !  आल  इण्डिया  लोको रुन्निंग स्टाफ एसोसिएसन गहरा दुःख ब्यक्त करते हुए ,  भगवान से प्रार्थना करता है - की उनके शोक संतप्त परिवार को धैर्य और साहस दे , ताकि वे इस गम को सह  और भुला सके ! पुरे  लोको पायलटो की ओर से  स्वर्गीय एन.एस.प्रबोध को भाव भीनी श्रद्धांजलि ! भारतीय रेलवे के लोको पायलट रोजाना एक नयी जीवन पाते है ! कब क्या हो जाये किसे पता ?

Tuesday, July 5, 2011

आप एक सुन्दर शीर्षक बतावें ?....... शीर्षक = खतरों से खेलती जिंदगी ( श्री सुरेन्द्र सिंह " झंझट " )

लोको पायलट भारतीय  रेल  के रीढ़ की हड्डी है ! इनके लिए न कोई त्यौहार है , न ही उत्साह ! बस दिन - रात चलते रहते है , उस ट्रेन के चक्के के साथ ! यु कहे की ये एक तरह से कोल्हू के बैल की तरह है ! दिन हो या रात ..चलते ही रहना है ! रुक गयी तो परेशानी ही परेशानी !  जीवन चलने का नाम है ! इनके जीवन में  , एक चीज बहुत ही महत्त्व पूर्ण है ! वह है रात की नींद ! इन्हें सौभाग्य से  ही , एक पूरी रात सोने के लिए  मिलती  है ! अतः रात में काम और दिन में खूब सोना  जिंदगी का रूटीन सा हो गया है !!जब भी अवसर मिला ...सोने में मस्त !

कभी आधी रात को ड्यूटी में जाना पड़ता है ,  तो कभी पूरी रात के लिए ! रात में ड्यूटी के वक्त .. एक सेकेण्ड के लिए भी पलक झपकाना , खतरे से खाली नहीं ! अजीव सा जीवन है !  आप एक सेकेण्ड के लिए , लोको पायलट बन कर( सभी चीजो की ) अनुभूति कर सकते है ! किन्तु बहुत ही शानदार जीवन है , यहाँ आप को एक अनुशासित जीवन जीने की प्रेरणा मिलती है ! बिना अनुशासन के जीवन दूभर हो जाता है !

बात तारीख ०१-०७-२०११ की है ! मै सोलापुर आराम गृह में  अच्छी नींद में सो हुआ  था ! साधे ग्यारह बजे रात को काल बॉय मुझे उठाया , चुकी ट्रेन संख्या -१२६२८ ( नयी दिल्ली से बंगलुरु एक्सप्रेस ) समय से चल रही थी ! मै पूरी तरह से तैयार होकर डायनिंग रूम में  आकर सोफे पर बैठ गया और सहायक के आने की इंतज़ार करने लगा !  कुछ लोको पायलटो को बरांडे में शोर - गुल करते देखा ! मुझे ज़रा खीज भी आई ! इसलिए की ..सोने  के ac समय , ये लोग इधर - उधर टहल रहे है ! बहुमूल्य वक्त खराब कर रहे है !ये लोग  सो क्यो नही जाते ?

खैर , थोड़े समय बाद कूक चाय का प्याला मेरे सामने रख गया ! मै चुसकी ले ही रहा था की युनुस ( रेस्ट रूम का केयर टेकर )  मेरे सामने एक बोतल ला कर , तिपाई पर रख दिया !बोला सर - देखिये ? 
मैंने जो  देखा ..आप भी देंखे ? 
जी हाँ बोतल में सर्प ! मैंने युनुस से पूछ बैठा ! ये कैसे ? उसने कहा -  यह बाहर से आकर ..आप के रूम के तरफ जा रहा था ! यह तो ठीक हुआ की  मैंने देख लिया  अन्यथा  किसके पलंग या बैग में घुस जाता , किसी को नहीं मालूम ? मैंने उसे शाबासी दी और कहा - बहुत अच्छा काम किये जी ! इसे अपने अफसर लोगो को दिखाओ ? इस हालत में रेस्ट रूम कितना सुरक्षित है ? अब तो इस रेस्ट रूम में जल्द नींद भी नहीं आएगी ? संयोग अच्छा था जो तुमने इसे पकड़ लिए ? इसके बाद मैंने और दो तस्वीर लिए वह भी देंखे -

                                           युनूस बोतल को पकडे हुए !

                                  रेस्ट रूम कूक बोतल को खडा किये हुए !

दो जुलाई को ..मै गुंतकल आ गया ! फिर तारीख ०३ -०७-२०११ को ट्रेन संख्या -१२१६३ (दादर से चेन्नई ) को लेकर रेनिगुंता गया ! वहा भी शाम पांच बजे , जब रेस्ट रूम में गया , तो  देखा .. वाच मैन  एक सर्प को मार रहा था ! देंखें -

                                                     वाच मैन डंडे के साथ 
वाच मैन ने सर्प को मार कर बीच में जख्मी कर दिया था ! वह सर्प एक अमरूद के तने  के एक  खोह में छिपा हुआ था ! पौधों में जल डालते समय , माली ने सर्प को देखा था !

 इन घटनाओं को देखने से ऐसा लगता है की आज - कल हमारे रेस्ट रूम सजावट की वजह से सुरक्षित नहीं है ! रेलवे प्रशासन ने रेस्ट रूम के चारो तरफ छोटे - छोटे पौधों को लगा रखा है , जो मच्छर और इन निरीह जन्तुओ के आश्रय बन जाते है ! गाहे - बगाहे अगर किसी ने गलती कर दी तो परिणाम भुगतने पड़ जाते है !उपरोक्त घटनाए कोई नई नहीं है ! इस तरह की कई घटनाए मेरे जेहन में  बहुत सी  है , जिन्हें मै बाद में समयानुसार पोस्ट करूंगा ! उन्हें सोंच कर रोंगटे खड़े हो जाते है ! मैंने इन तस्वीरो को डी.आर.एम्./सोलापुर और गुंतकल मंडल को इ- मेल कर दी है !

आप सभी से निवेदन है की एक सुन्दर शीर्षक सुझाए ! अगली पोस्ट लिखने के पूर्व ही पसंदीदा शीर्षक (.आप के नाम के साथ ).ऊपर पोस्ट कर दूंगा ! कोशिश  करके देंखें !

Thursday, January 6, 2011

हमें कुछ कहना है...पारदर्शी बिहार.

    बिहार के बिकास पुरुष के रूप में उभरे मुख्यमंत्री नितीश कुमार भले ही इंजिनियर हों लेकिन अपनी निजी सम्पति के बारे में वे कतई इंजिनियर नहीं लगतें बल्कि एक मध्य वर्गीय नागरिक ही लगते है,सम्पति के जरी बिग्यप्ती के अनुसार उनके पत्नी व अन्य सदस्यों सहित पुरे परिवार के पास उनकी ही मंत्रियो से बहुत काम सम्पति है.उनके नाम पर बैंक में ३१७६० रूपए,४७ हजार के गहने,होंडा सैंट्रो कर,गाय,टीवी,फ्रिज,एसी,दिल्ली में फ़्लैट है.उन पर एक लाख ४३ हजार रुपये का कर्ज है.उपमुख्यमंत्री सुशिल कुमार मोदी भी करोड़  पती तो नहीं है पर उनके और उनके पत्नी के पास ६१ लाख रुपये की सम्पति जरुर है.यह अलग है की उन पर बैंक और रिश्तेदारों का ४० लाख २० हजार रूपए का कर्ज है..जब की उनके कई मंत्री एक करोड़  ८ लाख रुपये से २ करोड़  ६० लाख रुपये के मालिक है.
          नितीश ने इसी के साथ ३ लाख शिक्षक व इन्डियन पोलिश सर्विश के अधिकारिओ को सम्पति घोषित करने का निर्देश दिया है.अन्य क्षेत्रो में प्रशासन व जन प्रतिनिधियों को अलग रखा गया है या नहीं,यह इस आदेश के अनुसार दिखाई नहीं पड़ता.मगर हर साल अपनी सम्पति घोषित  की जाएगी.करीब नौ करोड़  की आबादी का बिहार सारे देश और बिदेशो  में भी ब्यंग का कारण बन गया था.पर नितीश के कारण वह बदल रहा है.सम्पति की घोसणा भी पारदर्शी बिकाश की ओर एक कदम ही है.बिहार ने लालू यादव और नितीश के बिच फर्क को भली - भाक्ति समझ लिया है.देश के २५% से भी अधिक खनिज सम्पदा वाला बिहार अब भी खेती पर ही निर्भर है.उसे औधोगिक राज्य बनाने का संकल्प नितीश को लेना चाहिए.ताकि भारी गरीबी दूर हो और पलायन रुक सके.इससे किसी को भी कहने का मौका नहीं मिलेगा की बिहारी उनका रोजगार छीन रहे है.भ्रस्ताचार के खिलाफ सीधी लडाई में उतारे नितीश और उनके बिहार को अब भबिष्य के माडल स्टेट के रूप में देखा जा रहा है.क्या सचमुच बिहार आधुनिक बिकास का माडल बनेगा? इस सवाल का जबाब भबिस्य ही दे सकेगा.मगर पारदर्शी होती वहा  की सरकार से उम्मीदे जरुर जुड़ गयी है.
          खास बात यह है की कर्ज बाजारू राज्यों में बिहार,उत्तर प्रदेश और महारास्ट से पीछे ही है.केंद्र और राज्य सरकारों के बीच अलग-अलग गठबंधन की सरकारे होने की वजह से समन्वय  भले ही न हो मगर कल का उभरता बिहार आज से ही दिखाई देने लगा है.वह दिन भी आएगा जब बिहार के मजदूर व गरीब पलायन नहीं करेंगे.और अपने ही राज्य में सम्मान के साथ जीने में समर्थ होंगें.नितीश के बढते कदमो में इस भबिस्य के बिहार की आहट तो छिपी  हुयी ही है.
     सौजन्य-आज का आनंद /मुंबई./०५-०१-२०११.

Wednesday, December 15, 2010

बैंगलुरु। मधु सिंघल देख नहीं सकतीं लेकिन उनकी बदौलत हजारों लोगों की ज़िंदगी रोशन हो चुकी है। मधु ने जीवन में संघर्ष तो बहुत किया लेकिन ये संघर्ष सिर्फ जिंदगी जीने के लिए नहीं था, ये संघर्ष था दूसरों के अधूरे सपने को पूरा करने के लिए। टाइप करती हुई मधु की उंगलियों को देख कर कोई अंदाज़ नहीं लगा सकता कि उन्हें दिखाई नहीं देता। मधु के जन्म के दो महीने बाद उनकी मां को पता चला की मधु देख नहीं सकती। थोड़ा बड़ी होने पर मधु को एहसास हुआ कि हमउम्र बच्चे उसके साथ खेलना पसंद नहीं चाहते।
जैसे-जैसे उम्र बढ़ती गयी आंखों की रोशनी ना होना के एहसास उनमें छटपटाहट भरता गया। साथ ही ये तकलीफ़ भी बढ़ती गयी कि नेत्रहीन कितनी भी मेहनत कर लें उनके आगे बढ़ने के रास्ते ना के बराबर है। फिर इसी तकलीफ़ से बाहर निकलने के लिये उन्होंने मित्रज्योति संस्था की स्थापना की, नेत्रहीनों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए जॉब प्लेसमेंट सेल बनाया। कंप्यूटर की नई तकनीक से जरुरतमंदों को ट्रेनिंग की व्यवस्था की।
51 साल की मधु सिंघल की कोशिशों ने लंबा सफर तय किया है। उन्होंने 5000 से ज्यादा दृष्टिहीनों की मदद की है, इसके अलावा स्पेशली एबल्ड लोगों के अधिकारों और उनहें आत्मनिर्भर बनाने के लिए संघर्ष कर रही हैं।

Monday, December 6, 2010

कौन बनेगा करोरपति

 जी हाँ,राहत को काफी राहत महसूस हुई होगी ,जब वह कौन बनेगा करोरपति में ,भारत की पहली महिला करोर-पति बनी.वह शायद बिहार राज्य से ताल्लुक रखतीं है.वह सिलाई - बुनाई की काम करती है और आस-पास के कुछ महिलाओ को भी सिलाई-बुनाई का काम सिखाती हैं.कहते है - देर है ,पर भगवान के घर अंधेर नहीं.उसके पास सबके लिए न्याय है.बधाई हो राहत.

अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल

हैदराबाद। आंध्र प्रदेश के वारंगल जिले में पानी की एक टंकी पर बैठीं सरकारी अस्पताल की कम से कम 10 नर्सों की अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल सोमवार को तीसरे दिन भी जारी रही। नर्स अपनी सेवा नियमित किए जाने की मांग को लेकर हड़ताल पर हैं। वारंगल शहर में महात्मा गांधी मेमोरियल अस्पताल (एमजीएम) में मांगों को लेकर नर्सें पानी की टंकी पर तीसरे दिन भी बैठी रहीं। नर्सो के स्वास्थ्य की जांच करने वाले एक चिकित्सक ने बताया कि उनमें से 5 की हालत खराब है।
नर्सों ने धमकी दी है कि अगर हड़ताल खत्म कराने के लिए पुलिस ने कोशिस की तो वे टंकी से छलांग लगा देंगी। पुलिस को रोकने के लिए नर्सों का एक समूह टंकी के नीचे बैठा हुआ है। पुलिस ने इस सिलसिले में मामले भी दर्ज किए हैं। उधर, अस्पताल प्रशासन ने कहा है कि नर्सों की सेवाएं नियमित करना उनके हाथ में नहीं है, लेकिन वह उनकी मांग स्वीकार करने को तैयार है।
प्रशासन के अनुसार नर्सों की मुख्य मांगों पर सरकार ही फैसला करेगी।

Wednesday, December 1, 2010

............. नेताओ के कमाल ......

  नेताओ के कमाल ...
   जी आये , सोंचे , देखे  और  समझे ,ये क्या हो रहा है,क्या यह लोक-तंत्र का कमाल है .जो जीता वही सिकंदर..

Thursday, November 18, 2010

धूम्रपान करने वाली महिलाओं के बच्चे आपराधिक प्रवृत्ति के

नई दिल्ली। गर्भावस्था के दौरान धूम्रपान करने वाली महिलाओं के बच्चे आपराधिक प्रवृत्ति के होते हैं। अमेरिका में हाल ही में किए गए एक अध्ययन से पता चलता है कि गर्भावस्था के दौरान एक दिन में बीस या इससे अधिक सिगरेट पीने वाली महिलाओं के बच्चों में आपराधिक प्रवृत्ति होने की संभावना तीस फीसदी से भी अधिक होती है। अध्ययन के दौरान 1959 से 1966 के दौरान जन्मे करीब चार हजार बच्चों का चाल चलन देखा गया। इन बच्चों की माताओं से उनकी धूम्रपानी की आदतों समेत कई सवाल पूछे गए थे।
एपिडेमोलाजी एन्ड कम्यूनिटी हेल्थ पत्रिका में छपी इस रिपोर्ट में कहा गया है कि अध्ययन के दौरान इस बात के भी साक्ष्य मिले हैं कि सिगरेट में पाया जाने वाला निकोटिन मस्तिष्क के विकास को प्रभावित करता है। रॉयल कॉलेज आफ ऑबस्टेट्रीशियन्स एंड गाइनोकोलोजिस्ट (आरसीओजी) के उपाध्यक्ष प्रोफेसर जेम्स वॉकर ने कहा कि धूम्रपान गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य खासकर गर्भस्थ शिशु के विकास पर बुरा असर डालता है।
उन्होंने कहा कि धूम्रपान करने वाली महिलाओं को बच्चों का जन्म के समय सामान्य से कम वजन होना, समय से पूर्व प्रसव होना, मृत शिशु पैदा होने जैसी परेशानियां भी झेलनी पड़ सकती हैं। वैज्ञानिको का कहना है कि यदि महिलाएं धूम्रपान पूरी तरह न छोड़ पाएं तो कम से कम उन्हें गर्भावस्था के दौरान तो धूम्रपान बंद या फिर कम तो कर ही देना चाहिए।
वैज्ञानिकों ने साथ ही यह साफ किया है कि धूम्रपान और अपराधी प्रवृत्ति के सीधे संबंध को साबित करने के लिए अभी और शोध किये जाने की जरुरत है।

Friday, October 29, 2010

महानायक अमर शहीद मंगल पाण्डेय का जन्मस्थान बलिया जिले का नगवां गांव

बलिया। उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के सिविल जज की एक अदालत ने फैसला दिया कि सन् 1857 की क्रांति के महानायक अमर शहीद मंगल पाण्डेय का जन्मस्थान बलिया जिले का नगवां गांव है।
अदालत ने एक मुकदमें में कल यह आदेश पारित करते हुए कहा कि मुकदमा दाखिल करने वाले संतोष कुमार पाण्डेय तथा यदुनाथ पाण्डेय शहीद मंगल पाण्डेय के वंशज हैं।
मालूम हो कि अदालत में वर्ष 2005 में यह मुकदमा फिल्म ‘मंगल पाण्डेय द राइजिंग’ के निर्माता बॉबी बेदी, निर्देशक केतन मेहता, नायक आमिर खान तथा अध्यक्ष फिल्म सेंसर बोर्ड के खिलाफ दाखिल किया था।
मुकदमें में अमर शहीद मंगल पाण्डेय को नगवां गांव का घोषित करने तथा फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगाने की प्रार्थना की गई थी।
मुकदमें की सुनवाई के बाद सिविल जज आजाद सिंह ने वाद बिंदु एक पर निर्णय देते हुए अमर शहीद मंगल पाण्डेय का जन्मस्थान बलिया जिले का नगवां गांव कहा। उन्होंने इस सम्बन्ध में प्रतिवादीगण को दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा निर्णीत मूल वाद की प्रमाणित प्रति 15 दिन के अंदर अदालत में प्रस्तुत करने को कहा है

Monday, October 11, 2010

भ्रष्टाचार अनमाप अनियंत्रित

सुप्रीम कोर्ट ने कल  पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा आयकर निरीक्षक मोहनलाल शर्मा को बरी किए जाने को चुनौती देते हुए प्रस्तुत की गई सीबीआई की याचिका को स्वीकार करते हुए अत्यन्त महत्त्वपूर्ण टिप्पणी की है। न्यायमूर्ति मार्कंडेय काटजू और न्यायमूर्ति टीएस ठाकुर की पीठ ने कहा कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि देश में भ्रष्टाचार पर कोई नियंत्रण नहीं है। विशेष रूप से आयकर, बिक्रीकर और आबकारी विभाग में काफी भ्रष्टाचार व्याप्त है। पीठ ने व्यंग्य करते हए कहा कि सरकार भ्रष्टाचार को वैध क्यों नहीं कर देती ताकि हर मामले में एक राशि निश्चित कर दी जाए। ऐसा किया जाए कि यदि कोई व्यक्ति मामले को निपटाना चाहता है तो उससे ढाई हजार रुपये मांगे जा सकते हैं। इस तरह से हर आदमी को पता चल लाएगा कि उसे कितनी रिश्वत देनी है। अधिकारी को मोलभाव करने की जरूरत नहीं है और लोगों को भी पहले से ही पता होगा कि कि उन्हें बिना किसी फिक्र के क्या देना है। 
देश के सर्वोच्च न्यायालय की यह टिप्पणी देश में मौजूद वर्तमान तंत्र के चेहरे पर एक कालिख है जिसे चाहने पर भी साफ नहीं किया जा सकेगा। हो सकता है यह टिप्पणी न्यायालय के रिकॉर्ड का भाग न बने, लेकिन माध्यमों ने इसे स्थाई रूप से रिकॉर्ड का भाग बना दिया है।  इस टिप्पणी ने स्पष्ट कर दिया है कि भ्रष्टाचार के विरुद्ध जितने भी उपाय सरकार द्वारा आज तक किए गए हैं वे सिर्फ दिखावा मात्र हैं। उन से भ्रष्टाचार के दैत्य का बाल भी बांका नहीं हो सका है। हाँ दिखावे के नाम पर हर वर्ष कुछ व्यक्तियों को सजाएँ दी जाती हैं। भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए जो-जो भी उपाय किए गये वे सभी स्वयं भ्रष्टाचार की गंगा में स्नान करते दिखाई दिए। 

 
कोई तीस पैंतीस वर्ष पहले तक भ्रष्टाचार के विरुद्ध जन-अभियान भी चले लेकिन उन की परिणति ने यह सिद्ध कर दिया कि मौजूदा व्यवस्था के चलते भ्रष्टाचार का कुछ भी नहीं बिगाड़ा जा सकता है। अब तो यदि भ्रष्टाचार मिटाने के लिए कोई जन-अभियान की आरंभ करता दिखाई पड़े तो लोग उस की मजाक उड़ाते हैं। खुद न्यायपालिका भ्रष्टाचार से मुक्त नहीं है, अपितु वहाँ भी इस की मात्रा में वृद्धि ही हो रही है। सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी न केवल सरकार पर ही नहीं समूची राजनीति और व्यवस्था पर ही प्रश्न चिन्ह खड़ा करती है। यह संकेत दे रही है कि इस देश की मौजूदा व्यवस्था को पूरी तरह नष्ट कर के एक नई व्यवस्था की स्थापना  आवश्यकता है। देखना यही है कि उस के लिए देश कब खुद को तैयार कर पाता है।

Wednesday, September 22, 2010

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भारत दुनिया का तीसरा सबसे शक्तिशाली देश:


वॉशिंगटन। अमेरिका की एक ताजा सरकारी रिपोर्ट में विश्व के सबसे शक्तिशाली देशों की सूची में अमेरिका और चीन के बाद भारत को तीसरे स्थान पर रखा गया है। यही नहीं इस रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका, चीन और यूरोपीय संघ के बाद भारत विश्व का चौथा सबसे शक्तिशाली गुट है। अमेरिका के राष्ट्रीय खुफिया परिषद (NIC) और यूरोपीय संघ के सुरक्षा शिक्षा संस्थान (EUISS) द्वारा संयुक्त रूप से जारी 'ग्लोबल गवर्नेस 2025' नामक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है।
रिपोर्ट में यह अनुमान भी व्यक्त किया गया है कि साल 2025 तक वैश्विक परिदृश्य में भारत का रुतबा और बढ़ेगा। ब्राजील, रूस, भारत, चीन और अन्य देशों के विशेषज्ञों की अंतर्दृष्टि और काल्पनिक परिदृश्यों के आधार पर तैयार की गई इस रिपोर्ट में वैश्विक प्रशासन में अगले 25 सालों में होने वाली तब्दीलियों की व्याख्या की गई है।
इस रिपोर्ट के मुताबिक साल 2010 में शक्तिशाली देशों की सूची में अमेरिका टॉप पर है और वैश्विक शक्ति के मामले में उसकी हिस्सेदारी 22 फीसदी है। इसी तरह चीन और यूरोपीय संघ वैश्विक शक्ति के मामले में 16 फीसदी हिस्सेदारी रखते हैं जबकि भारत 8 फीसदी। जापान, रूस और ब्राजील भारत से पीछे हैं और उनकी हिस्सेदारी 5 फीसदी के आसपास है।
रिपोर्ट के अनुमानों के मुताबिक 2025 तक यद्यपि इस सूची में कोई परिवर्तन नहीं आएगा लेकिन अमेरिका, यूरोपीय संघ, जापान और रूस की शक्तियों में कमी आएगी जबकि चीन, भारत और ब्राजील की ताकत बढ़ेगी।
साल 2025 तक भी अमेरिका सबसे शक्तिशाली देश बना रहेगा लेकिन वैश्विक शक्ति की हिस्सेदारी में वह 18 फीसदी पर पहुंच जाएगा। इस दौरान चीन की हिस्सेदारी 16 फीसदी, यूरोपीय संघ की 14 फीसदी और भारत की 10 फीसदी हो जाएगी।
रिपोर्ट में यह चेतावनी भी दी गई है कि अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों की बढ़ती संख्या और उनकी जटिलताओं का सामना करने में अंतर्राष्ट्रीय संस्थाएं और राष्ट्रीय सरकारें अक्षम साबित हो रही हैं। चाहे वह जलवायु परिवर्तन का मसला हो या क्षेत्रीय संघर्ष और नई तकनीक का, या फिर प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन का मसला हो।

  courtesy.  ibnkhabar.